जयपुर: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के बयान को लेकर कांग्रेस और भाजपाई दोनों क्षेत्रों में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है. सतीश पूनिया ने परसों उदयपुर में राज्य में कांग्रेस सरकार गिरने की स्थिति में मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहने का एक बेहद ही महत्वपूर्ण बयान दिया था. पूनिया के बयान के अगले ही दिन नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया था.
पूनिया का बयान भाजपा की नई रणनीति का संकेत:
पूनिया का बयान इस बारे में भाजपा की नई रणनीति का संकेत हैं. 4 महीने पहले पायलट की बगावत के समय सरकार गिरने की स्थिति में पायलट के सीएम बनने की संभावना थी. भाजपा के 'आउटसाइड' सपोर्ट से कम से कम 6 माह के लिए सीएम बनने की संभावना थी. फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सचिन पायलट की बगावत को विफल किए जाने के बाद से पायलट सीएम की रेस से बाहर हुए थे, और सरकार गिरने की स्थिति में गजेंद्र सिंह शेखावत को मुख्यमंत्री बनाने की बात थी.
कांग्रेस के असंतुष्टों और दूसरी ताकतों को भारी झटका लगा:
उस समय जयपुर और दिल्ली में किसी भी भाजपा नेता ने मध्यावधि चुनाव के संकेत नहीं दिए थे. लेकिन अब सतीश पूनिया के बयान ने भाजपा की नई रणनीति दिखाई है. राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार पूनिया के इस बयान से कांग्रेस के असंतुष्टों और दूसरी ताकतों को भारी झटका लगा है. क्योंकि अगर यह सभी लोग मिलकर भी कांग्रेस की सरकार को गिरा देते हैं तो भी सरकार गिराने वालों में से कोई मुख्यमंत्री नहीं बन पाएगा और उस सूरत में राज्य में मध्यावधि चुनाव होंगे.
बयान ने CM के संभावित उम्मीदवारों के मन में जबरदस्त हलचल मचाई:
इस प्रकार पूनिया के बयान ने भाजपाई क्षेत्रों और मुख्यमंत्री के संभावित उम्मीदवारों के मन में जबरदस्त हलचल मचाई है, और अब इस तरह राजस्थान में अंदरूनी या बाहरी ताकतों द्वारा गहलोत सरकार को गिराने के षड्यंत्र की संभावनाएं बहुत ही क्षीण हुईं है. उधर गहलोत 8, सिविल लाइंस पर बैठकर अगले 3 वर्षों के गुड 'गवर्नेंस' का रोडमैप बना रहे हैं.