नई दिल्ली: बाबरी विध्वंस मामले में लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने आज फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया. जज एसके यादव ने कहा है कि विवादित ढांचा गिराने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और ये घटना अचानक हुई थी.
अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे:
अब इस फैसले पर एक बाद एक प्रतिक्रिया सामने आ रही है. इसी के चलते कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे हैं. उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर, 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था. पर विशेष अदालत ने सभी दोषियों को बरी कर दिया. विशेष अदालत का निर्णय साफ तौर से उच्चतम न्यायालय के निर्णय के भी प्रतिकूल है.
#BabriMasjidDemolitionCase मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) September 30, 2020
सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था।
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शिवसेना ने किया फैसले का स्वागत:
वहीं दूसरी ओर शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि फैसले में कहा गया कि विध्वंस एक साजिश और परिस्थितियों का परिणाम नहीं था, यह अपेक्षित निर्णय था. हमें उस एपिसोड को भूलना चाहिए. अगर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त नहीं किया गया होता तो हमने राम मंदिर के लिए कोई भूमि पूजन नहीं देखा होता. राउत ने कहा, 'मैं और मेरी पार्टी शिवसेना, फैसले का स्वागत करते हैं और आडवाणी जी, मुरली मनोहर जी, उमा भारती जी और मामले में बरी हुए अन्य लोगों को बधाई देते हैं.
I and my party Shiv Sena, welcome the judgment and congratulate Advani ji, Murli Manohar ji, Uma Bharti ji & the people who have been acquitted in the case: Sanjay Raut, Shiv Sena, on the #BabriMasjidDemolitionVerdict https://t.co/WOQAtoYkXQ
— ANI (@ANI) September 30, 2020
ओवैसी ने एक दुखद दिन बताया:
उधर असदुद्दीन ओवैसी ने, 'आज का दिन भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक दुखद दिन बताया है. अब, अदालत का कहना है कि कोई साजिश नहीं थी. कृपया मुझे बताएं, किसी कार्रवाई को सहज होने के लिए कितने दिनों और महीनों की तैयारी की आवश्यकता होती है?' उन्होंने कहा कि सीबीआई अदालत द्वारा निर्णय भारतीय न्यायपालिका के लिए एक काला दिन है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस विवाद को लेकर कहा था कि ये विवाद 'कानून का अहंकारी उल्लंघन' और 'पूजा के सार्वजनिक स्थान को नष्ट करने करने का मामला' है.
वही क़ातिल वही मुंसिफ़ अदालत उस की वो शाहिद
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 30, 2020
बहुत से फ़ैसलों में अब तरफ़-दारी भी होती है