कोलंबो: श्रीलंका में आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम रहे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनकी सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर व्यापार संघ शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल पर हैं.
स्वास्थ्य, डाक, बंदरगाह और अन्य सरकारी सेवाओं से जुड़े ज्यादातर व्यापार संघ हड़ताल में शामिल:
देश में जारी भीषण आर्थिक संकट के चलते सरकार विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रही है और उसके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ती जा रही है. स्वास्थ्य, डाक, बंदरगाह और अन्य सरकारी सेवाओं से जुड़े ज्यादातर व्यापार संघ हड़ताल में शामिल हैं. हालांकि सत्तारूढ़ दल के समर्थक कई व्यापार संघ इसमें शामिल नहीं हैं. श्रीलंका में इस समय व्यापार गतिविधियां ठप पड़ी हैं और उन स्थानों पर भी सड़कें सूनी दिखती हैं, जहां आम तौर पर काफी भीड़भाड़ देखी जाती थी.
शिक्षक संघ के महिंदा जयसिंघे ने कहा कि स्कूल के शिक्षक व प्रधानाध्यापक भी आज की हड़ताल में शामिल:
'जॉइंट ट्रेड यूनियन एक्शन ग्रुप' के रवि कुमुदेश ने कहा, '2000 से अधिक व्यापार संघ हड़ताल में शामिल हैं. हालांकि, हम आपात सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'इस एक दिवसीय हड़ताल का मकसद राष्ट्रपति को यह बताना है कि उन्हें अपनी सरकार के साथ इस्तीफा दे देना चाहिए. यदि हमारे अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया गया तो हम 11 मई से तब तक हड़ताल करेंगे जब तक सरकार इस्तीफा नहीं दे देती. वहीं, शिक्षक संघ के महिंदा जयसिंघे ने कहा कि स्कूल के शिक्षक व प्रधानाध्यापक भी आज की हड़ताल में शामिल हैं. निजी बस संचालकों ने कहा कि डीजल के लिए ईंधन स्टेशन पर लंबी कतारों के कारण उनके लिए सेवाएं देना मुश्किल हो गया है.
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई व प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया:
निजी बस मालिकों के संघ के गामुनु विजेरत्ने ने कहा, 'बसें चलाने के लिए डीजल नहीं है. इससे पहले, बृहस्पतिवार को संसद तक विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने संसद के मुख्य द्वार पर डेरा डाल दिया था. पुलिस ने बीती रात उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन भारी बारिश में भी वे धरने पर बैठे रहे. गौरतलब है कि इस्तीफे के बढ़ते दबाव के बावजूद, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई व प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है. सोर्स-भाषा