Surya Grahan 2022: देश में कई जगहों पर दिखेगा आंशिक सूर्यग्रहण, सूतक काल में क्या करें और क्या ना करें; जानें सब कुछ

जयपुर: आज साल का आखिरी सूर्यग्रहण है. ये आंशिक ग्रहण है और देश में कई जगहों पर दिखेगा भी. इसलिए ये धार्मिक नजरिये से भी खास रहेगा. इससे पहले 30 अप्रैल को सूर्य ग्रहण हुआ था लेकिन वो देश में नहीं दिखा. खगोल वैज्ञानिक के मुताबिक भारत से दिखाई देने वाला अगला बड़ा सूर्य ग्रहण 21 मई 2031 को होगा. जो कि वलयाकार ग्रहण रहेगा. इसके तीन साल बाद 20 मार्च, 2034 को पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत से दिखेगा. साल 2022 का आखिरी सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर 2022 को लगने वाला है. 

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है. अगर अमावस्या तिथि की बात करें तो वह 24-25 अक्टूबर को दोनों दिन रहेगी. अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर 2022 को शाम 05:28 बजे शुरू हो रही है जो 25 अक्टूबर 2022 दोपहर  04:18 बजे तक चलेगी. सूर्य ग्रहण मंगलवार 25 अक्टूबर को लगेगा. यह ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण है जो 2022 का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा. ग्रहण मुख्य रूप से यूरोप, उत्तर-पूर्वी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा. भारत में ग्रहण नई दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, उज्जैन, वाराणसी, मथुरा में दिखाई देगा. यह भी बताया जा रहा है कि पूर्वी भारत को छोड़कर सारे भारत में इस सूर्य ग्रहण को देखा जा सकता है.

श्रीनगर, जम्मू और जलंधर में अच्छे से दिखेगा:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि ये ग्रहण शाम 4.30 पर अपने चरम पर रहेगा. इस वक्त देश में दिखना शुरू हो जाएगा. भारत में लेह, लद्दाख, जम्मू, श्रीनगर, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश में ये ग्रहण दिखेगा. इनमें श्रीनगर, जम्मू, जलंधर, अमृतसर, चंडीगढ़, देहरादून, हरिद्वार और शिमला में ज्यादा साफ दिखाई देगा. तमिलनाडु, कर्नाटक, मुंबई, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, बंगाल और बिहार में कुछ ही देर के लिए और ठीक से भी नहीं दिखेगा. वहीं, असम, अरुणाचल, मणिपुर, नागालैंड में ये ग्रहण बिल्कुल नहीं दिखेगा.

सूर्य का आधा हिस्सा छुप जाएगा:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या पर सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी लगभग एक लाइन में आ जाते हैं. जिसे सूर्य ग्रहण कहते हैं. 25 अक्टूबर को भी सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी लगभग सीधी रेखा में रहेंगे. जिससे चंद्रमा आंशिक रूप से कुछ वक्त के लिए सूर्य को ढंकता हुआ दिखाई देगा, जिससे आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. इस ग्रहण के दौरान भारत में सूर्य का 55% हिस्सा चंद्रमा से ढंका होगा. नई दिल्ली में ये ग्रहण शाम करीब 04:29 पर शुरू होकर सूर्यास्त के साथ 18:09 पर खत्म हो जाएगा.

25 को सूर्य ग्रहण:
25 को आंशिक सूर्य ग्रहण होने से कोई पर्व नहीं रहेगा. 26 तारीख को गोवर्धन पूजा और 27 को भाई दूज मनाई जाएगी.

सूर्यग्रहण का समय:- 
ग्रहण प्रारंभ- 4.29 दोपहर
ग्रहण समाप्त- 6.32 शाम

दीपावली पर तिथि:-
दीपावली की तिथि- 24 अक्टूबर 2022
कृष्ण पक्ष की अमावस्या- 24 तारीख को शाम 5:28 मिनट से शुरू होकर 25 अक्टूबर शाम 4:18 मिनट तक

दिनभर रहेगा सूतक, नहीं होगी पूजा-पाठ:-
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैसे तो ये खगोलीय घटना है, लेकिन धर्म के नजरिए से भी ये सूर्य ग्रहण खास रहेगा. क्योंकि इस बार दिवाली के अगले दिन ये पड़ रहा है. भारत में शाम 4 बजे से ग्रहण शुरू होने की वजह से इसका सूतक 12 घंटे पहले यानी सुबह 4 बजे से ही शुरू हो जाएगा. इसलिए गोवर्धन पूजा 25 की बजाय 26 अक्टूबर को होगी.

सूतक काल में क्या करें और क्या ना करें:-
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूतक काल में कोई भी शुभ काम को शुरू करने से बचें. सूतक काल में भगवान की भक्ति करें. सूतक काल में ना ही खाना बनाएं और ना ही खाना बनाएं. अगर खाना बना हुआ रखा है तो उसमें तुलसी के पत्ते डालकर रखें. सूतक काल में दांतों की सफाई और बालों में कंघी नहीं करने की भी मनाही होती है. सूतक काल में भगवान के मंदिर के पट बंद कर देना चाहिए. सूतक काल के दौरान सूर्य मंत्रों का जाप करना चाहिए. सूतक काल समाप्त होने के बाद घर की सफाई करें और उसके बाद भगवान की पूजा करें. सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को घर के बाहर ना जाने दें और विशेष सावधानी बरतें.सूर्य ग्रहण के दौरान "ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात" मंत्र का जाप करें.

ग्रहण की पौराणिक कथा:-
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के मुताबिक, ग्रहण का संबंध राहु और केतु ग्रह से है. बताया जाता है कि समुद्र मंथन के जब देवताओं और राक्षसों में अमृत से भरे कलश के लिए युद्ध हुआ था. तब उस युद्ध में राक्षसों की जीत हुई थी और राक्षस कलश को लेकर पाताल में चले गए थे.तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अप्सरा का रूप धारण किया और असुरों से वह अमृत कलश ले लिया था. इसके बाद जब भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया तो स्वर्भानु नामक राक्षस ने धोखे से अमृत पी लिया था और देवताओं को जैसे ही इस बारे में पता लगा उन्होंने भगवान विष्णु को इस बारे में बता दिया. इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. बताया जाता है कि स्वर्भानु के शरीर के 2 हिस्सों को ही राहु और केतु नाम से जाना जाता है और देवताओं से अपमान का बदला लेने के बाद वह सूर्य और चन्द्र से बदला लेने के लिए बार-बार ग्रहण लगाते हैं.

भारत में सूर्य ग्रहण का प्रभाव:-
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 25 अक्टूबर को होने वाला सूर्य ग्रहण भले ही भारत में आंशिक रूप से दिखेगा, लेकिन इसका असर वातावरण और आम लोगों पर भी पड़ेगा. इसलिए सूतक काल और ग्रहण के समय सावधानियां रखनी होगी. सूतक काल और ग्रहण के दौरान मंदिर और घरों के पूजा स्थल बंद रखें. मूर्तियों को न छूएं. खान-पान से परहेज रखें. बूढ़े, बच्चे और बीमार ग्रहण से तीन घंटे पहले खाना खा लें. ग्रहण अवधि में मंत्र जाप ध्यान और कीर्तन करें. इस समय दान देना चाहिए. ग्रहण खत्म होने के बाद पूजा स्थल और पूरे घर में गंगाजल छिड़ककर शुद्धि करें. नदियों में स्नान करने की भी परंपरा है.