मुंबई: 1994 में मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) अपनी पहली फिल्म द्रोहकाल के साथ सिनेमा जगत में एंट्री लेते दिखाई दिए थे. ये उनकी पहली फिल्म थी. इसके बाद 1998 के रिलीज हुई फिल्म सत्या में उन्हें भी भीकू म्हात्रे के किरदार में देखकर लोग शॉक हो गए. स्क्रीन पर इस तरह के किरदार को इतनी साफ तरीके से उतार पाना काबिले तारीफ है. 3 जुलाई को रिलीज हुई फिल्म सत्या आज 24 साल की हो चुकी है.
इस फिल्म में लोगों को कई ऐसी चीजें देखने को मिली जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी. तरह तरह की फिल्मों में एक तरह की फिल्म ऐसी भी होती है जिसमें नैतिकता का तराजू नहीं होता. क्या गलत है क्या सही इन सब चीजों से परे स्क्रीन पर उतारी गई हर चीज रियल जिंदगी की तरह ही दिखाई देती है.
सत्य की वजह से बॉलीवुड इंडस्ट्री में इसी तरह के सिनेमा टाइप की शुरुआत हुई जिससे नॉएर कहा गया. इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए रामगोपाल वर्मा ने डी और कंपनी जैसी फिल्में भी बनाई. इस फिल्म के बाद गैंगस्टर पर बनने वाली फिल्म बॉलीवुड में बाढ़ आती देखी गई. सत्या कौन 11 फिल्मों की लिस्ट में शामिल किया गया जिन्होंने बॉलीवुड का रुख बदल दिया.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सत्या का शाहरुख खान (Shahrukh Khan) और माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) से भी कनेक्शन है. आपको यह जानकर थोड़ा शॉक जरूर लगा होगा लेकिन बता दें कि फिल्म का म्यूजिक तैयार करने का काम एस भट्टाचार्य ने किया था. भट्टाचार्य कि उस समय इंडस्ट्री में बहुत ज्यादा मांग थी और वह शाहरुख खान और माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर (Karishma Kapoor) की फिल्म दिल तो पागल है पर भी काम कर रहे थे. इस फिल्म के सुपरहिट गाने अरे रे अरे को तो सभी ने सुना ही है. यही गाना फिल्म सत्या में उस समय सुनने को मिला जब फिल्म की शुरुआत में पुलिस भीकू म्हात्रे को गिरफ्तार कर लेती है. यह एक आम सुबह होती है जहां भीकू और उसके बच्चे बैठ कर नाश्ता कर रहे होते हैं. बैकग्राउंड में गाना बज रहा होता है अरे रे अरे यह क्या हुआ, और पुलिस भीकू यानी मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) को ले जाती है.
इस फिल्म के गाने गोली मार भेजे में को लेकर भी एक मजेदार किस्सा है. इस गाने को पहले गम के नीचे बम लगाकर गम उड़ा दे बोल के साथ लिखा गया था. लेकिन बाद में गुलजार साहब ने इसे गोली मार दिया. सब लोगों को पहले लिखा हुआ गम उड़ा दे ज्यादा पसंद आया था. लेकिन गुलजार साहब सीनियर थे इसलिए उनसे कोई बोल नहीं सकता था. अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) को शुरुआत से ही साफ बोलने वाला माना जाता है इसलिए यह तय हुआ कि वही बात करेंगे. इसके बाद अनुराग कश्यप गुलजार साहब के पास पहुंचे और कहा कि सर गम नहीं चल रहा है. यह सुनते ही गुलजार साहब ने तपाक से कहा गम नहीं ग़म पहले बोलना सीखो. इसके बाद पूरी बहस यहीं खत्म हो गई और फिल्म का यह गाना बहुत बड़ा हिट साबित हुआ.