जयपुर: आईए अब आपको बताते है प्रदेश का सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल की वो तस्वीर, जो किसी बड़े खतरे से कम नहीं है. दरअसल पिछले कुछ समय से मरीजों के लिए अस्पताल "खतरों" का केन्द्र बन गया है. कभी वार्ड में प्लाटर गिरता है तो कभी फालसिलिंग. अस्पताल की दूसरी मंजिल पूरी तरह से जर्जर हो गई है, जहां आए दिन "जानलेवा" घटनाएं सामने आ रही है. ऐसे में एक दर्जन से अधिक वार्ड में मरीज खौफ के माहौल में इलाज कराने को मजबूर है. एक खास रिपोर्ट:
सूबे का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित अस्पताल एसएमएस... रोजाना दस हजार मरीजों का ओपीडी.. तीन हजार से अधिक मरीज हर समय अस्पताल में भर्ती रहते है. डॉक्टर, स्टॉफ, सुरक्षा गार्ड को भी शामिल किया जाए तो अस्पताल में 25 से 30 हजार लोगों की रोजाना चहलकदमी रहती है, लेकिन अस्पताल की दूसरी मंजिल इन सभी लोगों के लिए "मौत" से कम नहीं है. कारण है मेंटीनेंस के अभाव में अस्पताल की दूसरी मंजिल का जर्जर होना. दूसरी मंजिल पर एक दर्जन से अधिक वार्ड संचालित हो रहे है, जहां सैंकड़ों की तादाता में मरीज हर समय भर्ती रहते है. ये सभी मरीज जर्जर छत के नीचे खौफ के माहौल में उपचार करा रहे है. आश्चर्य की बात ये है कि खुद प्रशासन मानता है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन हर कोई बजट का रोना रोकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड रहे है.
SMS अस्पताल की 80 साल पुरानी इमारत दे रहे "जवाब":
अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग को 80 साल से अधिक समय हो चुका है. पुख्ता रखरखाव नहीं होने के चलते बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पूरी तरह जवाब दे चुकी है. फिलहाल 2एबी, 3एबी, 2एफ, 2डीई, 3एफ, 3सी, 3डीई, 3जी, 3एच, आपातकालीन ओटी, न्यूरोसर्जरी के टॉयलेट-चैम्बर, मेडिकल ज्यूरिस्ट विभाग, बांगड परिसर में दवा वितरण काउंटर, कॉटेज वार्डस में आएदिन छत से प्लास्टर गिर रहा है. इन जगहों में से कईयों में हालात ये है कि झुलती जर्जर छत के नीचे मरीज इलाज करा रहे है.
बिजली की लाइनें पुरानी, शॉट सर्किट से हो रहे अग्निकाण्ड :
अस्पताल की बिल्डिंग में बिजली की लाइनें भी बरसों पुरानी हो चुकी है. ऐसे में आएदिन शॉट सर्किट और उससे अग्निकाण्ड की स्थिति बन रही है. पिछले छह माह में आधा दर्जन से अधिक बड़ी आग अस्पताल में लग चुकी है.
एमएनआईटी ने माना, जंग खा चुका लोहा :
अप्रेल 2019 में अस्पताल की इमारत की इंजीनियरिंग एजेंसी ने जांच की. रिपोर्ट में एजेंसी ने माना है कि इमारत की छत में लगा लोहा पूरी तरह से जंग खा चुका है. इसके चलते मजबूती समाप्त हो चुकी है और वो छत के प्लास्टर को रोकने में समक्ष नहीं है. ऐसे हालात में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
हालात इतने चिंताजनक, खाली कराया गया वार्ड:
हाल ही में अस्पताल के एक प्रोफेसर पर प्लास्टर आकर गिरा, जिसके चलते उनके हाथ में चोट आ गई. घटना के बाद आनन-फानन में अस्पताल प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी को निरीक्षण के लिए कहा. पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं ने जांच के बाद 3डी ई की हालात काफी चिंताजनक बताई और किसी भी बड़े हादसे की अंदेशे के चलते तत्काल वार्ड खाली कराने का सुझाव दिया. इसके बाद आनन-फानन में 3डी ई के मरीजों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया गया है.
बेतरतीब सरकारी फण्ड का उपयोग:
राजस्थान में चिकित्सा क्षेत्र की अपेक्स संस्थान की इस दयनीय हालात के पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि बेतरतीब सरकारी फण्ड का उपयोग. दरअसल सरकार हर साल चार करोड़ रुपए तक एसएमएस को सिर्फ बिजली और सिविल वर्क की मेंटीनेंस के लिए देती आई है. हालांकि पिछले साल इस फण्ड में बड़ी कटौती करते हुए सवा करोड़ कर दिया गया, जिसका खामियाजा ये रहा कि प्रबन्धन से जुड़े अधिकारियों ने भी अव्यवस्थाओं पर आंखें मूंद ली. सिर्फ खुद के बचाव के लिए बड़े-बड़े पत्र जरूर एक सीट से दूसरी सीट पर पहुंच रहे है, लेकिन समाधान कोई नहीं है.
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल की ऐसी दयनीय हालात चिंताजनक है. जर्जर इमारत में न सिर्फ मरीज परेशान है, बल्कि हर समय चिकित्सक व अन्य स्टॉफ भी खतरों के बीच काम करने को मजबूर है. अभी मानसून पूरी तरह सक्रिय नहीं हुआ है, तभी ऐसे हालात है तो आगे स्थिति और चिंताजनक होने का अंदेशा है. ऐसे में जरूरी हो गया है कि जिम्मेदार जल्द से जल्द चेते, अन्यथा किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है.
... संवाददाता विकास शर्मा की रिपोर्ट