जयपुर: चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से शुरू हो गए है. आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस अवसर पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तप और जप की शक्ति के रूप में की जाती है. मां के नाम में ही उनकी महिमा का वर्णन है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली. यानी मां ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली मां को शत-शत नमन है. चलिए जानते है मातारानी की कैसे विशेष पूजा अर्चना की जाये.
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गंगाजल से पवित्रीकरण:
नवरात्रि के दूसरे दिन प्रातः सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. पूजा घर में झाड़ू-पोछा करें. इसके बाद गंगाजल से पवित्रीकरण करें. इसके बाअद बैठकर पूजा करें. पूजा करते हुए हाथ जोड़कर मां ब्रह्मचारिणी के बीज मंत्र का पाठ करते हुए घट (कलश) में मां का आह्वाहन करें. देसी घी का दिया प्रज्वलित कर मां की पूजा अर्चना करें. मां को मिश्री, शक्कर और पंचामृत अर्पित करें.
ऐसे करें माता की पूजा
ऐसा माना गया है कि मां ब्रह्मचारिणी को चमेली का फूल काफी पसंद है. दूसरे दिन नवरात्रि पूजा करते समय चमेली के फूल अर्पित करें और माता का आशीर्वाद पाएं. पूजा करते समय माता ब्रह्मचारिणी के दिव्य रूप का ध्यान किया जाता है और पूजा समाप्त करने के लिए आरती के बाद सोलह तरह के प्रसादों का भोग लगाया जाता है.
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माला और दूसरे में कमंडल:
मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप करने वाली माला और दूसरे में कमंडल होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए बहुत तपस्या की थी जिस कारण उन्हें तपश्चारिणी भी कहा जाता है.