तपोवनः उत्तराखंड के चमोली जिले में गाद और मलबे से भरी तपोवन सुरंग में फंसे 25 से अधिक लोगों की तलाश में बचाव दलों ने विपरीत परिस्थितियों में आज छठे दिन भी अपना अभियान जारी रखा है. उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने देहरादून में कहा है कि सुरंग में गाद और मलबे को साफ करने तथा छोटी सुरंग तक पहुंचने के लिए ड्रिलिंग का कार्य साथ-साथ चल रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि छोटी सुरंग में लोग फंसे हो सकते हैं. कुमार ने पीटीआई-भाषा से कहा है कि आपदा आए छह दिन हो चुके हैं लेकिन हमने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है और हम ज्यादा से ज्यादा जिंदगियां बचाने के लिए सभी मुमकिन प्रयास करेंगे.
प्रशासन ने की धीरज धरने की मांग
उनका कहना है कि लापता लोगों के परिजनों द्वारा तपोवन में विरोध किए जाने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर पुलिस महानिदेशक ने कहा है कि सुरंग में फंसे लोगों तक संपर्क स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है और लोगों को धीरज नहीं खोना चाहिए. इस बीच, तपोवन में अधिकारियों ने कहा है कि 114 मीटर तक गाद और मलबा साफ किया जा चुका है और सिल्ट फलशिंग टनल (एसएफटी) तक पहुंचने के लिए ड्रिलिंग कार्य किया जा रहा है जहां लोगों के फंसे होने की आशंका है.
168 लोग अभी भी लापता है
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने बताया कि आपदा ग्रस्त क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों से अब तक 36 शव बरामद हो चुके हैं जबकि 168 अन्य लापता हैं. इस बीच, सुरंग में फंसे लोगों के परिजनों ने तपोवन में परियोजना स्थल के पास सही तरीके से राहत एवं बचाव किए जाने की मांग को लेकर जबरदस्त हंगामा किया था और सरकार और एनटीपीसी के खिलाफ नारेबाजी की थी. तपोवन के पूर्व प्रधान धर्मपाल बजवाल के नेतृत्व में गए 50 से अधिक ग्रामीणों ने कहा कि सरकार आपदा प्रभावितों की कोई सुध नहीं ले रही है.
स्थानीय लोगों का बयान परियोजना अभिशाप साबित हुई
बजवाल ने कहा है कि हमारे गांव से चार लोग लापता हैं लेकिन मौके पर जिस तरह काम चल रहा है उससे नहीं लगता कि उनका पता लगेगा. प्रदर्शनकारियों में अधिकतर महिलाएं थीं. तपोवन की देवेश्वरी देवी ने कहा है कि एनटीपीसी की यह परियोजना हमारे लिए अभिशाप साबित हुर्ह है. उन्होंने कहा है कि पहले हमारे खेत गए और अब गांव के लोगों की जान चली गई है. आज छठवें दिन भी 200 मीटर सुरंग से मलबा नहीं हट पाया है. आंदोलनकारियों को समझाने के लिए जोशीमठ की उपजिलाधिकारी भी मौके पर थीं.
रविवाह को हुआ था हादसा
बाद में परियोजना स्थल पर मौजूद सीआइएसएफ के कर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को सुरंग के मुंह से 100 मीटर दूर रोक दिया जहां सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस के संयुक्त दल द्वारा बचाव कार्य किया जा रहा है. सात फरवरी को ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ से 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई थी जबकि बुरी तरह क्षतिग्रस्त 520 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में काम कर रहे लोग उसमें फंस गए थे. (सोर्स-भाषा)