युवा कवि पुरंजय खन्ना की पहली किताब "सेकन्ड स्टार" को भारत में एस्टोनिया की एम्बेस्डर कैटरीन किवि ने किया लॉन्च

मुंबई : मुम्बई के ताजलैंड एंड होटल में युवा कवि पुरंजय खन्ना की पहली किताब "सेकन्ड स्टार" को भव्य रूप से लॉन्च किया गया. इस प्रोग्राम की चीफ गेस्ट भारत मे रिपब्लिक ऑफ एस्टोनिया की एम्बेस्डर कैटरीन किवि थीं. पुस्तक विमोचन के गेस्ट ऑफ ऑनर महाराष्ट्र के चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर सुमित मलिक थे जबकि गेस्ट परफॉर्मर ऎक्टर डेन्ज़िल स्मिथ और कैप्टन ऑलविन सलधाना थे. डेन्ज़िल स्मिथ ने बड़ी ही खूबसूरती से अपनी प्रभावी आवाज में इस किताब से कुछ कविताओं को पढ़ा. साथ ही खुद पुरंजय खन्ना ने भी अपने अनोखे अंदाज में अपनी रचित कविताओं का पाठ किया.

इस अवसर पर शानदार केक काटकर पुरंजय खन्ना का बर्थडे भी मनाया गया. पुरंजय के पिता सुनील खन्ना और उनकी माता अल्का खन्ना भी यहां मौजूद थीं.

कैटरीन किवि ने कहा कि मेरे लिए बहुत खुशी और सम्मान की बात है कि आज रात मैं यहां हाजिर हूं. किताब में शामिल कविताएं बड़ी यूनिवर्सल हैं, मैं खुश हूं कि पुरंजय खन्ना ने इतनी अच्छी किताब प्रकाशित की है, मैं उन्हें बधाई देती हूं.

पुरंजय खन्ना ने बताया कि जब मैं दसवीं क्लास में था तब से मैं कविताएं लिख रहा हूं. शुरू से मेरे दिल मे साहित्य और पोएट्री के प्रति बेहद लगाव रहा है. बचपन से मेरी मां ने मुझे काफी कुछ पढ़ाया. मैंने ढेर सारे उपन्यास और किताबें पढ़ीं. कोरोना काल के दौरान पिछले दो वर्षों में मैंने 100 कविताएं लिखी हैं और अब आपके सामने मेरी पहली किताब हाजिर है. मुझे हिंदी में भी काफी रुचि है, अच्छे डायलॉग में मेरी काफी दिलचस्पी है. मुझे उम्मीद है कि इस किताब को हिंदी में अनुवाद करके भी जल्द लाऊं.

पुरंजय खन्ना ने आगे कहा कि बारिश से, दोस्ती से, डिप्रेशन से, अच्छाई और बुराई से मुझे कविताएं लिखने की प्रेरणा मिलती है. कुछ कविताओं की प्रेरणा मुझे सपनों को देखकर मिली. मेरी हर कविता एक दूसरे से काफी अलग है. क्या मतलब है ज़िंदा रहने का? मेरी कविताएं यह सवाल उठाती हैं. अच्छाई है, बुराई है, प्यार है धोखा है आखिर क्या है जिंदगी. हम सबको समझ में नहीं आता कि जिंदगी क्या चीज है. ब्लैक होल में भी हमें पता नहीं चलता कि अंदर क्या है. इस विषय पर एक कविता किताब में शामिल है. मैंने इन कविताओं में जीवन के फलसफे के बारे में भी बात की है. मैंने लिखा है कि लोग खुशियों के पीछे भागते हैं, असलियत यह है कि हमें शांति और संतुष्टि की जरूरत है, उसी से सच्ची खुशी मिलती है. मेरे जीवन की फिलॉसफी भी यह है कि शांति से जियो, दूसरों को मत सताओ, आगे बढ़ते जाओ.

पुरंजय खन्ना के पिता सुनील खन्ना ने कहा कि पुरंजय ने कोविड पीरियड के दौरान अपनी सभी भावनाओं को कविताओं का रूप दे दिया. मुझे अपने बेटे पर बेहद गर्व है और मैं भारत में रिपब्लिक ऑफ एस्टोनिया की एम्बेसडर कैटरीन किवि का बेहद शुक्रिया अदा करता हूं कि उनके हाथों इस किताब को लॉन्च किया गया.

पुरंजय खन्ना की माता अल्का खन्ना ने भी इस अवसर पर अपनी खुशी व्यक्त की और कहा कि आज मैं बहुत खुश हूं, इस शाम का हर लम्हा मैं एन्जॉय कर रही हूं. मेरे पास कहने के लिए शब्द नहीं हैं, मैंने पुरंजय को सिखाया था कि लिखना कैसे है और उसने सेकन्ड स्टार किताब तैयार कर ली. मैं यहां उपस्थित सभी मेहमानों का आभार व्यक्त करती हूं.