Rajasthan: CM अशोक गहलोत ने किया 2422 करोड़ की परियोजना की शुरुआत, 1514 राजस्व गांवों को मिला सीधा लाभ

हनुमानगढ़: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज मुख्यमंत्री आवास से प्रदेश में 2422 करोड़ रुपए की लागत से 1514 राजस्व गांवों को सड़कों से जोडऩे के कार्यों का वर्चुअली शिलान्यास किया. जिला स्तरीय कार्यक्रम कलक्ट्रेट सभागार में जिला कलक्टर रुक्मणि रियार सिहाग की अध्यक्षता में आयोजित किया गया.  इसमें मौजूद जनप्रतिनिधि-अधिकारी राज्य स्तरीय कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से जुड़े. 

इसके साथ ही जिले के सभी ब्लॉक पंचायत समिति सभागार व 20 ग्राम पंचायतों से जनप्रतिनिधि ग्राम पंचायत कार्यालय से वर्चुअल माध्यम से राज्य स्तरीय कार्यक्रम में जुड़े. मुख्यमंत्री ने हनुमानगढ़ जिले के ग्रामीण, जनजातीय एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों में विकास के उद्देश्य से संगरिया के 6 बीजीपी बी, 6 डीएलपी, 5 एनटीडब्ल्यू, भाखरांवाली रोड से तारमाला पुल, बालाजी हनुमान मंदिर से 26 आरडी हेड, टिब्बी के 3 आरके, रावतसर के 1 सीएलडी, 4 बीपीएसएम, 2 जेडब्ल्यूएम, 3 जेबीडी, 10 डीडब्ल्यूडी, 25 डीडब्ल्यूडी, नोहर विधानसभा क्षेत्र के 4 बीकेके, 5 आरपीएम, चक मंदराना, 4 पीआरकेएम, 14 एनडब्ल्यूडी, हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र के 7 जेडीडब्ल्यू, 1 केकेडब्ल्यू, भादरा विधानसभा क्षेत्र के 1 जेएसएल, 5 एनटीआर सहित कुल 21 राजस्व गांवों को नवीन सड़कों से जोडऩे वाले 61.45 किलोमीटर कार्यों का शिलान्यास किया.  24.496 करोड़ की लागत से इन सड़कों का निर्माण होगा. सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता अनिल अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश के गांव-ढाणियों तक विकास की राह को और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से राज्य के गांवों को नवीन सड़कों से जोडऩे की घोषणा की गई थी.

इसी क्रम में वर्ष 2011 की जनगणना अनुसार सामान्य क्षेत्रों में 350 व अधिक आबादी तथा जनजातीय एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों में 250 से अधिक आबादी के 778 राजस्व गांवों को 1192 करोड़ की लागत से एवं जनगणना वर्ष 2011 के पश्चात घोषित सामान्य क्षेत्रों में 500 व अधिक आबादी तथा जनजातीय एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों में 250 से अधिक आबादी के 736 राजस्व गांवों को 1230 करोड़ की लागत से सड़कों से जोडऩे के कार्यों का शिलान्यास किया गया. अधिशासी अभियंता ने बताया कि इन गांवों को नवीन डामर सड़कों से जोड़ा जाएगा. इससे इन गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि सुविधाएं मजबूत होंगी. किसानों को अपनी फसलों को मंडियों तक पहुंचाना आसान हो पाएगा. उनकी परिवहन लागत कम होगी. इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी.