बदरीनाथ: हल्की बर्फवारी और बारिश के बीच गढ़वाल हिमालय के विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट गुरुवार को विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. इसी के साथ उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो गई. अन्य तीन धामों-केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट पहले ही खोले जा चुके हैं.
श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि भगवान बदरीविशाल के मंदिर के कपाट ब्रह्म बेला में पूरे वैदिक मंत्रोचारण एवं विधि विधान के साथ सुबह 7:10 बजे श्रद्वालुओं के लिए खोल दिए गए. उन्होंने बताया कि इस मौके पर पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से की गई. मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर धाम में हजारों की संख्या में श्रद्वालु मौजूद रहे, जिन पर हैलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा भी की गई. इस मौके पर धाम को 15 कुंतल फूलों से सजाया गया था.
तड़के चार बजे कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू होते ही कुबेर जी, उद्वव जी और पवित्र गाडू घड़ा दक्षिण द्वार से मंदिर परिसर में लाया गया. इसके बाद, मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने धर्माधिकारियों, मंदिर समिति के पदाधिकारियों और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना कर मंदिर के कपाट श्रद्वालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए. बारिश और हल्की बर्फबारी के बीच सेना की टुकडी के बैंड की मधुर धुन तथा स्थानीय महिलाओं के पारंपरिक संगीत एवं नृत्य के साथ भगवान बदरीनाथ की स्तुति ने परिसर में मौजूद श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
चारधाम यात्रा के सकुशल संचालन के लिए राज्य सरकार ने तमाम व्यवस्थाएं की:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कपाट खुलने के अवसर पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं और कहा कि चारधाम यात्रा के सकुशल संचालन के लिए राज्य सरकार ने तमाम व्यवस्थाएं की हैं. कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण दो साल बाद पिछले साल पूरी तरह से संचालित हुई चारधाम यात्रा के दौरान देश-विदेश से 47 लाख से अधिक श्रद्धालु चारों धामों के दर्शन के लिए पहुंचे थे. पिछले साल 17,63,549 श्रद्वालुओं ने बदरीनाथ के दर्शन किए थे. इस बार सरकार को तीर्थयात्रियों के और बड़ी संख्या में पहुंचने की उम्मीद है.
केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल को खोले गए थे:
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ इस वर्ष की चारधाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो गई है. केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल को खोले गए थे, जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया के पर्व पर खुले थे. उच्च गढ़वाल क्षेत्र में स्थित चारों धामों के कपाट हर वर्ष सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं और अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा खोले जाते हैं. मान्यता है कि सर्दियों में भगवान की पूजा देवता करते हैं. सोर्स- भाषा