VIDEO: भाजपा और कांग्रेस की कथनी और करनी में बड़ा अंतर, 33 फीसदी सीटों पर महिलाओं को कभी नहीं दिया टिकट, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: नारी शक्ति वंदन विधेयक जब संसद में पेश किया गया तो भाजपा व कांग्रेस दोनों में इसका श्रेय लेने की होड़ मच गई. दोनों दलों के बड़े नेताओं ने लोकसभा व विधानसभा में महिलाओं के 33 फीसदी आरक्षण की जमकर वकालत की. लेकिन पिछले तीस सालों में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो इन नेताओं की कथनी और करनी में बड़ा अंतर किस तरह साफ नजर आता है? इस वर्ष सितंबर में केन्द्र सरकार की ओर से लोकसभा व राज्य सभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्म की मंजूरी के बाद यह विधेयक अब कानून बन चुका है. इस कानून के मुताबिक लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. इसका सीधा मतलब है कि लोकसभा और विधानसभा में कुल जितनी सीटें होंगी, उनमें से 33 फीसदी सीटों पर महिलाएं ही प्रत्याशी हो सकेंगी. इस विधेयक पर लोकसभा और राज्यसभा में जमकर बहस हुई.

इस दौरान भाजपा व कांग्रेस दोनों के नेताओं में महिलाओं को आरक्षण देने संबंधी विधेयक लाने को लेकर श्रेय लेने की की होड़ सी रही. लेकिन प्रदेश में पिछले तीस साल में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस व भाजपा दोनों ने कभी भी 33 फीसदी सीटों पर महिलाओं को प्रत्याशी नहीं बनाया. फर्स्ट इंडिया न्यूज ने वर्ष 1993 से लेकर वर्ष 2018 तक छह बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के टिकट वितरण के आकड़ों की पड़ताल की. इस पड़ताल में सामने आया कि 33 फीसदी तो दूर इन पार्टियों ने अधिकतम अब तक 14 से साढ़े 15 फीसदी सीटों पर ही महिलाओं को प्रत्याशी घोषित किया है.

राजस्थान विधानसभा चुनाव:

-वर्ष 1993 के चुनाव में भाजपा ने 8 और कांग्रेस ने 12 महिलाओं को टिकट दिया
-वर्ष 1998 के चुनाव में भाजपा ने 8 और कांग्रेस ने 16 महिलाओं को टिकट दिया
-वर्ष 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने 18 और भाजपा ने 22 महिलाओं को मैदान में उतारा
-वर्ष 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने 23 और भाजपा ने 31 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया
-वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने 24 और भाजपा ने 26 सीटों पर महिला प्रत्याशी घोषित किए
-वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 27 और भाजपा ने 23 महिलाओं को टिकट दिया
-भाजपा ने वर्ष 2008 के चुनाव में सबसे अधिक 31 महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था
-कांग्रेस ने इस बार वर्ष 2023 के चुनाव में सबसे अधिक 28 महिलाओं को टिकट दिया है
-भाजपा ने वर्ष 1993 और 1998 के चुनाव में सबसे कम केवल 8 महिलाओं को ही टिकट दिया
-कांग्रेस ने वर्ष 1993 में सबसे कम केवल 12 महिलाओं को ही टिकट दिया 
-पिछले तीस सालों में वर्ष 2013 में हुए चुनाव में सबसे अधिक 28 महिला उम्मीदवार विजयी हुई
-जबकि वर्ष 1993 में सबसे कम केवल 9 महिला प्रत्याशी ही जीत दर्ज कर पाई

लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी महिला आरक्षण का समर्थन करने वाले भाजपा व कांग्रेस नेताओं की कथनी और करनी में अंतर इस बार भी नजर आया. प्रदेश में हो रहे इस बारे के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 28 और भाजपा ने केवल 20 महिलाओं को ही टिकट दिया है. नेताओं की कथनी और करनी में अंतर नहीं होता तो दोनों पार्टियां कुल 200 में से 66 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को उतारती. पिछले तीस साल में छह बार हुए विधानसभा चुनाव में आकड़ों पर नजर डालें तो कई दिलचस्प पहलु सामने आते हैं.

राजस्थान विधानसभा चुनाव:

-पिछले तीस साल में हुए चुनावों में भाजपा ने कभी भी 15.5% से अधिक सीटों पर महिलाओं को टिकट नहीं दिया
-इसी तरह कांग्रेस ने भी कभी भी 14% से अधिक सीटों पर महिलाओं को टिकट नहीं दिया
-महिला उम्मीदवारों की जीत और कांग्रेस के सत्ता में काबिज होने के बीच भी एक अजब संयोग है
-पिछले तीस साल में हुए इन छह चुनाव में जब भी कांग्रेस की महिला उम्मीदवार बहुत कम संख्या में जीती
-तब कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता से दूर होना पड़ा है
-वर्ष 1993 में कांग्रेस की 12 महिला उम्मीदवारों में से महज तीन ने जीत दर्ज की
-वर्ष 2003 में कांग्रेस की 18 महिला उम्मीदवारों में से महज एक उम्मीदवार ही जीत सकीं
-वर्ष 2013 में भी मैदान में उतरी 23 महिला प्रत्याशियों में से केवल एक प्रत्याशी ही जीत सकीं
-प्रदेश में हुए इन तीनों चुनाव में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा