VIDEO: शावक से सब एडल्ट हुए T-114 के दोनों बच्चे, शावकों को रीवाइल्ड करने का साहस नहीं जुटा पा रहा वन विभाग, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : बाघ का जंगल में रहना उसका कुदरती अधिकार है. विडंबना है राजस्थान में इस अधिकार की पालना बड़ी मुश्किल से हो पाती है. बाघ के घर में इंसान घुसे और बाघ उस पर हमला कर दे तो सजा बाघ को मिलती है. बाघिन मर जाए और उसके नन्हे शावकों को पिंजरे में भेज दिया जाए ऐसा भी यहीं पर होता है. बाघिन टी 114 और टी 79 के शावकों को रीवाइल्ड करने का साहस वन विभाग नहीं जुटा पा रहा. अब वन्यजीव प्रेमी शावकों की रिवाइल्डिंग को लेकर मुखर हो रहे हैं.

- एन्क्लोजर में ही शावक से सब एडल्ट हुए टी 114 के दोनों बच्चे
- डेढ़ वर्ष से ज्यादा हो गई है टी 114 के दोनों सब एडल्ट की उम्र
- मेल सब एडल्ट डेढ़ वर्ष की आयु के बाद मां को छोड़ बना लेता है टैरेटरी
- लेकिन वन प्रशासन की लेटलतीफी से दोनों सब एडल्ट अभी सीख रहे मुर्गी, बकरी का शिकार
- आखिर वन विभाग क्यों दोनों बाघ सब एडल्ट की नहीं कर पा रहा रिवाइल्डिंग ?
- बाघिन टी 114 के दोनों शावकों की मंजूरी के बाद भी नहीं हुई अभी तक रिवाइल्डिंग 
- NTCA ने मई में ही दे दी थी रिवाइल्डिंग की मंजूरी
- PCCF & CWLW पवन उपाध्याय ने NTCA के सदस्य सचिव गोविंद सागर भारद्वाज से की थी बातचीत
- दोनों शावकों की अनुमति के संबंध में बातचीत और इसके बाद जारी हुई थी मंजूरी
- दोनों की उम्र हुई करीब 19 महीने लेकिन अभेडा में एनक्लोजर में बिता रहे जीवन
- पिछले वर्ष 31 जनवरी को इनकी मां बाघिन टी 114 की मौत के बाद दोनों को रणथंभौर से भेजा था अभेडा
- मादा शावक मुकंदरा और नर शावक को भेजा जाना है रामगढ़ विषधारी
- मौसम भी अनुकूल लेकिन संभवतः दोनों के भविष्य का भय रिवाइल्डिंग में डाल रहा अड़चन
- और देरी हुई तो भय के सच्चाई में बदलने में नहीं लगेगी देर, बेहतर हो एक सप्ताह में कई जाए रिवाइल्डिंग
- हालांकि CWLW पवन उपाध्याय व NTCA प्रतिनिधि एचएस नेगी कर रहे विषधारी/मुकंदरा दौरा
- दोनों शावकों की रिवाइल्डिंग की संभावना व अन्य व्यवस्थाओं का ले रहे जायजा

मुकंदरा में बाघ पुनर्वास के लिए हाथ पैर मार रहा वन विभाग बाघिन टी 114 के सब एडल्ट दोनों बच्चों की रिवाइल्डिंग का साहस नहीं जुटा पा रहा है. इधर वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि रिवाइल्डिंग में देरी करने से दोनों बाघ न केवल अपने पैदाइशी गुण, शिकार करने की ताकत, जंगल में रहने के जुनून से महरूम रह जाएंगे वरन उनका जंगल में देरी से छोड़ने पर सरवाइव करना भी मुश्किल हो जाएगा. दोनों सब एडल्ट शावक 19 महीने से ज्यादा के हो चुके हैं और उन्हें अभेडा के बायोलॉजिकल पार्क में अभी मुर्गी मारना और बकरे का शिकार करना ही सिखाया जा रहा है. वन्य जीव प्रेमियों की मां है तो बाग कोई खेलने की वस्तु नहीं बल्कि इकोसिस्टम में शामिल एक महत्वपूर्ण अपेक्स प्रेडेटर है और जंगल में रहना उसकी पैदाइशी हक है. 

दरअसल रणथंभौर में इस वर्ष की शुरुआत में 31 जनवरी को बाघिन टी 114 की मौत हो गई थी और उसके बाद दोनों शावकों को बचाने के लिए वन विभाग ने कोटा के अभेडा बायोलॉजिकल पार्क में भेजने का फैसला किया था. अब इनकी रिवाइल्डिंग के लिए एनटीसीए से भी अनुमति मिल चुकी है. मादा शावक को मुकुंदरा और नर शावक को रामगढ़ विषधारी छोड़ना है.. लेकिन वन विभाग इनको जंगल में छोड़ने का साहस नहीं जुटा पा रहा है.

रामगढ़ विषधारी प्रदेश का तेजी से उभरता हुआ टाइगर रिजर्व है, जबकि मुकुंदरा को टाइगर रिजर्व का दर्जा पहले से मिल चुका है. वहां बाघ पुनर्वास के दो प्रयास बुरी तरह विफल भी रहे हैं. बाघिन टी 114 के शावकों को जल्द ही रिवाइल्ड नहीं किया तो वे पिंजरे के बाघ बनकर रह जाएंगे और इसका पूरा दोष वन विभाग पर होगा. इसलिए बेहतर होगा कि दोनों को जंगल में रिलीज किया जाए और नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बाघिन टी 79 के शावक रणवीर को भी रिवाइल्ड करने के प्रयास अभी से तेज किए जाएं.