VIDEO: पशुओं में नस्ल सुधार! भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक की शुरुआत, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान में एक नई शुरुआत हुई है. अब प्रदेश की पुरानी और उन्नत नस्ल की देशी गायों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी. नस्ल सुधार के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण की शुरुआत की गई है. पहला केन्द्र पाली जिले के जोजावर में खोला गया है, जहां पहले दिन 17 गायों में एक साथ भ्रूण प्रत्यारोपण किया गया. क्या है राज्य सरकार की यह योजना और किस तरह पशुपालक लाभान्वित होंगे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा के अनुसार देशी गोवंश में एंब्रियो ट्रांसप्लांट यानी भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक अब हकीकत में तब्दील हो गई है. इसके पहले केंद्र की शुरुआत पिछले रविवार को पाली जिले के जोजावर में स्थित त्रिवेणी महादेव जिनेन्द्र गौशाला से हुई.

देशी गोवंश के आनुवांशिक गुणों के संरक्षण एवं संवर्धन को इससे बढ़ावा मिलेगा. इस योजना से कम समय में गुणवत्तायुक्त संतति उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. इस तकनीक से प्रदेश में थारपारकर, गिर व राठी नस्ल की उन्नत व उच्च आनुवांशिक गोवंश की संख्या में वृद्धि होगी. साथ ही दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री गहलोत के सलाहकार निरंजन आर्य भी पहुंचे. इस तकनीक से गोवंश को संरक्षण मिलेगा और गोवंश बेघर नहीं रहेंगी. दरअसल इस तकनीक के जरिए आवारा और मां बनने में अक्षम गौवंश के भी भ्रूण प्रत्यारोपण किया जा सकेगा, जिससे वे बछड़ियों को जन्म दे सकेंगी. इस योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा पशुपालकों व आमजन को मिले, इसके लिए शुरुआत में तीन केन्द्र जयपुर, बीकानेर और उदयपुर स्थित वेटरनरी कॉलेजों में शुरू किए जा रहे हैं. 

कैसे फायदा मिलेगा भ्रूण प्रत्यारोपण योजना में:
- जयपुर, बीकानेर व उदयपुर के वेटरनरी कॉलेजों में प्रयोगशालाएं बनाई जा रही
- भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक प्रयोगशालाएं राजुवास यूनिवर्सिटी व पशुपालन विभाग बना रहा
- शुरुआत में 8 केन्द्र बनेंगे, इसके लिए 8 पशु चिकित्सकों ने देहरादून से प्रशिक्षण लिया
- इन 3 वेटरनरी कॉलेजों के लिए 6 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दी गई
- पाली के जोजावर ट्रांसप्लांट केन्द्र के लिए 145 लाख रुपए स्वीकृत किए गए
- इस तकनीक में भ्रूण तैयार करने का कार्य राजुवास यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ करेंगे
- जबकि तैयार भ्रूण को गाय की गर्भनाल में प्रत्यारोपण पशु चिकित्सक करेंगे

खास बात यह है कि इस तकनीक के जरिए प्रदेश की उन्नत नस्ल की गायों का संरक्षण और संवर्धन किया जा सकेगा. नस्ल सुधार की पुरानी तकनीकों में समय अधिक लगता था, लेकिन इससे कम समय में अधिक से अधिक पशुओं में नस्ल सुधार किया जा सकता है. इससे एक तरफ जहां अच्छी नस्ल का गौवंश पैदा होगा, दूसरी तरफ दुग्ध उत्पादन बढ़ने से पशुपालकों की आय में भी बढ़ोतरी होगी.

ये होंगे इस कार्यक्रम के फायदे:
- कम समय में उच्च आनुवंशिक वरीयता प्राप्त गौवंश उत्पन्न होगा
- गुणवत्तायुक्त संतति उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा
- दुधारू देशी थारपारकर गिर व राठी नस्ल की उन्नत गायें उत्पन्न हो सकेंगी
- भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से दुग्ध उत्पादन में भी होगी वृद्धि

हालांकि अभी भ्रूण प्रत्याराेपण की यह तकनीक शुरुआती दौर में है और प्रदेश में केवल एक केन्द्र पाली के जोजावर में ही शुरू हाे सका है. जल्द ही जयपुर, उदयपुर और बीकानेर में भी केन्द्र शुरू हो जाएंगे. इसके बाद बचे हुए संभाग मुख्यालयों जोधपुर, कोटा, भरतपुर और अजमेर में ये केन्द्र शुरू करने होंगे. जरूरत इस बात की है कि राज्य सरकार इसे तीव्र गति से क्रियान्वित करे, जिससे कम समय में अधिक पशुपालक लाभान्वित हो सकें.