CM गहलोत की 6 हजार ग्राम पंचायतों को ग्रामीण बस सेवा से जोड़ने की योजना विफल, अभी करना पड़ेगा और इंतजार !

जयपुर: प्रदेश के ग्रामीण इलाके के लोगों को रोडवेज बसों की सुविधा से अभी और महरूम रहना पड़ेगा. अधिकारियों की लापरवाही की वजह से सीएम अशोक गहलोत की 6 हजार ग्राम पंचायतों को ग्रामीण बस सेवा से जोड़ने की योजना विफल हो गई है. 

दो साल पहले सीएम अशोक गहलोत ने पिछली सरकार की तर्ज पर सभी ग्राम पंचायतों को ग्रामीण बस सेवा से जोड़ने की घोषणा की थी. तत्कालीन रोडवेज अधिकारियों ने डेढ़ साल तक इस योजना का टेंडर करना तो दूर प्रस्ताव तक तैयार नहीं किया. यही कारण रहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की यह महत्वाकांक्षी योजना परवान नहीं चढ़ पाई. प्रदेश में अधिकतर ग्रामीण इलाकों में रोडवेज बस की सुविधा नहीं होने से ग्रामीण इलाके के लोगों को निजी और डग्गेमार वाहनों में यात्रा करनी पड़ रही है.

अगर सीएम के ऐलान के साथ ही रोडवेज के अधिकारी इस योजना को मूर्त रूप देने की गंभीरता से कोशिश करते हैं तो ग्रामीण इलाके के लोगों को परिवहन की सुगम सुविधा उपलब्ध हो सकती थी. हालांकि वर्तमान रोडवेज एमडी नथमल डिडेल ने घोषणा को गंभीरता से लिया और शुरूआत में जयपुर और जोधपुर संभाग की पंचायतों को बस सेवा से जोड़ने के लिए टैंडर जारी किए. जयुपर, दौसा और अलवर के लिए ऑपरेटर्स ने टेंडर में भाग लिया, लेकिन ग्रामीण बस सेवा को पिछला भुगतान नहीं होने की वजह से बस ऑपरेटर्स ने विरोध शुरू कर दिया और बस सेवा शुरू करने से मना कर दिया. 

सरकार की अब यह घोषणा पूरी होने की संभावना नजर नहीं आ रही:
घोषणा के तहत शुरुआत में 11 जिलों की 2600 पंचायतों को ग्रामीण बस योजना से जोड़ना था. ऐसे में सरकार की अब यह घोषणा पूरी होने की संभावना नजर नहीं आ रही है, क्योंकि अक्टूबर में चुनाव के लिए आचार संहिता लग जाएगी. कांग्रेस सरकार ने पिछले कार्यकाल में भी ग्रामीण बस सेवा शुरू की थी, लेकिन 6 साल बाद भी बस ऑपरेटर्स को 16 करोड रुपए भुगतान नहीं हो पाया है. यह स्थिति तो तब है जबकि सरकार ने रोडवेज को (वाइबिलिटी गैप फंड) का भुगतान कर चुकी है. समय पर भुगतान नहीं मिलने की वजह से अधिकतर प्राइवेट बस ऑपरेटर्स बैंक डिफॉल्टर हो गए. अधिकारियों ने बिना गलती के प्राइवेट बस ऑपरेटर्स पर करोड़ रुपए के जुर्माना लगा कर राशि में कटौती कर ली. 

  

ग्रामीण इलाकों में रोडवेज बसों की कनेक्टिविटी पूरी तरह से बंद हो गई:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पिछली सरकार के कार्यकाल में ग्रामीण परिवहन बस सेवा शुरू की गई थी जिसके जरिए अधिकतर ग्राम पंचायत मुख्यालय को रोडवेज की ग्रामीण परिवहन सेवा से जोड़ा गया था. इसका फायदा यह हुआ की प्रदेश के अधिकतर ग्रामीण इलाकों में लोगों को परिवहन की सुविधा मिली. लेकिन बाद में इस योजना को बंद कर दिया गया. मौजूदा समय में रोडवेज के पास बेसन का भारी संकट है. इसलिए ग्रामीण इलाकों में रोडवेज बसों की कनेक्टिविटी पूरी तरह से बंद हो गई है.

मौजूद अधिकारी इस सुविधा को फिर से शुरू करने की पूरी कोशिश कर रहे:
रोडवेज की बस सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण ग्रामीणों को मजबूरन ऑटो निजी बस या अन्य तरह के डग्गेमार वाहनों में यात्रा करनी पड़ रही है जिस कारण सड़क हादसों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. सीएम गहलोत की भी यही मंशा थी कि लोगों को आवागमन की सुगम सुविधा उपलब्ध कराई जा सके लेकिन रोडवेज के तत्कालीन अधिकारियों की हठ धर्मिता के कारण ग्रामीण इलाके के लोगों को यह सुविधा नहीं मिल पाई. आलम के रोडवेज के मौजूद अधिकारी अभी भी कुछ संभागों में इस सुविधा को फिर से शुरू करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन पुराना भुगतान नहीं होने के कारण चल रहे विवाद और प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए अब इसकी उम्मीद ना के बराबर है.