आखिर फिर कैसे कांग्रेस में होगा अनुशासन कायम ? विधानसभा-लोकसभा चुनाव प्रत्याशियों ने की थी गंभीर शिकायतें

जयपुरः आखिर फिर कैसे कांग्रेस में अनुशासन कायम होगा. क्योंकि नेतृत्व ही अनुशासनहीनता को लेकर गंभीर नहीं है. जी हां, करीब 6 माह पहले राजस्थान कांग्रेस अनुशासन कमेटी की बैठक हुई थी. जिसमें कमेटी ने करीब दो दर्जन अनुशासनहीनता से जुड़े प्रकरणों पर एक्शन लेने के लिए प्रदेश नेतृत्व को सिफारिश की थी. लेकिन पीसीसी चीफ ने अभी तक एक भी मामले में कोई कार्यवाही नहीं की है. 

विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में गुटबाजी और भीतरघात की वजह से कांग्रेस को कईं सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में पार्टी के प्रत्याशियों ने अपने ही 22 नेताओं पर हार का ठीकरा फोड़ा और बाकायदा प्रदेश नेतृत्व को सबूतों सहित लिखित में शिकायत भी की. शिकायतों के निवारण के लिए फिर अनुशासन कमेटी का गठन किया गया. जिसमें पूर्व मंत्री उदयलाल आंजना को अध्यक्ष और हाकम अली,शकुंतला रावत और विनोद गोठवाल को सदस्य बनाया गया. 

करीब 10 साल बाद अनुशासन कमेटी की बैठक हुई
6 जुलाई 2024 को पीसीसी में यह बैठक हुई थी
उससे पहले चंद्रभान के अध्यक्ष काल में आखिरी बैठक हुई थी
पहली बैठक में 22 प्रकरणों पर मंथन हुआ था
जिसमें प्रत्याशियों ने सबूतों के साथ गंभीर शिकायत की थी
जैसे कांग्रेस नेताओं ने ही विपक्ष के प्रत्याशियों का खुलकर साथ दिया
पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार के लिए घर से बाहर तक नहीं निकले
ऑडियो और वीडियो क्लिप जैसे सबूत शिकायतों के साथ पेश किए
कमेटी ने शिकायतों को गंभीर मानते हुए पीसीसी चीफ से सिफारिश की
पार्टी से बाहर करने की अनुशंसा फिर प्रदेश नेतृत्व से की

कांग्रेस का कोई भी नेता जवाब देने की स्थिति में नहींः
ताज्जुब की बात है कि कमेटी को सिफारिश किए हुए अब तक 6 माह हो चुके है. लेकिन एक भी प्रकरण में अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ है. यानी अभी तक तो किसी भी नेता को बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया है. कितने प्रकरण में नोटिस जारी किए गए और कितने नेताओं ने फिर जवाब दिए या नहीं दिए. इसके बारे में प्रदेश कांग्रेस का कोई भी नेता जवाब देने की स्थिति में नहीं है. 

पार्टी लाइन से जाकर बोलने से भी नहीं चूकतेः
आज कांग्रेस पार्टी जिस कमजोर दौर से गुजर रही है. उसमें सबसे बड़ा कारण है नेताओं की गुटबाजी और खींचतान. ऐसे में हाईकमान अगर सख्त एक्शन अनुशासनहीनता को लेकर लेता है तो इससे पार्टी में एक अच्छा संदेश जाता. लेकिन अफसोस प्रदेश कांग्रेस लीडरशिप इस मामले को लेकर उदासीन है. यही वजह है कि नेताओं के हौसले बुलंद है और कईं दफा खुलकर पार्टी लाइन से जाकर बोलने से भी नहीं चूकते.