VIDEO: कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान में दावेदारों का शक्ति प्रदर्शन, कई जगह खुलकर सामने आई गुटबाजी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : जिला अध्यक्षों के चयन के लिए राजस्थान में जारी संगठन सृजन अभियान में कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी है. पर्यवेक्षकों की बैठकों और रायशुमारी के दौरान दावेदारों की शक्ति प्रदर्शन के चलते यह गुटबाजी की नौबत सामने आ रही है. अजमेर और कोटा  में तो जमकर दो पक्षों में नारेबाजी हुई. वहीं दौसा में राहुल गांधी की भावना के विपरीत सीनियर लीडर्स ने सहमति से फिर से मौजूदा अध्यक्ष को रिपीट करने का सुझाव दे डाला. 

कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी के मजबूती के लिए जिला अध्यक्षों को फिर से सियासी ताकत देने का फैसला किया है. जिसके तहत पर्यवेक्षकों के जरिए जिला अध्यक्ष चयन करने का गुजरात मॉडल लागू किया है. इस मॉडल के तहत हर पर्यवेक्षकों को सभी से रायशुमारी करते हुए तीन से छह नामों का पैनल बनाकर ले जाना है. लेकिन उसके बावजूद राजस्थान में कईं नेता इस प्रक्रिया के विपरीत बर्ताव कर रहे हैं. दावेदारों औऱ नेताओं ने इस सिस्टम को शक्ति प्रदर्शन का जरिया बना लिया है. ऐसे में संगठन सृजन अभियान के तहत कईं जगह गुटबाजी के रंग देखने को मिल रहे हैं.

-जिला अध्यक्षों के चयन के लिए संगठन सृजन अभियान जारी
-पर्यवेक्षकों के सामने दावेदार कर रहे है शक्ति प्रदर्शन
-कईं जगह खुलकर आई गुटबाजी सामने 
-कोटा में प्रहलाद गुंजल औऱ शांति धारीवाल के समर्थन हुए आमने-सामने
-अजमेर में गहलोत और पायलट समर्थकों में हुई तनातनी
-शक्ति प्रदर्शन और नारेबाजी के चलते गुटबाजी खुलकर आई सामने
-दौसा में  नेताओं ने एक सुर में फिर से मौजूदा अध्यक्ष को रिपीट का दिया तर्क

संगठन सृजन अभियान के तहत पर्यवेक्षकों को अभी 20 अक्टूबर तक रायशुमारी करते हुए फाइनल रिपोर्ट तैयार करनी है. ऐसे में आने वाले दिनों में कई और जिलों में भी अंदरुनी खींचतान खुलकर सामने आ सकती है. वहीं गुटबाजी के सवालों पर पार्टी नेतृत्व का कहना है कि दावेदारों में काफी जोश है. जिसके चलते शक्ति प्रदर्शन और नारेबाजी हो जाती है. गोविंद डोटासरा ने कहा कि सबको अपनी दावेदारी जताने और राय जाहिर करने का अधिकार है. लेकिन गुटबाजी जैसी कोई बात नहीं है क्योंकि सभी दावेदार कांग्रेस पार्टी के सच्चे सिपाही है.

वहीं दौसा में तो सभी सीनियर नेताओं ने अभियान और राहुल गांधी के भावना के विपरीत आपसी सहमति से अध्यक्ष चुनने का सुझाव तक दे डाला. अधिकतर नेताओं ने पर्यवेक्षक के समक्ष मौजूदा अध्यक्ष को ही फिर से मौका देने का सुझाव दिया. बहरहाल, दावेदार भले ही शक्ति प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे हो. चाहे फिर अपने तरीके से कोई भी सुझाव दे. लेकिन पर्यवेक्षकों को हाईकमान के साफ निर्देश है कि आपको सभी से चर्चा करके निष्पक्ष रूप से नामों का पैनल लाना है. लेकिन उसके बावजूद दावेदार और नेता हंगामा करने से बाज नहीं आ रहे. लेकिन उनके ऐसा करने से पार्टी की जरूर किरकिरी हो रही है.