जल जीवन मिशन में फिर भ्रष्टाचार उजागर ! राजसमंद के आमेट में हुई गड़बड़ियां, एक्सईएन रामलाल मीना को किया सस्पेंड; जानिए क्या है पूरा मामला

जयपुर: प्रदेश में जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार के रोज नए मामले खुल रहे है. अब राजसमंद के आमेट भाकरोदा जल योजना में भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है. दरअसल जिन पाइप लाइन का फैक्ट्री में उत्पादन ही पूरा नहीं हुआ, उनकी पहले ही जांच का दावा करके एक इंजीनियर ने भुगतान करने का आदेश दे दिया. जांच में मामला पकड़ में आने पर अब तत्कालीन एक्सईन रामलाल मीना को सस्पेंड कर दिया गया है और उसके खिलाफ 16 सीसीए की कार्रवाई शुरू कर दी है.

दरअसल, भाकरोदा जल योजना में भगवती इरिेगेशन द्वारा उत्पादित 90 एमएम और 75 एमएम के पाइप उपयोग में लिए गए थे. इन दोनों साइज के पाइपों का फैक्टी इंस्पेक्शन तत्कालीन एक्सईन रामलाल मीना ने 9 जुलाई 2022 को कर लिया और 6 अगस्त 2022 को इनवाइस जारी कर दी. कुछ दिनों बाद ही 25 अगस्त को इन पाइपों का 70 फीसदी भुगतान को सत्यापित कर दिया. लेकिन मामला तब खुला जब 29 सितंबर 2022 को भगवती इरिगेशन ने पत्र लिखकर उत्पादन प्रक्रियाधीन पाइपों का निरीक्षण करने की बात की. 

यह मामला सामने आने पर जांच की गई. जांच में पाया गया कि जिन पाइपों की QAP अनुमोदित की गई, उन पाइपों का फैक्टी इंस्पेक्शन QAP अनुमोदित किए जाने से लगभग ढाई महीने पहले ही तत्कालीन एक्सईन रामलाल मीना ने कर लिया. साथ ही मीना ने भुगतान की प्रक्रिया भी शुरू कर दी. यानि जब 29 सितंबर 2022 को पाइप का उत्पादन हो रहा था, तब उससे ढाई महीने पहले ही एक्सईन मीना ने कौनसी पाइप का फैक्ट्री इंस्पेक्शन कर लिया. ऐसे में जांच में पाया गया कि पाइपों की खरीद की पूरी प्रक्रिया ही संदिग्ध नजर आती है.

जांच रिपोर्ट में पाया गया कि पाइनों को QAP द्वारा अनुमोदित किए जाने से पहले ही फैक्ट्री इंस्पेक्शन करना व भुगतान की प्रक्रिया शुरू करना अनुबंध की शर्तों का खुला उल्ंघन है. ऐसे में एक्सईन रामलाल मीना को वित्तीय अनियमितता व पद के दुरुपयोग का दोषी पाया गया. अब जलदाय विभाग ने एक्सईन को सस्पेंड करते हुए उसके खिलाफ 16 सीसीए की कार्रवाई शुरू कर दी है. निलंबन काल के दौरान मीना का मुख्यालय कोटा रहेगा. जलदाय विभाग के उप सचिव गोपाल सिंह ने इस बारे में आदेश जारी कर दिए है. 

भाकरोदा एक मात्र प्रोजेक्ट नहीं, जहां पर अनियमितता हुई: 
दरअसल, भाकरोदा एक मात्र प्रोजेक्ट नहीं है, जहां पर अनियमितता हुई है. यह मामला जो जांच में खुल गया. बल्कि प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में जल जीवन मिशन के प्रोजेक्टस में ऐसी ही गड़बडियां खुलेआम चल रही है. कहीं पर घटिया पाइप काम में लिए जा रहे हैं, तो कहीं पर कम गहराई में पाइप डालकर इतिश्री की जा रही है. कई बड़े ठेकेदारों ने तो फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर करोड़ों के टेंडर अपने नाम कर लिए. अलवर, शाहपुरा, सीकर, झुंझुनूं में भी जल जीवन मिशन के प्रोजेक्ट्स में अनियमितता व भ्रष्टाचार के कई मामलों की शिकायत हो चुकी है. अब देखना यह है कि क्या विभाग पूरी पारदर्शिता के साथ अन्य शिकायतों पर भी कोई कार्रवाई करेगा या नहीं