जयपुरः मुख्य सचिव सुधांश पंत के 1 साल का कार्यकाल अनुशासन और मर्यादाओं से भरा रहा है. उन्होंने अपने कार्य व्यवहार और लगातार दौरे,निरीक्षण और मॉनिटरिंग के जरिये सक्रिय व्यवहार के जरिये गुड गवर्नेंस की परिकल्पना को साकार किया है. इसके चलते भजनलाल सरकार गवर्नेंस विथ डिफ्रेंस की छवि बना पाई है.
भजनलाल सरकार के आने के एक साल में जो प्रशासनिक स्थिरता की स्थिति देखने को मिल रही है, इसका खासा श्रेय सीएस सुधांश पंत को जाता है. अपने 3 माह के कार्यकाल में उन्होंने बुनियादी प्रशासनिक ढांचे के पूर्व के ही मानकों को फील्ड में आजमाकर सिस्टम के पारंपरिक ढर्रे को तोड़ने और बदलने की कोशिश की है.
1. ई फाइलिंग में समयबद्धता पर दिया जोर
सुधांश पंत के कार्यकाल में करीब 1 साल में पूरी तरह से इस पर जोर रहा कि कौन अफसर कितनी देर में फाइलों का निपटारा करता है.
इसके लिए एप विकसित किया गया जिसके जरिये मोबाइल से अफसर कार्यालय समय बाद में और रात में भी फाइल्स निपटारा करते हैं.
इसके जरिये फाइल्स की पेंडेंसी कम हो रही है और अफसरों व पूरी ब्यूरोक्रेसी का फाइल निपटारे का औसत समय कम हुआ है.
बड़ी उपलब्धि यह रही कि सारे कलेक्टर्स का औसत फाइल निस्तारण समय आया 2 घंटे का
सचिवों और अन्य IAS का भी औसत फाइल डिस्पोजल समय आया कम
खुद मुख्य सचिव का औसत फाइल निपटारा कम होकर आया 45 मिनट जो कि अब और कम हो रहा है.
सचिवों और अन्य IAS का भी औसत फाइल डिस्पोजल समय आया कम
पहले 1 फाइल का निस्तारण समय हुआ करता था 72 घंटे
गत जनवरी तक जहां औसतन 36 घंटे लग रहे थे,
वहीं मई माह में यह अवधि घटकर मात्र 2 घंटे 23 मिनट रह गई है और अब करीब दो घंटे रह गई है
साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव,सचिव के स्तर पर भी औसत घटा
ई-फाइल के निष्पादन का समय औसतन 22 घंटे से घटकर 6 घंटे ही रह गया उनका समय
कलेक्टर,संभागीय आयुक्त कार्यालय स्तर पर भी ई फाइलिंग लागू करना.
सरकारी कामकाज को आसान बनाने के लिए सचिवालय में ई फाइलिंग की हुई थी शुरुआत.
इसके तहत फाइल को ऑनलाइन ही भेजने,उस पर नोटिंग करने,अनुमोदन करने और निस्तारण करके आदेश जारी करने का काम सफलतापूर्वक लागू किया गया.
अब पूर्व सीएस उषा शर्मा की इस मुहिम को 1 मार्च से सीएस सुधांश पंत ने कलेक्ट्री और संभागीय आयुक्त कार्यालयों में लागू किया.
2. ई फाइलिंग निपटारे की समयबद्धता का हुआ असर
राजस्थान सम्पर्क पर शिकायतों का निस्तारण समय 30 दिन घटा
संपर्क पोर्टल पर शिकायतों के निस्तारण में लगने वाला औसत समय भी घटा
इस वर्ष यह घटकर 16 दिन रह गया है
गत वर्ष तक इन शिकायतों के निस्तारण की औसत अवधि 46 दिन थी
शिकायतों के निस्तारण को लेकर लोगों की संतुष्टि का स्तर भी 3-4 प्रतिशत बढ़ा है
3.समय पालन पर खास जोर
कार्यकाल संभालने के साथ ही उन्होंने समय पालन पर खास जोर दिया.
इसकी शुरुआत उन्होंने खुद सुबह 9.15 बजे आकर और रात नौ बजे तक काम करके की.
साथ ही लगातार औचक निरीक्षणों से उन्होंने सरकारी कार्यालयों में कामकाज का सिस्टम बनाने की कोशिश की.
4.फाइलों को मेंटेन रखने,PUC कम करने,फाइल डिस्पोजल एवरेज
सरकारी कामकाज को गति देने के लिए सीएस ने फाइल डिस्पोजल का एवरेज टाइम तो तय किया ही,उसकी मॉनिटरिंग के भी एचओडी को निर्देश दिए हैं.
साथ ही पेपर अंडर कंसीडरेशन यानि पीयूसी की स्थिति कम हो,इस पर जोर देते हुए 24 घंटे में निपटारे के लिए कहा है.
इसके जरिये राजकाज सॉफ्टवेयर को अपडेट करके एवरेज फाइल डिस्पोजल का फीचर जोड़ा और जिसके 24 घंटे से कम का एवरेज फाइल डिस्पोजल हो उसे ठीक करने के उपाय संबंधी भी निर्देश दिए हैं.
5.कार्यालय समय में व्यर्थ भटकने पर रोक
सरकारी कार्यालयों में ये शिकायतें रहती हैं कि अक्सर सीट पर कर्मचारी नहीं मिलते.
इसके चलते सीएस ने कार्यालय समय में कर्मियों के इधर-उधर नहीं जाने के निर्देश दिए. साथ ही लंच के बाद फिर अपने सेक्शन में,अपनी सीट पर आने के निर्देश दिए.
6.ऑफिस का डेकोरम मेंटेन करने के निर्देश
सरकारी कार्यालयों का डेकोरम मेंटेन करते हुए आपसी व्यवहार में संयम बरतने,शांति रखने के भी निर्देश जारी किए हैं जिससे ऑफिसों का माहौल सही रहे.
आगंतुकों,आम लोगों से विनम्रतापूर्वक व्यवहार करने,शिष्टाचार पर खास ध्यान देने के भी निर्देश.
राजकार्य के जल्द गुणवत्तापूर्ण निस्तारण हेतु आईटी का अधिकाधिक प्रयोग करने के भी दिए निर्देश.
7.साफ-सफाई पर खास जोर
इसी के तहत कार्यालयों में रोज की गंदगी दूर करने,अनुपयोगी सामान का तय समय पर निस्तारण करने के निर्देश.
8.इन बिंदुओं के आधार पर तय की ब्यूरोक्रेसी की परख
की परफॉर्मेंस इंडीकेटर्स (KPI)
-हर मुख्य सचिव की तरह सीएस सुधांश पंत ने भी पिंक लेटर्स में बताए बिंदु का निपटारा अपनी प्राथमिकता बनाया हुआ है.
-किसी अधिकारी या विभाग की ओर से सबसे ज्यादा प्रायोरिटी में किए जानेवाले कार्य पिंक लेटर्स के तहत आते हैं.
-इसके तहत अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण, अभियोजन स्वीकृति, वीआईपी के विभाग या मुख्य सचिव कार्यालय में भेजे गए पत्र में बताए बिंदु या समस्या का निपटारा शामिल है.
-इन इंडिकेटर्स में विभाग से जुड़ी संपर्क पोर्टल पर की गई शिकायतों का निपटारा भी शामिल है.
-इसी के साथ क्लियर्स पोर्टल पर आने वाले पत्रों का समाधान भी प्राथमिकता वाले बिंदु में शामिल है.
केन्द्र की ओर से राज्यों के विभागों को दिए निर्देशों की पालना भी इसमें शामिल है.
-साथ ही संसद में राज्य के विभागों से जुड़े कार्यों या प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग भी इसमें शामिल है.
-इसके साथ ही विभाग से संबंधित आईएएस अधिकारियों की अंदरूनी कवायद को इसके तहत शामिल किया गया है. यह एक्सरसाइज गोपनीय हो सकती है.
9.इन बिंदुओं को लेकर ब्यूरोक्रेसी को सीएस करना चाहते हैं फंक्शनल
विधानसभा में पूछे गए सवालों के उत्तर.
संपर्क पोर्टल पर विभाग से जुड़ी शिकायतों का समाधान.
पेंडिंग बिलों या काम को लेकर कवायद.
पेंडिंग काम, प्रोजेक्ट्स को लेकर सक्रियता.
विभागों के अदालतों में पेंडिंग केसेस का निपटारा.
विभाग के कैबिनेट नोट या निर्णय पर कवायद.
विभाग से जुड़ी पेंडिंग भर्तियों को लेकर विभाग की ओर से की जानेवाली कार्यवाही.
विचाराधीन प्रकरणों को लेकर विभाग का एक्शन
विभाग से जुड़े ऑफिसों में समयपालन और फाइलों का यथासमय निपटारा.
इन नवाचारों के जरिये सरकारी मशीनरी को फिर व्यवस्थित ढंग से फंक्शनल करने का प्रयास किया गया है.