नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के जोनल मास्टर प्लान का प्रारूप तैयार, पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित है जोनल मास्टर प्लान

जयपुर: नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के इको सेन्सिटिव जोन के लिए जोनल मास्टर प्लान का  प्रारूप  राज्य के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की वेबसाइट पर आमजनता से सुझाव आमंत्रित करने के लिए उपलब्ध करवाया गया है. 4 अगस्त तक आमजन द्वारा जोनल मास्टर प्लान पर सुझाव दिए जा सकेंगे. जोनल मास्टर प्लान जयपुर स्थित मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के द्वारा तैयार किया गया है, जिसके अंतर्गत नाहरगढ़ भूमि उपयोग, बुनियादी ढांचे सहित सभी प्रमुख विकास के मुद्दों को शामिल किया गया है, साथ ही परिवहन, पारिस्थितिकी, पर्यावरण और वन्य जीवन पर प्राथमिकता से  ध्यान दिया गया है. 

जोनल मास्टर प्लान में वर्तमान स्थितियों का विश्लेषण करने के लिए कई अध्ययन शामिल हैं, जिनके अंतर्गत  विभिन्न महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल, उनकी वर्तमान स्थिति और बुनियादी ढाँचा,उपलब्धता, पर्यटन आँकड़े, पर्यावरणीय मुद्दे और क्षमता की पहचान, पर्यटन स्थलों के साथ-साथ पर्यटन के समग्र सुधार के लिए सुविधाओं का निर्माण मुख्यतया शामिल है. नाहरगढ़ इको-सेन्सिटिव् क्षेत्र  का जोनल मास्टर प्लान स्थानीय परिस्थितियों, वन्य जीवन आवास एवं उनके संरक्षण को ध्यान रखते हुए तैयार किया गया है. जिसके अंतर्गत जैविक एवं पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि वन्य जीव संरक्षण के साथ एक बेहतर पर्यावरण की संकल्पना की साकार किया जा सके. 

यह प्लान वर्तमान पर्यावरण स्थितियों के संभावित विस्तार, समस्याओं एवं समाधान पर भी केंद्रित है.प्लान के माध्यम से राज्य में  इकोटूरिज्म एवं स्थायी पर्यटन गतिविधियों के विस्तार की संभावनाओं को भी तलाशा जा सकेगा. वन्यजीव अभयारण्य के पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए आसपास के  क्षेत्र  को इको-सेंसिटिव क्षेत्र घोषित किया जाता है. ऐसे  क्षेत्र वनों की कमी और मानव-पशु संघर्ष को कम करने में भी अहम भूमिका अदा करते है. इको- सेंसिटिव क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन के कोर और बफर मॉडल पर आधारित हैं, जिसके माध्यम से स्थानीय क्षेत्र समुदायों को भी संरक्षित और लाभान्वित किया जाता है.