Dussehra 2023: रावण दहन के साथ करें सामाजिक बुराइयों का वध, इन 4 गलतियों से सीखें सबक; श्रीराम के अलावा भी अन्य 4 शक्तिशाली योद्धाओं से हारा था रावण

जयपुर: आज हर तरफ फैले भ्रष्टाचार और अन्याय रूपी अंधकार को देखकर मन में हमेशा उस उजाले की चाह रहती है जो इस अंधकार को मिटाए. कहीं से भी कोई आस ना मिलने के बाद हमें हमारी संस्कृति के ही कुछ पन्नों से आगे बढ़ने की उम्मीद मिलती है.  हम सबने रामायण (Ramayana) को किसी ना किसी रुप में सुना, देखा और पढ़ा ही होगा. रामायण हमें यह सीख देती है कि चाहे असत्य और बुरी ताकतें कितनी भी ज्यादा हो जाएं पर अच्छाई के सामने उनका वजूद एक ना एक दिन मिट ही जाता है. अंधकार के इस मार से मानव ही नहीं भगवान भी पीड़ित हो चुके हैं लेकिन सच और अच्छाई ने हमेशा सही व्यक्ति का साथ दिया है. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है दशहरा (Dussehra). नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित करने के बाद दशमी के दिन बुराई पर जीत के रूप में विजयदशमी (Vijayadashami) मनाई जाती है. इस दिन श्रीराम (Sriram) ने लंका के राजा रावण (Ravana) का वध करके अन्याय पर न्याय की स्थापना की थी. इसके अलावा इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिए भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है.  24 अक्तूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा. दशहरा के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 23 अक्टूबर के दिन शाम को 5:44 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 24 अक्टूबर को दोपहर 3:14 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार दशहरा का त्योहार इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस साल दशहरा पर्व पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं. इस दिन रवि योग सुबह 06:27 मिनट से दोपहर 03:38 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शाम 6:38 मिनट से 25 अक्टूबर को सुबह 06:28 मिनट तक यह योग रहेगा. वहीं, दशहरा पर वृद्धि योग दोपहर 03:40 मिनट से शुरू होकर पूरी रात रहेगा.

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि रावण सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि तमाम बुराइयों का प्रतीक है, जिसका हर दशहरे पर वध किया जाता है. आज के दौर में हमारे समाज में तमाम बुराइयां हैं जिनका वध बहुत जरूरी है. 

एक नजर कलयुग के 10 रावणों पर:

बलात्कार: 
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि देश में हर रोज बलात्कार की घटनाएं होती हैं, जिनमें हर चौथी पीड़िता नाबालिग बालिका होती है. ये डराने वाले आंकड़े बताते हैं कि हम इनसान से शैतान होते जा रहे हैं. कलियुग में इस बुराई रूपी रावण का वध करने के लिए हमें ही पहल करनी होगी.

गंदगी:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि स्वच्छता को लेकर व्यापक स्तर पर अभियान चलाने के बावजूद गंदगी से हमारा पीछा नहीं छूट रहा है. इसके लिए जिम्मेदार भी हम ही हैं. देश में हर रोज एक लाख मीट्रिक टन कचरा निकलता है. इसके प्रबंधन की समुचित व्यवस्था नहीं है.

भ्रष्टाचार:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हम नेताओं को बुरा-भला कहते रहते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल 45 फीसदी भारतीयों ने अपना काम निकलवाने के लिए रिश्वत का सहारा लिया.

प्रदूषण:
दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में हैं. प्रदूषक कण पीएम 2.5 का स्तर तेजी से बढ़ रहा है. इस दशहरे हमें इस रावण को हर हाल में खत्म करना होगा.

अशिक्षा:
अगर समाज शिक्षित नहीं होगा तो उसका विकास भी नहीं होगा. वर्तमान में भारत में 25 फीसदी लोग शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं. आने वाली पीढ़ी को शिक्षित करके ही बेहतर समाज की नींव रखी जा सकती है.

गरीबी:
गरीबी रूपी अभिशाप से पीछा छुड़ाना आसान नहीं है. भारत की 30 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी बसर करने को मजबूर है. हम इस रावण को रोजगार रूपी हथियार से ही खत्म कर पाएंगे. 

अंधविश्वास: 
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि हम भले ही 21वीं सदी में पहुंच गए हैं, लेकिन अंधविश्वास रूपी रावण का अंत नहीं हो पाया है. हाल ही में 20 बाबा ब्लैकलिस्ट हो चुके हैं. फिर भी लोगों का जादू-टोने की शरण में जाना बंद नहीं हुआ है.

रावण की जीवन सीख:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि रामायण के अनुसार जब रावण अपने अंतिम समय में था, तो राम ने लक्ष्मण को अपने पास बुलाया. राम ने लक्ष्मण से कहा कि रावण नीति, राजनीति और शक्ति का महान ज्ञाता है. ऐसे समय में जब वह संसार से विदा ले रहा है, तुम उसके पास जाकर जीवन की कुछ शिक्षा ले. राम की बात मानकर जब लक्ष्मण रावण के पास गए, तो रावण ने उन्हें तीन बातें बताईं

शुभस्य शीघ्रम:
रावण ने लक्ष्मण को शिक्षा दी कि शुभ कार्य करने में कभी देरी नहीं करनी चाहिए. जैसे ही किसी शुभ कार्य का चिंतन हो या मन में विचार आए उसे तुरंत कर ड़ालना चाहिए. इसके अलावा अशुभ को जितना टाल सकते हो उसे टाल दो. 

शत्रु छोटा नहीं: 
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि लक्ष्मण को रावण ने जो दूसरी सीख दी वह यह थी कि कभी भी अपने प्रतिद्वंद्वी या शत्रु को खुद से छोटा या कमतर नहीं समझना चाहिए. रावण ने स्वीकारा कि यह उसकी सबसे बड़ी भूल थी. रावण ने वानर और भालू सेना को कमतर आंका और अपना सब कुछ नष्ट कर बैठा.

रहस्य न बताओ:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाज्ञानी रावण ने लक्ष्मण को तीसरा ज्ञान यह दिया कि अपने रहस्य कभी किसी को नहीं बताने चाहिए. रावण ने लक्ष्मण से कहा कि मेरे मृत्यु से जुड़ा रहस्य यदि में किसी को नहीं बताता तो आज मेरी मृत्यु नहीं होती. लेकिन मैंने यह रहस्य अपने भाई को भरोसा कर बताया जिसके कारण आज में मृत्यु शैया पर पड़ा हूं.

सभी लोग ये मानते हैं कि रावण श्रीराम के अलावा कभी किसी से नहीं हारा. डा. अनीष व्यास ने बताया कि लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं रावण श्रीराम के अलावा भी अन्य 4 शक्तिशाली योद्धाओं से हारा था. 

सहस्त्रबाहु अर्जुन से भी हारा रावण:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब राक्षसराज रावण ने सभी राजाओं को जीत लिया, तब वह महिष्मती नगर (वर्तमान में महेश्वर) के राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन को जीतने की इच्छा से उनके नगर गया. रावण ने सहस्त्रबाहु अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा. नर्मदा के तट पर ही रावण और सहस्त्रबाहु अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ. अंत में सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को बंदी बना लिया. जब यह बात रावण के पितामह (दादा) पुलस्त्य मुनि को पता चली तो वे सहस्त्रबाहु अर्जुन के पास आए और रावण को छोडऩे के लिए निवेदन किया. सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को छोड़ दिया और उससे मित्रता कर ली.

शिवजी से रावण की हार:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि रावण बहुत शक्तिशाली था और उसे अपनी शक्ति पर बहुत ही घमंड था. रावण इस घमंड के नशे में शिवजी को हराने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गया था. रावण ने शिवजी को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन महादेव तो ध्यान में लीन थे. रावण कैलाश पर्वत को उठाने लगा. तब शिवजी ने पैर के अंगूठे से ही कैलाश का भार बढ़ा दिया, इस भार को रावण उठा नहीं सका और उसका हाथ पर्वत के नीचे दब गया. इस हार के बाद रावण ने शिवजी को अपना गुरु बनाया था.

राजा बलि के महल में रावण की हार:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार, पृथ्वी व स्वर्ग की जीतने के बाद रावण पाताल लोक को जीतना चाहता था. उस समय दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे. एक बार रावण राजा बलि से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में उनके महल तक पहुंच गया था. वहां पहुंचकर रावण ने बलि को युद्ध के लिए ललकारा, उस समय बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़कर घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध दिया था. इस प्रकार राजा बलि के महल में रावण की हार हुई.

जब बालि से हारा रावण:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि रावण परम शक्तिशाली थी.अन्य योद्धाओं को हरा कर वह स्वयं को सर्वशक्तिमान साबित करना चाहता था. जब रावण को पता चला कि वानरों का राजा बालि भी परम शक्तिशाली है तो वह उससे लड़ने किष्किंधा पहुंच गया. बालि उस समय पूजा कर रहा था. रावण ने बालि को युद्ध के लिए ललकारा तो बालि ने गुस्से में उसे अपनी बाजू में दबा लिया और समुद्रों की परिक्रमा करने लगा. रावण ने बालि के बाजू से निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया. पूजा के बाद जब बालि ने रावण को छोड़ तो वह निढाल हो चुका था. इसके बाद रावण को बालि को अपना मित्र बना लिया.

दशहरे का महत्व:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि दशहरा संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है. दश यानी बुराई और हरा यानी खत्म करना. इस तरह दशहरे का अर्थ हुआ बुराई का नाश करके अच्छाई की पुर्नस्थापना करना. डा. अनीष व्यास ने बताया कि विजयदशमी वर्ष के श्रेष्ठ मुहूर्त बसंत पंचमी और अक्षय तृतीया की तरह ही शुभ माना गया है. विजयदशमी के दिन कोई भी अनुबंध हस्ताक्षर करना हो गृह प्रवेश करना हो नया व्यापार आरंभ उतरना हो या किसी भी तरह का लेनदेन का कार्य करना हो तो उसके लिए श्रेष्ठ फलदाई माना गया है. दशहरे का पर्व साल के सबसे पवित्र और शुभ दिनों में से एक माना गया है. यह तीन मुहूर्त में से एक है, साल का सबसे शुभ मुहूर्त - चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया. यह अवधि किसी भी चीज की शुरूआत करने के लिए उत्तम है. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि दशहरा बौद्ध धर्म के लिए भी बहुत महत्व रखता है. कहा जाता है इसी दिन से मौर्य शासन की शुरुआत हुई थी और अशोक ने अंहिसा को त्याग बौद्ध धर्म अपना लिया था. आज सत्य पर असत्य की जीत का सबसे बड़ा त्योहार दशहरा मनाया जा रहा है. विजयदशमी का त्योहार पूरे देश में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. आज के दिन अस्त्र-शस्त्र का पूजन और रावण दहन के बाद बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस दिन माना जाता है कि अगर आपको नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाए तो आपके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं. नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है. दशहरे पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन होने से पैसों और संपत्ति में बढ़ोतरी होती है. मान्यता है कि यदि दशहरे के दिन किसी भी समय नीलकंठ दिख जाए तो इससे घर में खुशहाली आती है और वहीं, जो काम करने जा रहे हैं, उसमें सफलता मिलती है.