जयपुर: प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल की जल्द ही सूरत बदली-बदली नजर आएगी. देश की सबसे ऊंची मेडिकल बिल्डिंग IPD टॉवर व कार्डियोलॉजी टॉवर के बाद अब अस्पताल परिसर में न्यूरो-ऑप्थो टॉवर की तैयारी शुरू हो गई है. करीब 300 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाले इस टॉवर के साथ ही नर्सिंग गर्ल्स हॉस्टल का भी निर्माण होगा. आइए आपको बताते है कि आखिर 90 साल पुराने एसएमएस अस्पताल की कैसी होगी अगले सालों में तस्वीर और मरीजों को होगा कितना फायदा.
चिकित्सकीय नवाचारों को लेकर भले ही SMS अस्पताल देश-दुनिया में अपना अलग स्थान रखता हो, लेकिन मरीजों के दबाव और 90 साल पुरानी जर्जर इमारत की दिक्कतें किसी से छिपी नहीं है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल की स्थिति ये है कि जरा की बरसात आते ही कई वार्ड जलमग्न हो जाते है, साथ ही अधिकांश जगहों पर छतें टपकने लगती है. पिछले कई सालों से मेंटीनेंस पर करोड़ों रुपए खर्च भी हो रहे है,लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है, जिसके स्थाई समाधान के लिए सीएम गहलोत ने एक नई दिशा दी है. इसे चिकित्सा क्षेत्र के प्रति सीएम गहलोत का जुड़ाव कहे या फिर मौजूदा हालत की सबसे बड़ी जरूरत, जिसके चलते अब अस्पताल को चरणबद्ध तरीके से गगनचुम्बी टॉवरों में तब्दील किया जा रहा है. इसी कड़ी में IPD टॉवर व कार्डियोलॉजी टॉवर का काम जोरशोर से चल रहा है, वहीं दूसरी ओर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंस और इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थमोलॉजी साइंस के लिए दस मंजिला टॉवर की भी रूपरेखा तैयार कर ली गई है.
नर्सिंग गर्ल्स हॉस्टल की जगह बनेगा न्यूरो-ऑप्थो टॉवर !
इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो-ऑप्थमोलॉजी साइंस के लिए प्रस्ताव फाइनल
एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजा प्रस्ताव
SMS परिसर स्थित नर्सिंग गर्ल्स हॉस्टल की जगह टॉवर के लिए चिन्हित
टॉवर के बेसमेट में तीन मंजिला बनाई जाएगी वाहनों के लिए पार्किंग
इसके बाद पहले तीन फ्लोर पर शिफ्ट किया जाएगा न्यरोलॉजी विभाग
तीन फ्लोर न्यूरोसर्जरी व तीन फ्लोर ऑप्थमोलॉजी साइंस को होंगी आवंटित
चिकित्सा शिक्षा विभाग के जरिए वित्त विभाग को भेजा गया विस्तृत प्रस्ताव
इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो-ऑप्थमोलॉजी साइंस टॉवर की परिकल्पना को मूर्तरूप देने के लिए सबसे बड़ी चुनौती नर्सिंग गर्ल्स हॉस्टल की वैकल्पिक व्यवस्था की थी. जिसे भी एसएमएस अस्पताल अधीक्षक डॉ अचल शर्मा ने अपने प्रयासों से पूरा कर लिया है. डॉ शर्मा ने बताया कि टॉवर के निर्माण के लिए नर्सिंग गर्ल्स हॉस्टल हटाया जाएगा ऐसे में यहां रह रही छात्राओं के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पास ही की धर्मशाला की सेवाएं ली जाएगी. टॉवर के साथ-साथ गर्ल्स हॉस्टल का काम भी शुरू किया जाएगा, ताकि जर्जर इमारत में रह ही नर्सिंग छात्राओं की दिक्कतों का भी स्थाई समाधान हो सके.
सीएम गहलोत कई बार कह चुके है कि चिकित्सा क्षेत्र उनकी पहली प्राथमिकता है. इसी सोच का परिणाम है कि बरसों से जर्जरता का दंश झेल रहा एसएमएस अस्पताल नई तस्वीर की इबारत लिखने जा रहा है. अब उम्मीद ये है कि एसएमएस को टॉवररूपी गगनचुम्बी इमारतों में शिफ्ट करने का प्रयास जल्द ही धरातल पर नजर आएगा. ताकि, राजस्थान समेत देश-दुनिया से एसएमएस आने वाले मरीजों को बेहतर इलाज के साथ ही बेहतर माहौल भी मिल सके.