VIDEO: सफाई कर्मियों की चुनावी ड्यूटी बनी गलफांस, जयपुर में सफाई व्यवस्था हुई बेपटरी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: जयपुर शहर की सफाई व्यवस्था एक बार फिर बेपटरी होती नजर आ रही हैं. होली के बाद से ही सड़कों पर सफाई की व्यवस्था दुरूस्त नहीं हो सकी हैं. पहले हड़ताल की वजह थी तो इस बार वजह है सफाई कर्मचारियों की चुनावी ड्यूटी.  जयपुर में आठ हजार में से ढाई हजार सफाई कर्मचारी चुनाव में ड्यूटी देंगे. ऐसे में एक बार फिर शहर गंदगी से परेशान होने को मजबूर हैं. 

शहर की सफाई व्यवस्था फिर से बेहाल होना शुरू हो गई हैं. जगह-जगह कचरे के ढेर दिखने लगे हैं. सड़कों पर सफाई हो भी तो कैसे? क्योंकि कर्मचारियों की ड्यूटी चुनाव में लगी हैं तो जाहिर है कि वे चुनाव में ही अपनी भागीदारी निभाएंगे, सफाई में क्यों. सफाई कर्मचारियों में भी इस बात का रोष हैं कि उनके मूल काम से इतर उन्हें चुनाव में कहीं तो अधिकारी भी लगा दिया गया हैं. बरसो पहले से लगे हुए सफाई कर्मचारी इस बात से भी अनजान है कि वे चुनाव में अपनी ड्यूटी किस प्रकार देंगे. कई सफाई कर्मचारियों को जो पत्र मिला है उसमें पीओ 3 पद लगा दिया गया हैं. कर्मचारी इस बात को लेकर नगर निगमों के कमीश्नर से लेकर जिला प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं. चुनावी प्रशिक्षणों में आई ड्यूटी से कर्मचारी असमंजस की स्थिति में नजर आ रहे हैं. खुद सफाई कर्मचारी संघ की माने तो जयपुर में यूं तो करीब आठ हजार सफाई कर्मचारी है जिनमें से ढाई हजार चुनावी ड्यूटी में और करीब दो हजार अन्य कार्यो में लगे हैं. महज तीन हजार कर्मचारियों के भरोसे सैकड़ों कॉलोनियों की सड़कों और मुख्य सड़कों की सफाई आखिर कैसे हो सकती है.

पहले सफाई कर्मचारियों की हड़ताल और अब चुनावी ड्यूटी में गए  कर्मचारियों की वजह से सफाई का काम-काज प्रभावित हो रहा हैं. लेकिन जयपुर के स्थानीय लोगों और पार्षदों की माने तो शहर में बदहाल सफाई व्यवस्था का अब ढर्रा ही बन गया हैं. कहीं डोर-टू डोर हूपर समय पर नहीं पहुंच रहे है तो कहीं सड़कों पर बिखरा कचरा शहर की शक्ल सूरत बिगाड़ रहा हैं. जिससे लोगों की सेहत भी बिगड़ रही है.

जयपुर शहर के दो नगर निगमों के बाद भी शहर स्वच्छ नहीं बन सका हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण की हर साल आने वाली रिपोर्ट नगर निगमों को आईना दिखा रही हैं. हर साल जनजागरूता से लेकर सख्ती करने के दिखावे करने  वाले निगमों के प्रशासन को अब इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ता. क्योकि होली के त्योहार के बाद से शहर में सफाई की व्यवस्था बदहाल सी नजर आ रही हैं. जयपुर के किसी भी कोने में आप खड़े हो. सड़कों पर फैला कचरा आपको एक किलोमीटर के दायरे में पांच दस जगहों पर कम से कम फैला हुआ मिल ही जाएगा.  यह ओपन डिपो लाचारी है या फिर नाकामी लेकिन निगम इन्हें हटाने के महज दावे ही कर सका हैं. इसके आगे कुछ कर नहीं पाया.  

बहरहाल,  विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव में सफाई कर्मचारी ड्यूटी देंगे. लेकिन शहर की सफाई व्यवस्था को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. वैसे भी शहर में सफाई के नाम पर नगर निगमों का दिखावा ज्यादा और काम कम हैं. ऐसे में कर्मचारियों के चुनावी ड्यूटी लगाने के बाद निगमों के प्रशासन को एक और बहाना मिल गया हैं. निगमों के अधिकारियों को एसी कमरों का मोह त्याग कर सड़कों शहर की सफाई की मॉनिटिरिंग को दुरूस्त करने की जरूरत भी है. ताकि जिस लोक सेवा के लिए उन्हें नौकरी मिली हैं वो ठीक तौर पर निभाई जा सकें और जनता को कोई राहत मिल पाए.