VIDEO: राजस्थान में धार्मिक पर्यटन नंबर 1, विरासत नंबर 2 पर तो जंगल को तीसरा स्थान, इन जिलों में आए सर्वाधिक पर्यटक, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान में विराज रहे देवी-देवताओं ने राजस्थान पर्यटन पर जमकर आशीर्वाद बरसा रखा है. बीते वर्ष के 11 महीने में प्रदेश में आए 16 करोड़ से ज्यादा पर्यटकों में से करीब 15 करोड़ ऐसे थे जो धार्मिक पर्यटन के लिए राजस्थान आए. खाटू श्याम जी के दर्शनों की अभिलाषा इस कदर रही की सीकर 2.40 करोड़ पर्यटकों के साथ राजस्थान में पर्यटकों की आवक के मामले सबसे आगे हो गया. आस्था का ज्वार इस कदर है कि राजस्थान में 'श्रद्धालु कम पर्यटक' का नया ट्रेंड चल गया.  

प्रदेश के प्रथम 10 जिले जहां आए सर्वाधिक पर्यटक:
(1 जनवरी 2022 से 30 नवंबर 2023 तक)

जिला  पर्यटक प्रमुख मंदिर, धार्मिक स्थल
सीकर      2.40 करोड़श्री खाटू श्याम जी
जयपुर    1.65 करोड़श्री गोविंद देव जी, शिला माता
अजमेर 1.31 करोड़  पुष्कर जी, ख्वाजा गरीब नवाज
चित्तोड़     1.26 करोड़  श्री सांवलिया जी
सवाई माधोपुर1.25 करोड़ श्री त्रिनेत्र गणेश
भरतपुर    1.04 करोड़  बृज चौरासी
सिरोही      91.05 लाखदिलवाड़ा जैन मंदिर, ब्रह्माकुमारी
जैसलमेर  77.32 लाख तनोट माता
करौली      71.84 लाख  कैला देवी
अलवर    69.24 लाखश्री पांडुपोल, भर्तृहरि

नवंबर 2023 तक 11 महीने में 16 करोड़ से ज्यादा पर्यटकों की आवक:

-प्रतिदिन 4.80 लाख से ज्यादा पर्यटक आए जयपुर
-धार्मिक पर्यटन नंबर 1, विरासत 2 नंबर पर तो जंगल को तीसरा स्थान
-30 नवंबर तक के आंकड़ों से ट्रेवल ट्रेड को मिली संजीवनी
-30 नवंबर तक 15 करोड़ 91 लाख 86,696 स्वदेशी पर्यटक
-जबकि विदेशी पर्यटकों की संख्या रही 14 लाख 52 हजार 834
-पिछले वर्ष की तुलना में घरेलू पर्यटकों की संख्या में 61.18 फीसदी इजाफा
-जबकि विदेशी पावणों की संख्या में 361.79 प्रतिशत की वृद्धि

श्री राम के भारत में धर्म ही सर्वोपरि है और आस्था की चौखट पर धोक लगाना पहली प्राथमिकता. विदेशी पर्यटकों को छोड़ दें तो आज भी राजस्थान सहित देश के हर प्रांत में आने वाले पर्यटकों में से धार्मिक पर्यटन करने वाले सैलानियों की संख्या 90 फीसदी है. राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में तो यह औसत 95 प्रतिशत है. राजस्थान में वर्ष 2023 के पहले 11 महीने में रिकॉर्ड 16 करोड़ 6 लाख से ज्यादा पर्यटक आए इनमें से पुरातत्व विभाग के अधीन टिकट वाले स्मारकों पर करीब 75 लाख, एएसआई के अधीन स्मारकों पर करीब 20 लाख, जंगल सफारी और चिडियाघर व बायोलॉजिकल पार्कों में करीब 50 लाख पर्यटक पहुंचे. इनके अलावा अधिकतर सैलानी मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों की सैर के लिए राजस्थान आए. ऐसे श्रद्धालु कम पर्यटकों के चलते राजस्थान में ट्रेवल ट्रेड के तो वारे न्यारे हो गए. क्योंकि मंदिरों व धार्मिक स्थलों पर जाने के बाद इन सैलानियों ने सैर सपाटा किया जिससे राजस्थान पर्यटन उद्योग से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से जुड़े 30 लाख से ज्यादा लोगो को न केवल रोजगार मिला वरन कोरोना में जितना खोया उससे ज्यादा उन्होंने पा लिया. 

गहराई से विश्लेषण करें तो पता चलता है कि खाटू धाम में आने वाले श्रद्धालुओं के चलते सीकर जिला 2.40 करोड़ से ज्यादा पर्यटकों की आवक के साथ अव्वल नंबर पर रहा. गोविंद की नगरी जयपुर जहां शिला माता, मोती डूंगरी गणेश जी, गलता जी, खोले के हनुमान जी सहित विभिन्न देवी देवता विराजते हैं उस जयपुर जिले में 1 करोड़ 65 लाख से ज्यादा पर्यटक पहुंचे. इसी तरह तीर्थ राज पुष्कर और ख्वाजा की नगरी अजमेर 1 करोड़ 31 लाख पर्यटकों के साथ तीसरे स्थान पर. सांवलिया धाम वाले चित्तौड़ 1 करोड़ 26 लाख पर्यटकों के साथ चौथे स्थान पर, त्रिनेत्र गणेश की धरती सवाई माधोपुर सवा करोड़ के साथ पांचवें और बृज चौरासी का प्रतिनिधित्व करने वाले भरतपुर जिले को 1 करोड़ 4 लाख पर्यटकों के साथ छठा स्थान मिला. 

इसके बाद सिरोही, जैसलमेर, करौली और अलवर का नंबर आता है. जहां दिलवाड़ा जैन मंदिर, ब्रह्माकुमारी, तनोट माता, कैला माता, पांडुपोल और भर्तृहरि विराजते हैं. बहरहाल प्रदेश में बढ़ते पर्यटन और को और मजबूत किया है पुरातत्व और पर्यटन विभाग के बेहतर मैनेजमेंट ने. यहां आयोजित होने वाले मेले और उत्सव घरेलू ही नहीं विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं. यही कारण है कि उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने भी राजस्थान में टेंपल टूरिज्म को बढ़ाने की बात कही है. केंद्र सरकार की प्रसाद योजना में धार्मिक सर्किट्स के जो काम हुए उनके सुखद नतीजे आने लगे हैं. उम्मीद है वर्ष 2023 का ट्रेंड सूबे में सरकार बदल जाने के चलते हाल में शुरू हुए नए वर्ष 2024 में और फले फूलेगा.