Chandrayaan-3: चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग कर भारत ने रचा इतिहास, अब जानें 14 दिन क्या-क्या करेगा रोवर

Chandrayaan-3: चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग कर भारत ने रचा इतिहास, अब जानें 14 दिन क्या-क्या करेगा रोवर

नई दिल्लीः चांद पर चंद्रयान-3 ने सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है जिसने चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की है. इससे पहले कोई भी देश चांद के इस ध्रुव पर नहीं उतर पाया है. जिसके चलते भारत का नाम अब इतिहास के पन्नों में गवाही दे रहा है. हालांकि चांद पर सफल लैंडिंग तो कर ली हैं लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इसका उद्देश्य क्या है. 

चंद्रयान-3 चांद पर अब आगे क्या करेगा. इसरो का ये मिशन कितने दिन चलेगा. तो आइये जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब. 14 अगस्त को लॉन्च हुआ चंद्रयान-3 करीब अपने 40 से अधिक दिन के सफर के बाद 55लाख किलोमीटर की दूरी तय करके चांद पर पहुंच गया है. और अब उसे अपना आगे का काम करना हैं. लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर भी सफलता पूर्वक उसमें से बाहर निकल गया है. जिस उद्देश्य से इसरो ने इसे लॉन्च किया है. उस पर रोवर प्रज्ञान चांद पर घूमकर सैंपल कलेक्ट करेगा और वैज्ञानिक परीक्षण करेगा. 

चंद्रयान-3 एक लूनार रहकर काम करेगाः
चंद्रयान-3 चांद पर एक लूनार मतलब 14 दिन रहकर काम करेगा. जहां ये यहां पानी की खोज, खनिज की जानकारी और भूकंप, गर्मी एवं मिट्टी की स्टडी करेगा. 1 लूनार यानी चांद पर एक दिन पृथ्वी के 29 दिनों के बराबर होता है. इस दौरान 14 दिन डे टाइम रहता है और 14 दिन रात रहती है. चंद्रयान-3 चांद पर भूकंप की स्टडी, सतह पर गर्मी का अध्ययन, पानी की खोज, खनिज की जानकारी और मिट्टी की स्टडी करेगा.

पानी समेत इन मुद्दों पर करेगा खोजः
हालांकि चांद पर पानी होने का दावा को नासा भी कर चुका है. लेकिन अभी तक उसपर कोई ठोस तथ्य़ नहीं जुटा पाया. जिसके बाद अब भारत का मिशन चंद्रयान-3 इन सभी सवालों के जवाब एक-एक करके पता लगाने की कोशिश करेगा. 

वहीं अगर बात करें की भारत ने चांद के साउथ पोल को ही क्यों चुना है तो बता दे कि अभी तक यहां दुनिया कोई भी देश सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया है. चांद का दक्षिणी ध्रुव पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव जैसा ही है. यह बेहद ठंडा है और सूरज की रोशनी यहां कम पड़ती है. इस हिस्से पर अभी तक किसी भी देश ने सॉफ्ट लैंडिंग नहीं की है. अमेरिका के अपोलो मिशन ने चांद के मध्य में लैंडिंग की थी, जबकि चीन का मिशन उत्तरी ध्रुव पर उतारा गया. ऐसे में भारत ने चांद के इस ध्रुव पर लैंडिंग कर अपनी खोज को शुरू कर दिया है.