जयपुर (पवन टेलर)। राजस्थान भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष के मसले को लेकर भले ही आज 74 दिनों के बाद आखिरकार आज पार्टी की तमाम कवायदों का निष्कर्ष निकल आया है और राजस्थान भाजपा को मदनलाल सैनी के रूप में नया मुखिया मिल गया है। ऐसे में ये जानना भी काफी दिलचस्प हो गया है कि अशोक परनामी के इस्तीफे के बाद सबसे पहले सामने आए गजेन्द्र सिंह शेखावत के नाम से लेकर शुरू हुआ सिलसिला आखिर कैसे मदनलाल सैनी की नियुक्ति तक जाकर पूरा हुआ।
भाजपा के निवर्तमान प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी के इस्तीफे को 18 अप्रैल के दिन मंजूर किए जाने के बाद सबसे भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष के लिए सबसे पहला नाम गजेन्द्र सिंह शेखावत का सामने आया। इसके बाद कई नाम भी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के लिए सामने आए, लेकिन किसी पर स्पष्ट रूप से सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में सूबे की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं पार्टी आलाकमान के बीच बैठकों एवं मुलाकातों का सिलसिला भी परवान चढ़ता गया। कई बार दिल्ली में अलग—अलग नेताओं के साथ बैठकें हुई, लेकिन कोई सार्थक नतीजा सामने नहीं आया। ऐसे में करीब ढाई माह का समय बीत गया।
इन सबके चलते ही 74 दिन राजस्थान भाजपा ने बगैर पार्टी के कप्तान के ही निकाले और इसकी वजह से पार्टी के कई कार्य भी आधित होते रहे। प्रदेशाध्यक्ष को लेकर करीब ढाई महीने से चली आ रही पशोपेश की स्थिति आज आखिरकार उस वक्त पर जाकर खत्म हुई जब सीएम राजे एवं पार्टी आलाकमान के बीच नए प्रदेशाध्यक्ष के नाम पर सहमति बन गई। ये नाम था मदनलाल सैनी, जो वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। मदनलाल सैनी के नाम पर सहमति बनने के कुछ देर बाद ही राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के रूप में मदनलाल सैनी के नाम का औपचारिेक ऐलान होने के साथ ही राजस्थान में भाजपा को आखिरकार उसका कप्तान मिल गया।
दरअसल, किसी राजपूत या जाट को प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनाए जाने की सीएम राजे की राय ने ही सारे घटनाक्रम को बदलने में प्रमुख भूमिका निभाने का कार्य किया। वहीं दूसरी ओर, आलाकमान के पैनल में केवल तीन नाम थे, जिनमें एक राजपूत, एक जाट और तीसरा नाम मदनलाल सैनी का था। ऐसे में सैनी ही एकमात्र विकल्प बचे थे और फिर सीएम राजे व ओम माथुर की सहमति ने सैनी की ताजपोशी करवा दी।