दुनिया भर में अनूठे हैं गजेटेड हनुमान जी, अपने आप ही प्रकट हुई थी मूर्ति; बड़ी संख्या में आती है नौकरी और प्रमोशन की अर्जियां

जैसलमेर: अब तक आपने सरकारी तंत्र में अफसरों की गजेटेड़ या नॉन गजेटेड़ (राजपत्रित अथवा अराजपत्रितद्) किस्मों के बारे में सुना होगा. मगर अब ऐसे हनुमानजी महाराज का पता चला है जो गजेटेड़ हैं. जैसलमेर जिला मुख्यालय पर स्थित मन्दिर में विराजित बजरंग बली गजेटेड़ हनुमान के नाम से जाने और पूजे जाते हैं. जनजन में इनके प्रति अगाध आस्था और श्रृद्घा भाव हिलोरें लेता है. पूरी दुनिया में यह अपनी तरह के अन्यतम हनुमान हैं. राजस्थान के ठेठ पश्चिम में मरुस्थलीय जैसलमेर जिले में गजेटेट हनुमान जी का मन्दिर भक्तों की आस्था का बड़ा भारी केन्द्र है. यह मंदिर जैसलमेर शहर में मुख्य डाकघर के सामने पुराने बिजली घर स्थित जोधपुर विद्युत वितरण निगम कार्यालय परिसर में है जहाँ हनुमान भक्तों में सबसे ज्यादा सरकारी अधिकारी एवं  कर्मचारियों  की भीड़ इस  पर लगी रहती है की एक दिन गजेटेड हनुमान इनको भी राजपत्रित अधिकारी बना देंगे.

मानव जीवन में भगवान को हमेशा उच्च दर्जा दिया गया है जहां पर इंसान अपनी दुख दुविधाएं और परेशानियां लेकर जाता है और उनका निराकरण प्राप्त करता है लेकिन जैसलमेर में एक ऐसे हनुमान जी भी है जिन्हें लोगों ने ग्रेड दे रखा है और वह ग्रेड है राज पत्रित अधिकारी का. जी हां सरकारी कार्यालयों में जिस प्रकार राजपत्रित अधिकारी को ऊंचा दर्जा प्राप्त होता है वैसा ही दर्जा यहां लोगों ने हनुमान जी को दे रखा है और ये हनुमान जी को गजेटेड हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध हैं. जैसलमेर के बिजलीघर परिसर में स्थित इस मंदिर को लेकर लोगों में असीम आस्था है और लोग बडी संख्या में यहां हनुमान जी के दर्षनों के लिये आते हैं. 

जिस स्थान पर मन्दिर बना है वहाँ पहले घना जंगल था:
गजेटेड हनुमान के नाम से मशहूर ये हनुमान जी स्वर्ण नगरी जैसलमेर में बिराजते हैं. यूँ तो राजपत्रित अधिकारी एक सरकारी नुमाइंदा होता है मगर यहाँ के हनुमान जी राजपत्रित यानी गजेटेड अधिकारी है और उनके यहाँ आने वाले में सबसे ज्यादा वे सरकारी कर्मचारी होते हैं जो इनके आशीर्वाद से राजपत्रित अधिकारी बनना चाहते हैं और कई बने भी है. मन्दिर में गजेटेड़ हनुमानजी की पाँच फीट की भव्य मूर्ति सदियों पुरानी बतायी जाती है. जिस स्थान पर मन्दिर बना है वहाँ पहले घना जंगल था जहाँ इस प्राचीन मूर्ति की तपस्वियों और सिद्ध संतों द्वारा एकान्त में पूजाअर्चना की जाती रही. शहर का विस्तार होने से हनुमान भक्तों का ध्यान इस ओर गया. बाद में मन्दिर बनाया गया जो अब लगातार विस्तार पाता जा रहा है. मन्दिर के गर्भगृह में भगवान श्री हनुमानजी के सम्मुख पिछले कई दशक से अखण्ड दीपक जल रहा है. निज मन्दिर के द्वार के समीप गोवर्द्धन;शिलालेख स्तंभद्ध है जिससे इस क्षेत्र की प्राचीनता का बोध होता है.

हनुमान जी की मूर्ति अपने आप ही प्रकट हुई थी:
जैसलमेर के गजेटेड हनुमान जी के मंदिर की प्राचीनता को लेकर कोई विश्वसनीय तथ्य तो नहीं है लेकिन जानकार लोगों की मानें तो प्राचीनकाल में जब जैसलमेर शहर परकोटे के भीतर हुआ करता था तब परकोटे से बाहर केवल रेतीले टीले ही थे, आंधियों में अपनी जगह बदलते टीलों के बीच हनुमान जी की मूर्ति अपने आप ही प्रकट हुई थी तब लोगों ने इस मूर्ति की पूजा अर्चना कर इसी जगह पर हनुमान जी के मंदिर की स्थापना कर दी और तब से लेकर आज तक मंदिर के चमत्कारों की बदौलत लोगों की इसमें आस्था बढ़ती ही जा रही है. हिन्दुस्तान का यह पहला हनुमान मंदिर है जिसमें बिराजित हनुमान जी महाराज गजेटेड़ यानि राजपत्रित हैं. हनुमान भक्तों की गजेटेड़ हनुमान पर अटूट आस्था है. भक्तों का मानना है कि हनुमानजी हर किसी की मुराद जरूर पूरी करते हैं. चूंकि बिजली विभाग के परिसर में हैं अतः इन हनुमानजी को भक्तगण करंट बालाजीष् के नाम से भी पुकारते हैं. इन भक्तों की पक्की मान्यता है कि जो भी भक्त हनुमान दादा के दरबार में आ जाता हैए हनुमानजी उनकी सारी मनोकामनाएं करंट की मानिंद पूर्ण करते हैं. 

सरकारी लोगों की आवाजाही तथा चमत्कारिक प्रतिमा की वजह से उन्हें यह नाम मिला:
हनुमानजी को गजेटेड़ क्यों कहा जाता है और वे गजेटेड़ कब बनेए इसका कोई धार्मिक या शास्त्रीय प्रमाण तो नहीं मिलता लेकिन माना जाता है कि ज्यादातर सरकारी लोगों की आवाजाही तथा चमत्कारिक प्रतिमा की वजह से उन्हें यह नाम मिला. गजेटेड़ होने की वजह से ख़ासकर राजकाज से जुड़े कामों में हनुमान जी विशेष मदद करते हैं. यही कारण है कि यहाँ आने वाले हनुमान भक्तों में सरकारी सेवाओं में जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या भी खूब रहती है. यहाँ बड़ेबड़े अफसरों की श्रद्घा को देख इसे गजेटेड हनुमान नाम दे दियाए तभी से यह नाम चल निकला है. बरसों पहले तक जैसलमेर मूल शहर से बाहर होने की वजह से शहरी लोगों का आवागमन यहाँ कम था. जबकि कलक्ट्री कचहरी और दूसरे सरकारी दफ्तरों के यह खूब करीब है और इस वजह से हनुमान उपासक कई गजेटेट ऑफिसर यहाँ नियमित रूप से दर्शन करने के लिए आते रहते. 

सरकारी क्षेत्र के लोगों का विश्वास गजेटेड़ हनुमानजी पर जमता गया:
एकांत में होने की वजह से दशकों पूर्व छोटे से स्थल में बिराजमान हनुमान जी के दर्शन व पूजन के लिए पास के दफ्तरों में काम करने वाले सरकारी लोगों का आनाजाना ब़ने लगा. इन लोगों के लिए यही पड़ोसी भगवान हुआ करते थे जहां फुर्सत पाकर शोरशराबे से दूर तल्लीनता से उपासना हो सकती थी. इनमें कई भक्तगण यहीं बैठकर हनुमान चालीसा बजरंग बाण सुंदरकाण्ड आदि करते. इनमें कई सारे ऐसे होते जो अपने ट्राँसफरए प्रमोशन के लिए हनुमान जी से प्रार्थना करते. कई सरकारी अधिकारी ऐसे भी होते है जिन्हें सजा के तौर पर दूरस्थ जैसलमेर दिखा दिया जाता है इनके लिए यही हनुमानजी आशा की किरण साबित हुए थे. इस वजह से ये सरकारी नुमाइन्दे यहीं आकर मिन्नतें करते व हनुमान जी की साधना करते. इनकी मनोकामनाएँ पूरी होती रही. इसकी चर्चा एक से लेकर दूसरे अफसरों तक होने लगी. इससे सरकारी क्षेत्र के लोगों का विश्वास गजेटेड़ हनुमानजी पर जमता गया. इस वजह से हनुमानजी गजेटेड हनुमान के रूप से प्रसिद्ध हो गये. 

मन्दिर परिसर हनुमानजी की लीलाओं भरे चित्रों और रामायण की चौपाइयों से अटा पड़:
पूरा मन्दिर परिसर हनुमानजी की लीलाओं भरे चित्रों और रामायण की चौपाइयों से अटा पड़ा है. मन्दिर के बाहर पवित्र शमी का प्राचीन वृक्ष होने के साथ ही अब पीपल व तुलसी आदि भी पल्लवित हो रहे हैं. जैसलमेर शहर के निरंन्तर विस्तार से अब यह मंदिर शहर के बीच प्रतीत होता है. भक्तों की संख्या में ब़ोतरी और कालान्तर में विकास व विस्तार के चलते अब गजेटेड़ हनुमान मंदिर दर्शनीय श्रृद्घास्थल के रूप में बदल गया हैं. मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों का जमघट लगा रहता है. इन दोनों ही दिनों में हनुमानजी का विशेष श्रृंगार होता है. मंगलशनि को वाद्यों की संगत पर सुन्दरकाण्ड व हनुमानचालीसा के सामूहिक पारायण के साथ ही वर्ष में अनेक अवसरों पर अखण्ड रामायण पारायण और अन्य वृहत हनुमान उपासनापरक अनुष्ठानों का आयोजन होता है जिनमें बड़ी संख्या में हनुमान भक्त हिस्सा लेते हैं. हर वर्ष हनुमान जयंती के अवसर पर तीन दिवसीय विशाल समारोह होता है जिनमें रामचरित मानस का अखण्ड पारायणए हनुमान पंचामृत स्नानए कलशशोभायात्राए हनुमान यज्ञ तथा विशेष श्रृंगारए श्रीराम भण्डारा आदि का आयोजन जैसलमेर की धार्मिक परम्परा में शामिल है. जैसलमेर शहर भर से भक्त यहाँ उमड़ते हैं. भक्तों की अगाध श्रद्घा और आस्था के कारण गजेटेड़ हनुमान अब जैसलमेर के हनुमान तीर्थ के रूप में दूरदूर तक मशहूर हो चुका है. भक्तों ने हनुमान धाम के रूप में इसके विकास में कोई कसर बाकी नहीं रखी है. जैसलमेर आने वाले देशीविदेशी पर्यटक भी अब गजेटेड़ हनुमानजी आकर अपने आपको धन्य मानते हैं.  

विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी असीम आस्था:
बिजलीघर परिसर में स्थित इस हनुमान मंदिर में विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी असीम आस्था है. इस कार्यालय में कार्य करने वाले अधिकारी से लेकर नीचे के अधिकारी तक सभी लोग प्रतिदिन इस मंदिर में हनुमान जी के दर्षन करने के बाद ही अपने दैनिक कार्यालय कार्यों का आरम्भ करते है. कर्मचारियों का मनाना है कि ऐसा करने से उनका दिन अच्छा गुजरता है और उनके कार्यालय के कार्य निर्बाध गति से होते है. कर्मचारियों का कहना है कि जिस किसी दिन अगर ऐसा नहीं किया जाता उस दिन जिले में कहीं न कहीं किसी न किसी प्रकार की विद्युत संबंधि परेषानी आ जाती है.. ऐसे में उन्हें लगता है कि जैसलमेर की विद्युत व्यवस्था में अप्रत्यक्ष रूप से इन हनुमान जी की भी भूमिका निष्चित रूप से है. 

जैसलमेर के इन गजेटेड हनुमान जी को पान बहुत प्रिय:
हिन्दु धर्म में 33 करोड देवी देवता है और प्रत्येक देवी देवता का अपना प्रिय भोजन, प्रिय वाहन और अन्य विशेषताएं है. जिस प्रकार गणेश जी को मोदक का भोग प्रिय है उसी प्रकार जैसलमेर के इन गजेटेड हनुमान जी को पान बहुत प्रिय है. मंदिर में दर्षन के लिये आने वाला प्रत्येक भक्त प्रतिदिन हनुमान जी के लिये पान का बीडा प्रसाद के रूप में चढाता है और अपनी मनोकामना हनुमान जी के सम्मुख रखता है. पुजारी की मानें तो यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग आते है और पान के बीडे अपने साथ प्रसाद के रूप भगवान को अर्पण करते है. इस पान के बीडे में आधा पान हनुमान जी को चढ़ाने के बाद आधा पान स्वयं प्रसाद के रूप में गृहण करते है. मंगलवार और शनिवार को यहां पर भक्तों की भारी भीड़ रहती है ऐसे में यहां पर चढ़ने वाले पान भी बढ जाते है. 

बड़ी संख्या में आती है नौकरी और प्रमोशन की अर्जियां:
आमतौर पर रोजगार और प्रमोशन के लिये लोग सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते और कार्यालय के उच्चाधिकारियों की मान मनौव्वल करते है.. लेकिन जैसलमेर के गजेटेड हनुमान जी की शरण में अगर कोई एक बार आ गया तो उसके कहीं भी चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं रहती. सरकारी नौकरी प्राप्त करने के इच्छुक बेरोजगार हो या फिर सरकारी कार्यालय में प्रमोशन की इच्छा रखने वाले कर्मचारी.. अपनी नौकरी और प्रमोशन का पहला आवेदन गजेटेड हनुमान जी के सामने रखते है... और बाकायदा ये गजेटेड हनुमान जी इनके आवेदनों का निस्तारण भी करते है, यही कारण है कि यहां पर प्रसाद के साथ साथ नौकरी और प्रमोशन की अर्जियां भी बड़ी संख्या में आती है. जिस तरह सरकारी कार्यालय में गजेटेड अधिकारी कृपा की आवश्यकता नीचे के कर्मचारियों को रहती है ठीक उसी प्रकार इस गजेटेड हनुमान की जी कृपा की आवश्यकता अधिकारियों, कर्मचारियों और बेरोजगारों को रहती है.