आर्थिक संकट से लेकर जी-20 तक का सफरः भारत पहली बार कर रहा शिखर सम्मेलन की मेजबानी, जानें फाइनेंशियल क्राइसिस की पूरी कहानी

नई दिल्लीः आज से जी20 समिट का आगाज हो चुका है. भारत की मेजबानी में होने वाले सम्मेलन को लेकर सभी सदस्यों देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी पहुंच चके है. ये पहली बार होने जा रहा है जब भारत जी-20 की मेजबानी कर रहा है. इससे पहले पिछले साल अमेरिका ने इसकी अध्यक्षता की थी. जिसमें रूस और यूक्रेन की जंग का मुद्दा सबसे अहम रहा था. 

ऐसे में इस बार भी इसी मुद्दे पर चर्चा की आशंका जतायी जा रही है. जो भारत के लिए एक चुनौती बन सकती है. क्योंकि पिछली बार अमेरिका की मेजबानी में जंग का मुद्दा काफी बड़ा रहा था जिसपर समिट के आखिरी दिन जब घोषणा पत्र जारी करने की बात आई तो रूस और अमेरिका में यूक्रेन वॉर के जिक्र को लेकर आपस में ठन गई. ऐसे में समिट को फेल होने से बचाने के लिए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने डिप्लोमेसी का सहारा लिया. और समिट को सफलता पूर्वक उद्देश्य के साथ पूर्ण किया था. हालांकि इस बार रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने नहीं आकर मंत्री को देश का नेृत्तत्व करने के लिए भेजा है. 

जलवायु परिवर्तन रहेगा अहम मुद्दाः
इसके साथ ही समिट की मेजबानी कर रहा भारत और विश्व के लिए जो बैठक का सबसे अहम मुद्दा रहने वाला है. वो है जलवायु परिवर्तन. जिसपर माना जा रहा है आज एक लंबे दौरे की वार्ता होनी है. और सभी देश इसपर अपनी-अपनी समस्या के साथ समाधान को भी सुझायेंगे. इसके अलावा डिजिटल नवाचार, जलवायु लचीलापन, आर्थिक मदद, विश्व बैंक और आईएमएफ में सुधार, क्रिप्टो करेंसी के लिए नए नियम, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर जोर, जलवायु परिवर्तन और रूस-यूक्रेन युद्ध के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव जैसे मुद्दे शामिल हैं.

आर्थिक संकट से लेकर जी20 की स्थापनाः
वहीं अगर इसकी शुरूआत की बात करें तो 2008 में आया आर्थिक संकट पूरी दुनिया को याद है. जिसने दुनिया में बड़े बड़े देशों को कंगाली कगार पर ला कर छोड़ दिय़ा था. इससे ठीक 11 साल पहले 1997 में एशिया में भी एक आर्थिक संकट आया था. इसे एशियन फाइनेंशियल क्राइसिस के नाम से जाना जाता है. ये संकट थाईलैंड से शुरू होकर एशिया के दूसरे देशों में भी फैल गया. 

1999 में जी20 की हुई स्थापनाः
इसका असर विकसित देशों पर न पड़े. ऐसे में विकसित देशों ने इसपर तुंरत एक्शन लेते हुए 1999 में जी20 की स्थापना की गयी. इसमें उन देशों को शामिल किया गया जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी, या जिनमें तेजी से बढ़ने की कैपेसिटी थी. जी-20 का उद्देश्य वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर डिस्कस करना तय किया गया. 

हालांकि इसकी शुरुआत में सिर्फ देश के वित्तय मंत्री ही शामिल हुआ करते थे लेकिन कुछ समय बाद में 2008 से स्थितियों को देखते हुए ये फैसला लिया गया कि राष्ट्राध्यक्ष भी इसमें शामिल होने लगे. और उसके बाद से ही हर साल हर एक सदस्य देश इसकी मेजबानी करने लगा. जिसका पहला शिखर सम्मेलन वॉशिंगटन डीसी में आयोजित किया गया था. और इस बार भारत इसकी मेजबानी करने जा रहा है. जो 9-10 सितंबर को दिल्ली में आयोजित की गयी है.