नयी दिल्ली: चिली के सैंटियागो में 2008 में ओलंपिक क्वालीफायर हारने का दर्द झेल चुके तुषार खांडेकर को अब इस साल के आखिर में भारतीय जूनियर महिला टीम के कोच के रूप में उसी शहर में जाना है और उनके पास ‘चक दे इंडिया’ के कोच कबीर खान की तरह मौका है कि जो बतौर खिलाड़ी वह नहीं कर सके, कोच के रूप में कर सकते हैं.
आठ बार की चैम्पियन भारतीय टीम 2008 में सैंटियागो में बीजिंग ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में ब्रिटेन से 2 . 0 से हारकर 80 साल में पहली बार ओलंपिक में जगह बनाने में नाकाम रही थी. खांडेकर उस टीम का हिस्सा थे जिन्हें मंगलवार को जूनियर महिला हॉकी टीम का कोच बनाया गया है. अब ‘चक दे इंडिया’ के कबीर खान की तरह खांडेकर के पास भी एक कोच के रूप में वह करने का मौका है जो वह खिलाड़ी के तौर पर नहीं कर पाये.
जूनियर विश्व कप में कोच खांडेकर ही होंगेः
हाल ही में जापान के काकामिगाहारा में चार बार की चैम्पियन कोरिया को हराकर पहली बार एशिया कप जीतने वाली जूनियर महिला हॉकी टीम चिली के सैंटियागो में ही 29 नवंबर से 10 दिसंबर के बीच जूनियर विश्व कप खेलेगी तो कोच खांडेकर ही होंगे.
जूनियर महिला टीम का कोच बनाये जाने के बाद खांडेकर ने कहा मैं चिली की उन भयावह यादों को ताजा नहीं करना चाहता और ना ही कभी इसके बारे में बात करता हूं. लेकिन शायद मुझे यह मौका मिला है कि मैं उन कड़वी यादों को सुनहरी यादों में बदल सकूं. उन जख्मों पर मरहम लगा सकूं जो मुझे 15 साल पहले वहां मिले थे और जिनकी टीस आज भी ताजा है.
उन्होंने कहा यह बहुत कुछ फिल्म चक दे जैसा ही है. मुझे उम्मीद है कि जो हम 2008 में नहीं कर सके. वह जूनियर महिला टीम चिली में इस साल के आखिर में विश्व कप में कर दिखायेगी. पूर्व ओलंपियन और जूनियर तथा सीनियर एशिया कप जीतने वाली भारतीय टीमों के सदस्य रहे खांडेकर अपेक्षाओं के दबाव को ‘सकारात्मक’ मानते हैं और उनका मानना है कि यह टीम जूनियर विश्व कप में बेहतरीन प्रदर्शन करने में सक्षम है.
जूनियर एशिया कप जीतने के बाद टीम से उम्मीद बढ गईः
उन्होंने कहा मेरी प्राथमिकता खिलाड़ियों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करना होगी. ऐसे खिलाड़ी तैयार करना जो भविष्य में भारत के लिये सीनियर स्तर पर भी अच्छी हॉकी खेल सकें. उन्होंने स्वीकार किया कि जूनियर एशिया कप जीतने के बाद टीम से अपेक्षायें बढ गई है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इससे टीम का आत्मविश्वास भी बढा है.
भारत के लिये 2003 में हॉकी आस्ट्रेलिया चैलेंज कप में पदार्पण करने वाले इस अनुभवी फॉरवर्ड ने कहा निश्चित तौर पर अब विश्व कप में भी उस प्रदर्शन को दोहराने का दबाव होगा. मैं अपेक्षाओं को सकारात्मक लेता हूं क्योंकि जब आप काबिल होते हैं तो ही आपसे उम्मीद की जाती है. इससे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढता है.
जूनियर महिला विश्व कप चिली के सैंटियागो में 29 नवंबर से 10 दिसंबर के बीच खेला जायेगा. भारतीय टीम को पूल सी में बेल्जियम, कनाडा और जर्मनी के साथ रखा गया है. भारत 29 नवंबर को कनाडा से, एक दिसंबर को जर्मनी और दो दिसंबर को बेल्जियम से खेलेगा.
हमारा फोकस अब विश्व कप पर ही होगा- कोच
38 वर्ष के इस दिग्गज पूर्व खिलाड़ी ने कहा हमारा फोकस अब विश्व कप पर ही होगा. पिछली बार टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी और अब जूनियर एशिया कप जीता है. हमारी तैयारियां सही दिशा में है और हम प्रतिदिन बेहतर प्रदर्शन की कोशिश करेंगे.
उन्होंने कहा कि वह ‘परफेक्शन’ नहीं बल्कि ‘प्रोसेस’ में भरोसा करते हैं. उन्होंने कहा अंतरराष्ट्रीय हॉकी में प्रतिदिन बेहतर प्रदर्शन जरूरी है. लोग परफेक्शन की बात करते हैं लेकिन मेरे शब्दकोष में यह शब्द ही नहीं है. मैं प्रक्रिया पर भरोसा करता है यानी हर दिन सीखना और बेहतर खेलना.
भारतीय हॉकी के बढते ग्राफ के बारे में उन्होंने कहा भारत में हॉकी का ग्राफ ऊपर की ओर बढा है और यह रैंकिंग में भी दिखता है. चाहे सीनियर महिला या पुरूष टीमें हों या जूनियर टीमें. धीरे धीरे वे उस स्तर पर पहुंच रही हैं जहां उन्हें होना चाहिये. शीर्ष टीमों में और हम में बहुत फर्क नहीं रह गया है. सोर्स भाषा