कोटा: कोटा में कोचिंग छात्र सुसाइड प्रकरण में पोस्टमार्टम के बाद दोनों छात्रों के शव परिजनों को सौंपे गए हैं. शव को लेकर परिजन महाराष्ट्र और बिहार रवाना हो गए हैं. दोनों मृतकों में से एक छात्र के भाई-बहनों ने भी कोटा छोड़ दिया है.
वहीं कोटा में बच्चों के सुसाइड मामलों पर आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने सुसाइड के मामलों के लिए मोबाइल की लत को जिम्मेदार बताया है. मंत्री मेघवाल ने कहा कि बच्चे रात-दिन मोबाइल में लगे रहते हैं इससे डिप्रेशन बढ़ता है. पहले बच्चे परिवार में बैठते थे बड़ों की सलाह लेते थे. थोड़ा अध्यात्म की तरफ भी थे लेकिन अब माहौल बदल गया है. इस दौरान मंत्री ने सभी से अपील करते हुए अच्छी संगत में बैठने का आग्रह किया.
रविवार को भी दो स्टूडेंट्स ने सुसाइड कर लिया:
आपको बता दें कि कोटा में स्टूडेंट्स के सुसाइड का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. रविवार को भी दो स्टूडेंट्स ने टेस्ट सीरीज में कम नंबर आने से तंग आकर सुसाइड कर लिया. रविवार दोपहर को लातूर (महाराष्ट्र) के रहने वाले आविष्कार संभाजी कासले ने अपने कोटा में कोचिंग इंस्टीट्यूट की छठी मंजिल से कूदकर सुसाइड कर लिया. स्टूडेंट कोटा के तलवंडी इलाके में 3 साल से रह कर NEET की तैयारी कर रहा था. वह रविवार को कोचिंग इंस्टीट्यूट में टेस्ट देने के लिए आया था.
इस साल कोटा में आत्महत्या करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 23 हो गई:
वहीं इसके बाद रात 7 बजे कुन्हाड़ी के लैंडमार्क एरिया में रहने वाले कोचिंग छात्र आदर्श अपने कमरे में फंदे से लटका मिला. आदर्श बिहार के रोहिताश्व जिले का रहने वाला था. स्टूडेंट नीट की तैयारी के लिए 4 महीने पहले ही कोटा आया था. यहां लैंडमार्क एरिया में भाई-बहन के साथ फ्लैट लेकर रह रहा था. इनके सुसाइड करने के बाद इस साल कोटा में आत्महत्या करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 23 हो गई है. जब प्रशासन ने साल 2015 से यहां होने वाले सुसाइड का डेटा इकट्ठा किया तो पाया कि ये संख्या अभी तक सबसे ज्यादा है.
कोटा शहर पुलिस ने नई पहल शुरू की:
कोचिंग स्टूडेंट्स सुसाइड्स को लेकर कोटा शहर पुलिस ने नई पहल शुरू की है. कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स के लिए अलग से पुलिस थाना खुलेगा. कोटा शहर पुलिस ने मुख्यालय पर प्रस्ताव भिजवाने की तैयारी शुरू हो गई है. इसके साथ ही कोटा जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट ने बच्चों की सुसाइड को देखते हुए तत्काल एक एडवाइजरी जारी की. जिसमें सभी कोचिंग संस्था को अगले दो महीने तक कोचिंग में टेस्ट लेने पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया.
कोंचिंग के बच्चों को किसी प्रकार की परीक्षा नहीं देनी होगी:
ऐसे में यहां समय-समय पर होने वाले टेस्ट अब आयोजित नहीं होंगे और अक्टूबर महीने तक कोंचिंग के बच्चों को किसी प्रकार की परीक्षा नहीं देनी होगी. जिला प्रशासन लगातार इस प्रयास में है कि तैयारी कर रहे बच्चे स्ट्रेस फ्री रहें. इस फैसले से उन्हें मेंटल सपोर्ट मिलेगा ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है. ये फैसला स्टूडेंट्स के ऊपर पड़ते दबाव को कम करने के लिए लिया गया है.