साइबर बुलिंग युवाओं को प्रभावित कर रही, कानून के जरिए इससे लड़ने की जरूरत: लोकसभा अध्यक्ष बिरला

गंगटोक: लोकसभा और राज्यसभा दोनों के पीठासीन अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को साइबर बुलिंग पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे युवा प्रभावित हो रहे हैं और आंकड़े बताते हैं कि इस तरह के मामलों में भारत अग्रणी क्षेत्र है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यहां कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन-इंडिया रीजन के 19वें वार्षिक जोन-3 सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि साइबर बुलिंग (साइबर जगत में डराने, धमकाने के मामले) आज के संदर्भ में बेहद प्रासंगिक है क्योंकि बहुत से लोग, खासकर किशोर और युवा इससे प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि साइबर बुलिंग से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका कानून बनाना और (जागरूकता पैदा करना) है. 

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल शासन में दक्षता में सुधार और लोगों के जीवन में बेहतरी के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही संस्थानों तथा लोगों को इसके दोषों से बचाने के लिए सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डिजिटल रूप से सशक्त राष्ट्र बनने के लिए नई डिजिटल तकनीकों को अपनाने के मिशन में ‘साइबर बुलिंग’ जैसा नकारात्मक पहलू भी है.

हरिवंश ने कहा कि वैश्विक आंकड़े भारत को साइबरबुलिंग के मामलों में अग्रणी क्षेत्र के रूप में दिखाता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि सम्मेलन इस उभरती चिंता का समाधान ढूंढेगा. साइबर बुलिंग और नशीली दवाओं के दुरुपयोग दो विषय हैं जिन पर बृहस्पतिवार से शुरू होने वाले दो दिवसीय सम्मेलन में चर्चा की जाएगी. हरिवंश ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में भी चिंता व्यक्त की और कहा कि भारत दुनिया में सबसे युवा राष्ट्र है और नीति निर्माताओं को इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए काम करना चाहिए. भाषा एजेंसी