भगवान परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया आज, इसी दिन सतयुग और त्रेता युग हुआ था प्रारंभ, जानिए क्या है महत्व

नई दिल्लीः देशभर में आज भगवान परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया मनाई जा रही है. ये पर्व वैशाख माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है यह शुभ दिन भगवान परशुराम के जन्म का प्रतीक है. उन्हें श्री हरि का छठा अवतार माना जाता है. परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. 

इस दिन की खास बात करें तो आज ही के दिन सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था. भगवान विष्णु के छठवें अवतार परशुराम का अवतरण हुआ था. सनातन धर्म के लिए विशेष चारधाम यात्रा का भी आज से श्रीगणेश हुआ. आज से ही केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री के कपाट खुले. आज ही के दिन भागीरथ के तप के बाद मां गंगा का जमीन पर अवतरण, आज ही के दिन महाभारत के युद्ध और द्वापर युग का समापन हुआ था.  

वृदावंन में श्रीबांके बिहारी मंदिर में इसी दिन श्रीविग्रह के चरण दर्शन होते है. आज ही के दिन भगवान कृष्ण और सुदामा का मिलन हुआ था. आज बिना मुहूर्त के अबुझ सावे में सभी मांगलिक कार्य संपन्न हो रहे है. घरों में आज 7 धान के खीचड़े,इमलाना का ठाकुरजी को भोग लगाया जा रहा है. तीर्थस्थलों और देव धामों पर आखातीज के दिन श्रद्धा का सैलाब उमड़ा है. 

बता दें कि परशुराम जयंती का एक बड़ा महत्व रहा है. क्योंकि इस दिन भगवान श्री परशुराम के जन्म का प्रतीक है. परशुराम जी का जन्म तृतीया तिथि को प्रदोष काल में हुआ था. ऐसे में इस दिन को लेकर  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उनका जन्म अधर्मी, पापी और क्रूर राजाओं का नाश करने के लिए हुआ था.