VIDEO: उदयपुर में भगवान शिव का अनूठा मंदिर, बाल शिवभक्तों के जिम्मे हैं प्रकटेश्वर महादेव, देखिए ये खास रिपोर्ट

उदयपुर: शिव आराधना के पवित्र मास सावन की शुरुआत हो चुकी है.मान्यता है की इस महीने में मन की शुचिता के साथ पूजा करने पर देवाधिदेव महादेव की विशेष कृपा बरसती है .ऐसे में आज हम आपको मेवाड़ के एक ऐसे महादेव मंदिर की कहानी से रूबरू करवाएंगे जो श्रद्धालु की अटूट आस्था और श्रद्धा के साथ  नैतिक,सामाजिक शिक्षा और सामाजिक समरसता की कहानी को बयां करने के साथ ही मन के भोले बालकों की भगवान शिव के प्रति अगाध श्रद्धा को भी दर्शित करता है.

उदयपुर के समीपवर्ती बेदला गांव के अस्पताल चौक में स्थित प्रकटेश्वर महादेव का मंदिर, महादेव के भक्तो की लगातार अप्रतिम आस्था का केंद्र बना हुआ है. सावन मास में इस मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा महादेव को जलाभिषेक और दुधाभिषेक अर्पण कर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. आशुतोष भगवान शिव से जुड़े  सभी स्थल यू तो बड़े ही चमत्कारी और अलौकिक है. लेकिन प्रकटेश्वर महादेव का यह मंदिर अपने अनूठे सामाजिक मूल्यों को लेकर हर जगह काफी प्रसिद्धि पा रहा है. इस मंदिर से जुड़ी हर गतिविधि में अग्रणी रहने वाले बड़गांव के उपप्रधान प्रताप सिंह राठौड़ ने बताया की इस मंदिर की खासियत है की इसकी सार संभाल नन्हे मुन्ने बच्चों के हाथों से होती है.

मंदिर के पुजारी हर्षुल शर्मा स्कूल जाने से पूर्व सुबह जल्दी और शाम को मंदिर में पूजा अर्चना और आरती का जिम्मा संभालते है. हर्षुल के इस पुनीत कार्य में मोहल्ले के हर घर के करीब एक दर्जन बच्चे पारंपरिक परिधान में मंदिर से जुड़े सभी कार्य कलापों में कंधे से कंधा मिलाकर हाथ बढ़ाते है. इन बच्चों को अपनी संकल्पित इच्छा से मंदिर से जोड़ने वाले प्रताप सिंह राठौड़ बताते है की इस मंदिर में आसपास के रहने वाले वरिष्ठ लोग और मंदिर समिति के सदस्य सिर्फ अर्थ से जुड़ी व्यवस्था देखते है. बाकि महादेव की पूजा,आकर्षक श्रृंगार,मंदिर की साफ सफाई और रखरखाव मोहल्ले के नन्हे शिव भक्तों के जिम्मे है.

दरअसल आज के डिजिटल युग में बच्चे मोबाइल पर व्यस्त है, लेकिन इस इलाके के लोगो ने प्रयास किया की आने वाली पीढ़ी को सनातन संस्कृति से रूबरू करवाकर इससे जोड़ कर रखा जाए, ताकि राष्ट्र निर्माण में ये लोग भी अपनी महत्ती भूमिका निभा सके. जब गर्मी, सर्दी या दीपावली की छुट्टियां का समय होता है तो बच्चे रोजाना इसमें अपना पूरा समय देते और शाम को भव्य आरती करते है. यही नहीं महादेव की सेवापुजा के अलावा मंदिर में मोहल्लों के इन नौनिहालों के व्यक्तित्व को तराशने के लिए समय समय पर सामाजिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी दी जाती हे ताकि राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव इन बच्चों में  विकसित हो सके.इसके तहत देश को विश्वगुरु बनाने की यात्रा में रहे महापुरुषों के जीवन से भी इनको समय समय पर अवगत कराया जाता है. यही वजह है कि नन्हे मुन्ने बालक भी इस से मंदिर से अपने आप को बंधा हुआ पाते हैं.

यही नहीं इस शिवलिंग और शिव मंदिर से जुड़ी कहानी भी बेहद ही रोचक है.वर्ष 1998 में नागपंचमी के दिन बेदला नदी में खुदाई के दौरान इसका प्राकट्य हुआ. इसके बाद हिंदू संगठनों और गांव के श्रद्धालुओं ने इसको इस सार्वजनिक चबूतरे पर स्थापित कर दिया. करीब 17 वर्षो बाद इस मंदिर को जन सहयोग के माध्यम से बनवाया और पिछले वर्ष सूरजकुंड के महान संत अवधेशानंद जी महाराज के हाथों इस नव निर्मित मंदिर में शिवलिंग को प्रतिष्ठित किया गया.

...रवि कुमार शर्मा, फर्स्ट इंडिया न्यूज़, उदयपुर