राजधानी में बेशकीमती भूमि से जुड़ा बहुचर्चित मामला, दशकों बाद JDA लेगा कब्जा ! देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः राजधानी के जवाहरलाल नेहरू मार्ग और टोंक रोड के बीच स्थित 205 बीघा के बहुचर्चित मामले में जयपुर विकास प्राधिकरण ने बड़े फैसले लिए हैं. राज्य सरकार के 38 साल पुराने आदेशों की पालना में जेडीए अब अपने स्वामित्व की भूमि का कब्जा लेगा. क्या है पूरा मामला देखिए.

यह पूरा मामला जवाहरलाल नेहरू मार्ग और टोंक रोड के बीच कैपस्टन मीटर्स और पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन से जुड़ी 205 बीघा बेशकीमती भूमि का है. इस कुल 205 बीघा भूमि की बात करें तो इसमें से टोंक रोड ग्राम मानपुर और ग्राम झालाना डूंगर की स्वयं की खातेदारी की 132.05 बीघा भूमि केपस्टन मीटर्स प्राइवेट लिमिटेड ने राज्य सरकार को समर्पित कर दी थी. राज्य सरकार ने 23 अप्रेल 1965 को यह भूमि कैपस्टन मीटर्स को 99 वर्ष की लीज पर औद्योगिक प्रयोजन के लिए आवंटित कर दी. इस भूमि से ही लगती हुई 73 बीघा 3 बिस्वा सिवायचक भूमि राज्य सरकार ने 19 अक्टूबर 1965 को औद्योगिक प्रयोजन के लिए 99 वर्ष की लीज पर दे दी. इस भूमि में से 30 एकड़ भूमि कैपस्टन मीटर्स ने जय ड्रिंक्स प्राइवेट लिमिटेड को सब लीज पर दे दी. आपको बताते हैं कि मौके की इस जमीन से संबंधित ये मामला आगे किस तरह चला?

-बजाज नगर से सांगानेर हवाई अड्डे तक की भूमि के अधिग्रहण के लिए 28 फरवरी 1973 को अधिसूचना जारी की गई.

-इस अवाप्ति के दायरे में 205 बीघा भूमि का अधिकतर हिस्सा शामिल था

-राज्य सरकार ने 14 अप्रेल 1986 को इसमें से साढ़े 7 एकड़ भूमि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को अस्पताल निर्माण के लिए दान में दिए जाने

-और 20 एकड़ भूमि नीलामी के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण को दान में देने के लिए भूमि को अवाप्ति से मुक्त किया गया

-1 मई 1986 को आदेश जारी कर राज्य सरकार ने माध्यमिक विद्यालय के लिए 20 एकड़, अस्पताल हार्ट फाउंडेशन के लिए 5 एकड़,

-वृद्ध व्यक्तियों के आवास हेतु 5 एकड़, जय ड्रिंक्स फैक्ट्री के लिए 18 एकड़ व कैपस्टन मीटर्स के लिए 12 एकड़ भूमि अवाप्ति से मुक्त कर दी गई

-1 दिसंबर 87 व 2 दिसंबर 87 को सरकार ने दुबारा आदेश जारी कर 15 एकड़ भूमि चेरिटेबल ट्रस्ट को दान में देने के लिए भूमि अवाप्ति से मुक्त कर दी

यह मामला प्रदेश की पिछली अशोक गहलोत सरकार के समय काफी चर्चा में आया था. उस समय कैपस्टन मीटर्स और पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन की ओर से भूमि के दो हिस्सों के भू उपयोग निर्धारण के लिए जेडीए में आवेदन प्रस्तुत किया गया था. आपको बताते हैं कि इस मामले से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए जेडीए ने तब क्या फैसला किया और किस तरह इस मामले ने तत्कालीन निदेशक विधि की राय के चलते सुर्खियां बटोरी.

-ग्राम झालाना डूंगर की जयपुरिया अस्पताल के पास लाल सिंह जूड़ो कॉलोनी में स्थित साढ़े सात एकड़ भूमि का भू उपयोग निर्धारण के लिए आवेदन किया

-पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन ने भूमि का भू उपयोग विशिष्ट क्षेत्र से मिश्रित करने के लिए जेडीए में आवेदन किया था

-कैपस्टन मीटर्स इंडिया लिमिटेड और जय ड्रिंक्स प्रा.लि.की इस पूरी 15 एकड़ भूमि राज्य सरकार ने अधिग्रहित कर ली थी.

-राज्य सरकार ने 2 दिसंबर 1987 को आदेश जारी कर इस 15 एकड़ भूमि को कई शर्तों के साथ अवाप्ति से मुक्त कर दिया था

-अवाप्ति से मुक्ति की शर्तों के मुताबिक भूमि के मालिक इस भूमि को चैरिटेबल ट्रस्ट को दान में दें देंगे

-चैरिटेबल ट्रस्ट इसमें से आधी साढ़े सात एकड़ भूमि को बेचेगा

-इसी साढ़े सात एकड़ भूमि के भू उपयोग निर्धारण के लिए पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन ने जेडीए में आवेदन किया था

-अवाप्ति की शर्त के मुताबिक शेष साढ़े सात एकड़ भूमि पर अनाथालय या चिल्ड्रन होम कम वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण किया जाएगा

-आधी भूमि बेचने से जो राशि प्राप्त होगी,उससे इस सेंटर का निर्माण व संचालन किया जाएगा

-भूमि का बेचान करने के लिए चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से एक समिति का गठन किया जाएगा

-इस समिति में राज्य सरकार व जेडीए के एक-एक प्रतिनिधि शामिल होंगे

-इन शर्तों की अवहेलना करने पर राज्य सरकार तय कानून के तहत कार्रवाई करेगी

-23 जनवरी 2013 को जेडीए ने इसके अनुमोदित नक्शे जारी कर दिए थे

-शर्त के अनुसार शेष साढ़े सात एकड़ भूमि के बेचान के लिए ट्रस्ट को एक समिति का गठन करना था

-लेकिन जेडीए में पुष्पा फाउंडेशन ने भू उपयोग निर्धारण के लिए जो आवेदन किया है

-उस आवेदन ऐसी किसी समिति की बैठक के कार्यवाही विवरण का हवाला नहीं दिया गया 

-और यह भी नहीं बताया कि इस बैठक में जेडीए व सरकार के प्रतिनिधि को आमंत्रित किया था या नहीं

पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन का यह मामला केवल अवाप्ति से मुक्ति की शर्तें और उनकी अवहेलना तक ही सीमित नहीं हैं. बल्कि इस मामले में और भी कई महत्वपूर्ण तथ्य हैं, जिनके बारे में हम आपको बताते हैं-

-जिस साढ़े सात एकड़ भूमि का बेचान किया जाना था और जिसके भू उपयोग निर्धारण के लिए आवेदन किया गया था

-यह दरअसल खसरा नंबर 177 व 178 पर स्थित है

-खसरा नंबर 178 की 11782.78 वर्गमीटर भूमि राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार राजकीय भूमि के नाम से दर्ज है

-इस मामले में जेडीए ने 9 जून1999 को सरकार को पत्र लिखा था

-जेडीए ने सरकार को कहा था कि भूमि का उपयोग औद्योगिक प्रयोजन से नहीं होने के कारण लीज निरस्त की जानी चाहिए

-साथ ही इसमें जो सरकारी भूमि शामिल है उसका बिना कोई मुआवजा दिए सरकार उसे अधिग्रहित करना चाहिए

-मामले में बड़ी बात यह भी है कि प्रकरण की फाइल 2001 से पहले की गुम है साथ ही नोटशीट 14 अगस्त 2013 से पहले की गुम है

 -तत्कालीन भाजपा सरकार ने  3 जुलाई 2017 को ने जेडीए को निर्देश दिए थे कि इस भूमि का भू उपयोग आवासीय किया जाए

-जेडीए की ओर से 9 जून1999 को सरकार को लिखे पत्र पर सरकार से मार्गदर्शन लेने का जेडीए ने फैसला किया

-हांलाकि भूमि का भू उपयोग विशिष्ट क्षेत्र से आवासीय करने की जेडीए ने कार्यवाही तब नहीं की

-पुष्पा फाउंडेशन की ओर से भूमि का भू उपयोग मिश्रित चाहा गया था जो मास्टर प्लान के अनुसार संभव नहीं हैं

-मास्टर प्लान 2025 के वॉल्यूम 2 के बिंदु 2.4.2 के अनुसार मिश्रित भू उपयोग की नीति निर्धारित की गई है

-इस नीति के अनुसार 80 फीट और इससे अधिक चौड़ी सड़कों पर ही मिश्रित भू उपयोग की स्वीकृति दी जा सकती है

- जबकि प्रकरण की भूमि 60 फीट चौड़ी सड़क पर मौजूद है

-जेडीए की भू उपयोग परिवर्तन समिति ने इस भूमि का भू उपयोग मिश्रित करने की सिफारिश कर दी

इसी तरह जेडीए में जेएलएन मार्ग व टोंक रोड बीच स्थित इसी 205 बीघा भूमि में से 12 एकड़ भूमि के भू उपयोग निर्धारण का भी जेडीए में आवेदन प्रस्तुत किया गया. इस भूमि से जुड़े इस दूसरे मामले में कैप्सटन मीटर्स प्राईवेट लिमिटेड ने ग्राम मानुपरा देवरी की 12 एकड़ भूमि का भू उपयोग व्यावसायिक करने के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण में आवेदन किया था.  टोंक रोड पर गोपालपुरा फ्लाई ओवर से लगती इस 12 एकड़ भूमि का भू उपयोग मौजूदा मास्टर प्लान 2025 में भू उपयोग विशिष्ट क्षेत्र रखा गया है.

-इस भूमि को राज्य सरकार ने अवाप्ति से मुक्त कैप्सटन मीटर्स फैक्ट्री मतलब औद्योगिक प्रयोजन के लिए किया गया था

-अवाप्ति से मुक्ति की सबसे अहम और पहली शर्त यही थी कि जिस प्रयोजन के लिए भूमि अवाप्ति से की मुक्त की गई थी

-उसी प्रयोजन के लिए ही भूमि का उपयोग किया जा सकेगा

-कैप्सटन मीटर्स की इस भूमि को लेकर कैग के अधीन महालेखाकार राजस्थान ने वर्ष 2015-2017 का निरीक्षण प्रतिवेदन पेश किया था

-इस निरीक्षण प्रतिवेदन के आक्षेप संख्या 2 में 472.39 करोड़ रुपए की राजस्व हानि का आक्षेप उठाया गया है

-इस आक्षेप के मुताबिक कैप्सटन मीटर्स 73 बीघा भूमि का उपयोग करने में विफल रहता है तो भूमि राज्य सरकार को वापस लेनी चाहिए

-इसी आक्षेप की अनुपालना के लिए जिला कलक्टर ने 29 मई 2018 को मूल पत्रावली मांगने के लिए जेडीए को पत्र लिखा था

-मास्टर प्लान के वॉल्यूम 4 के बिंदु संख्या 10 के उप बिंदु संख्या 10.14 में व्यावसायिक उपयोग के प्रावधान दिए गए हैं

-इस प्रावधान के मुताबिक फ्लाईओवर के दोनों तरफ स्थित भूमि का भू उपयोग व्यावसायिक नहीं किया जाएगा

-मास्टर प्लान के वॉल्यूम 2 के अनुबंध 1 में भी इस बारे में प्रावधान किया गया है

-इसके अनुसार यातायात के सफल संचालन के लिए जरूरी है कि ऐसी सभी सड़क जिन पर व्यावसायिक भू उपयोग प्रस्तावित है

-उन सड़कों पर फ्लाई ओवर के दोनों तरफ स्थित भूमि का व्यावसायिक भू उपयोग प्रतिबंधित रहेगा व नियमन नहीं किया जाएगा

-टोंक रोड के दोनों तरफ मास्टर प्लान में भू उपयोग व्यावसायिक प्रस्तावित किया गया है

-लेकिन यह भूमि जिसका व्यावसायिक लैंड यूज चाहा गया था, यह गोपालपुरा फ्लाई ओवर के एक तरफ स्थित है

-इस भूमि का पहुंच मार्ग 10.50 मीटर की सर्विस लेन ही है

-जेडीए की भू उपयोग परिवर्तन समिति ने भूमि का भू उपयोग व्यावसायिक निर्धारित करने की सिफारिश कर दी

भू उपयोग निर्धारण की सिफारिश करते हुए जेडीए ने ये दोनों मामले मंजूरी के लिए राज्य सरकार की राज्य स्तरीय भू उपयोग परिवर्तन समिति को भेज दिए. इस समिति की बैठक में आपत्ति कर्ताओं की सुनवाई करते हुए इन दोनों प्रकरणों को स्थगित कर दिया गया. साथ ही इन दोनों प्रकरणों के विधिक परीक्षण के जेडीए को निर्देश दिए. जेडीए ने तत्कालीन निदेशक विधि दिनेश गुप्ता को विधिक परीक्षण के लिए इन प्रकरणों को भेज दिया. तत्कालीन निदेशक दिनेश गुप्ता ने इन दोनों प्रकरणों के विधिक परीक्षण में पूरी 205 बीघा भूमि के मामले को खंगाल लिया. विधिक परीक्षण के बाद जेडीए के तत्कालीन निदेशक विधि दिनेश गुप्ता ने विधिक राय में इस पूरे मामले में सरकारी जमीन को खुर्दबुर्द करने का आरोप लगाया. साथ ही पूरे मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने की सिफारिश कर दी. इसके बाद कांग्रेस सरकार में ही इस मामले पर पूर्व महाधिवक्ता जीएस बाफना से विधिक राय ली गई. जीएस बाफना ने अपनी विधिक राय में कहा कि इन दोनों प्रकरणों में भू उपयोग निर्धारित किया जा सकता है. प्रकरण में और भूमि को अवाप्ति से मुक्ति के आदेश और अन्य कानूनों का उल्लंघन नहीं हुआ है. इन दोनों ही विधिक राय के साथ जेडीए ने दुबारा यह दोनों प्रकरण निर्णय के लिए राज्य स्तरीय भू उपयोग परिवर्तन समिति को भेजे. इस समिति ने फिर से यह कहते हुए ये प्रकरण जेडीए को लौटा दिए कि दोनों विधिक राय विरोधाभासी है. साथ ही आवेदित भूमि में राजकीय भूमि भी शामिल है. इसके चलते जेडीए इस मामले में अपनी स्पष्ट अभिशंसा बताए. आपको बताते हैं कि इस मामले में जेडीए ने किस तरह से कठोर और बड़े फैसले लिए हैं.

-इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट की खंडपीठ में एक जनहित याचिका लंबित है,जिसमें आगामी तिथि 27 अगस्त है

-हाईकोर्ट में लंबित इस प्रकरण में जेडीए की ओर से इस पूरे मामले को लेकर जवाब पेश किया जाना है

-जेडीए की भू उपयोग परिवर्तन समिति की हाल ही जेडीए आयुक्त मंजू राजपाल की अध्यक्षता में बैठक हुई थी

-बैठक में इस पूरे 205 बीघा भूमि के मामले के विभिन्न तथ्यों को लेकर काफी मंथन किया गया

-आवेदित प्रकरणों में भूमि के स्वामित्व के संबंध में स्थिति स्पष्ट नहीं होने, हाईकोर्ट में जनहित याचिका लंबित होने,

-कैग की ओर से 472.39 करोड़ रुपए की हानि का राजस्व आक्षेप लंबित होने के चलते मामले में बड़े फैसले किए गए

-जेडीए की 17 अक्टूबर 2022 को हुई भू उपयोग परिवर्तन समिति की बैठक में जिसमें इन दोनों प्रकरणों में भू उपयोग निर्धारण की सिफारिश करने की सिफारिश की गई थी

-समिति की इस बैठक में उस सिफारिश को वापस लेने का फैसला किया गया

-बैठक के निर्णय के अनुसार राज्य सरकार के अवाप्ति मुक्ति के आदेश 14 अप्रेल 1986, 1 मई 1986 और 1 दिसंबर 1987 के अनुसार पूरी भूमि का डिमार्केशन किया जाएगा

-सरकार के इन आदेशों के मुताबिक जो भूमि जेडीए सहित जिन संस्थाओं को दी गई थी, उन संस्थाओं के पक्ष में भूमि का नामांतरण खोला जाएगा

-विधि पूर्वक अविलंब कार्यवाही करते हुए जेडीए अपनी भूमि का कब्जा प्राप्त करेगा

-साथ ही जेडीए व सरकार के हितों का प्रभावी संरक्षण करते हुए हाईकोर्ट में लंबित मामले में जवाब पेश किया जाएगा

-इन सभी फैसलों की पालना के लिए जोन उपायुक्त को बैठक में निर्देश दिए गए