Nagpanchami 2023: नागपंचमी पर बन रहा विशेष संयोग, जानें तारीख, पूजा शुभ मुहूर्त और कालसर्प दोष के उपाय

जयपुर: हर साल सभी का सावन के महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है. सावन के महीने में ही नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है. नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. नागपंचमी हर साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. 

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 21 अगस्त 12:21 से शुरू होगी और 22 अगस्त की मध्य रात्रि 2 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार नागपंचमी सोमवार 21 अगस्त को मनाई जाएगी. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. नाग देवता भी शिव जी के भक्त हैं. इस तरह नागपंचमी का सोमवार के दिन पड़ना काफी शुभ माना जा रहा है. यह त्योहार भगवान शिव और नागों की पूजा के लिए मनाया जाता है. इस दिन लोग नाग देवता की पूजा करते हैं और नाग मंदिरों में जाकर सांपों को दूध, दही, फल आदि चढ़ाते हैं. साथ ही कुंडली में काल सर्प दोष हो तो उससे निजात पाने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं.

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी का पर्व आता है. इसमें नाग देवता की विशेष रूप से पूजा-आराधना की जाती है. नाग देवता भगवान शिव के गले की शोभा को बढ़ाते हैं. हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व होता है. पौराणिक काल से ही सांपों को देवताओं की तरह पूजा जाता है. ऐसी मान्यता है कि नाग की पूजा करने से सांपों के डसने का भय समाप्त हो जाता है. भगवान भोलेनाथ के गले में भी नाग देवता लिपटे रहते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और कई अन्य प्रकार के भी शुभ फल प्राप्त होते हैं. ऐसी मान्यता है इस दिन नाग देवता की पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि का वास होता है. इस बार नागपंचमी का पर्व विशेष योग में मनाया जाएगा. इन योगों में नागपंचमी का पर्व मनाने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं.

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता और शिव जी की पूजा करने से नाग के डसने और अकाल मृत्‍यु का खतरा टलता है. साथ ही भगवान शिव की पूजा से ग्रह दोष दूर होते हैं. विशेषतौर पर काल सर्प दोष से निजात पाने के लिए नागपंचमी का दिन सर्वोत्‍तम माना गया है. इस बार सोमवार के दिन नाग पंचमी पड़ने से नागपंचमी और भी खास हो गई है. नागों को धन का रक्षक माना गया है.नाग देवता की पूजा करने से खूब धन-दौलत मिलती है.. नागपंचमी के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान करें.साथ ही भगवान शिव का स्‍मरण करें. नागपंचमी का व्रत कर रहे हैं तो व्रत का संकल्‍प लें.इसके बाद चौकी पर नाग-नागिन की प्रतिमा बनाकर उसका दूध से अभिषेक करें. उन्‍हें फल, फूल, मिठाइयां अर्पित करें. धूप-दीप करें. अंत में नाग पंचमी की आरती करें. यदि कुंडली में काल सर्प दोष हो तो शिवलिंग पर चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित करें.. इससे काल सर्प दोष के कारण मिलने वाले अशुभ फल से निजात मिलती है.

सोमवार के दिन नागपंचमी:
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि नागपंचमी के दिन नाग देवता और शिव जी की पूजा करने से नाग के डसने और अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है. साथ ही इस दिन शिव जी की पूजा करने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है. विशेष तौर पर काल सर्प दोष से निजात पाना चाहते हैं तो नागपंचमी आपके लिए एक उत्तम दिन है. सोमवार के दिन नागपंचमी पड़ने से ये दिन और भी ज्यादा शुभ हो गया है.

कालसर्प दोष:
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि कालसर्प दोष दूर करने के लिए नागपंचमी पर नागों की पूजा को काफी लाभकारी माना जाता है. कालसर्प दोष दूर करने के लिए महामृत्युंजय सर्पगायत्री जाप अथवा त्रंबकेश्वर आदि तीर्थ स्थानों में सर्प पूजा का विधान है. ज्योतिषों का कहना है कि सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति नाग पंचमी के दिन चांदी अथवा तांबे का सांप का जोड़ा लेकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. ॐ नमः शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही सर्प गायत्री का जाप करें तो कालसर्प दोष राहत मिलती है.

नाग पंचमी पूजा मंत्र:- 
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले.
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः.
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्.
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्.
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः.
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥

नाग पंचमी पर होती है नागों की पूजा:-  
नाग पंचमी के दिन इन बारह नागों की पूजा की जाती है-
1. अनन्त  2. वासुकि  3. शेष 4. पद्म 5. कम्बल 6. कर्कोटक 7. अश्वतर 8. धृतराष्ट्र 9. शङ्खपाल 10. कालिया 11. तक्षक 12. पिङ्गल