Navratri Special: राजस्थान के इस प्राचीन काली माता मंदिर में आज भी आते है राजा भर्तृहरि, प्राचीन अखाड़े में निकलता है घी और भभूत

नागौर: डीडवाना के प्राचीन और ऐतिहासिक शक्तिपीठ काली माता मंदिर अखाड़ा में इन दिनों नवरात्रि के विशेष आयोजन चल रहे काली माता मंदिर की मान्यता ऐसे है कि यहां आज भी राजा भर्तृहरि यहां मां काली के दर्शन कर यहां पूजा अर्चना करने आते है. मान्यता ऐसी भी है कि यह मंदिर भी 2 हजार वर्ष पहले यहां राजा भर्तृहरि ने तपस्या करने के लिए बनाया था. मंदिर की आस्था इसी वजह से और ज्यादा बढ़ जाती है और यहां देशभर से श्रद्धालु दर्शन करने आते है. 

किवदंतियां है कि डीडवाना के आसपास के क्षेत्र से निकलने वाली सरस्वती नदी के नजदीक घना जंगल हुआ करता था और यहां उज्जैन के राजा भर्तृहरि ने सन्यास लेकर जब तपस्या करने के लिए यहां आकर अपना डेरा जमाया और यहां पर मां काली का आज से 2000 वर्ष पहले छोटा सा मन्दिर बनाकर यहां तपस्या करने लगे, मंदिर में लगी मूर्ति की कार्बन डेटिंग से भी मूर्ति की उम्र 2000 से 2100 वर्ष पहले की सामने आई है. मंदिर में लगी मूर्ति भद्रकाली महिषासुर का मर्दन करते हुए है, मान्यता है कि यहां मंदिर में लगी काली माता की मूर्ति से विशेष रेज एक विशेष ओरा में निकलती रहती है जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मानसिक शारीरिक और दैहिक बीमारियों से मुक्ति मिलती है.  

मंदिर परिसर में आज भी घी और भभूत निकलता रहता है:
मंदिर परिसर में आज भी घी और भभूत निकलता रहता है. घी और भभूत निकलने के पीछे मान्यता ऐसी भी है कि जब राजा भर्तृहरि ने यहां तपस्या की तो मंदिर के आसपास कई बड़े बड़े यज्ञ और हवन कुंड बनाये हुए थे और उनके आसपास बड़े बड़े मिट्टी के घड़ों में घी भरा रहता था और यहां वर्षभर योगियों और ऋषि मुनियों द्वारा यहां यज्ञ और हवन किये जाते रहते थे. और यही वजह है कि यहां प्राचीन काल मे यज्ञ हवन कुंडों के साथ राजा भर्तुहरी का धुणा बनाया हुआ था उसका घी आज भी मार्बल के फर्श के बीच जगह जगह निकलता रहता है मान्यता है कि इस घी के स्पर्श से असाध्य रोगों का यहाँ फर्श पर  चलने और स्पर्श मात्र से इलाज हो जाता है. 

भारत धर्म और आस्थाओं वाला देश:
भारत धर्म और आस्थाओं वाला देश है यहां तरह तरह की धार्मिक मान्यताएं है और लोगो की आस्था और श्रद्धा के हिसाब से मंदिर और मठ बने हुए है. जंहा लोग श्रद्धा से शीश नवाने आते है. और दर्शन करने भगवान से अपना साक्षात करवाते है. डीडवाना के काली माता मंदिर की आस्था भी कुछ इसी तरह की है. जंहा लोग खिंचे चले आते हैं.