उड़ीसा का ट्रांसफर मॉडल राजस्थान में होगा लागू! तबादले को लेकर पोर्टल में होंगे अलग-अलग प्रावधान

जयपुरः एक बार फिर पावर गैलेरी के गलियारों में नीति के साथ तबादला किए जाने की गूंज है. माना जा रहा है कि भजनलाल सरकार लोकसभा चुनाव के बाद तबादला नीति सामने ला सकती है जिसमें आईटी स्तर पर कवायद करके पोर्टल बनाने,विभागों की दो श्रेणी करके उनकी जरूरत के आधार पर तबादले करने, कर्मी के 5 साल तक एक विभाग/ एक सेक्शन में न रखने, दो साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग और डार्क जोन में 3 साल सेवा बाद तबादले हो सकने के प्रावधान के आसार हैं. तबादले नीति और पोर्टल के मॉडल का अध्ययन करने प्रशासनिक सुधार सचिव राजन विशाल के नेतृत्व में अधिकारियों का दल जल्द उड़ीसा जाएगा. पेश है खास रिपोर्ट

गहलोत सरकार के समय भाजपा की ओर से लगाए कई आरोपों में एक आरोप यह भी था कि उस समय तबादले को उद्योग बना दिया गया है और नीति बिना ही तबादले किए जा रहे हैं. ऐसे में भजनलाल सरकार में इसे लेकर मुख्य सचिव सुधांश पंत ने कवायद शुरू करते हुए विभागों को ये निर्देश दिए हैं-

-तबादले के लिए नीति समयबद्ध रूप से जल्द तैयार हो ताकि तबादले संबंधी प्रकरणों का जल्द हो सके निपटारा. 

- दो हजार से ज्यादा कर्मचारियों वाले ऑफिस  ए श्रेणी और दो हजार से कम वाले कर्मचारियों वाले ऑफिस  बी श्रेणी में होंगे. 

-प्रशासनिक सुधार विभाग ने विभागों के सुझावों को शामिल करते हुए तबादले के लिए गाइडलाइन बनाई है. 

ए श्रेणी के विभाग इन गाइडलाइंस को शामिल करते हुए अपनी विशिष्ट विभागीय जरूरतों के अनुरूप खुद के स्तर पर स्टेकहोल्डर्स / लाभार्थियों/कर्मियों के मुख्य प्रतिनिधियों से चर्चा करके एक माह में तबादला नीति बनाएंगे. साथ ही सक्षम स्तर से अनुमोदित करके प्रशासनिक सुधार विभाग को भिजवाएंगे.

-सूचना प्रौद्योगिकी -DOIT विभाग को विभागीय जरूरतों के अनुरूप तकनीकी प्रावधान करते हुए एक वृहद पोर्टल बनाने के निर्देश दिए हैं. विभागों को अपनी तकनीकी जरूरत आईटी विभाग को बताने को कहा है. 

-नीति में कर्मचारी के एक ही विभाग /सेक्शन में पांच साल से ज्यादा नहीं रहने का प्रावधान होगा. 

प्रस्तावित नीति या विभागों की नीति में जिन श्रेणियों के तबादले का विवरण शामिल है, उनसे अलग कोई प्रशासनिक रूप से या विशिष्ट प्रकृति का प्रकरण हो तो गुणावगुण पर सक्षम स्तर से अनुमोदन बाद गुणावगुण पर विचार करके वर्ष में कभी भी तबादला करने का प्रावधान किया जाए. 

-जिन विभागों में ग्रामीण क्षेत्र में कार्यालय या पद नहीं है, उन विभागों को छोड़कर अन्य विभागों में कर्मचारी के पूरे सेवाकाल में दो साल ग्रामीण क्षेत्र में पोस्टिंग करने का प्रावधान रखा जाए. 

-तबादला नीति में गजेटेड और नॉन गजेटेड अधिकारियों-कर्मचारियों की तबादले को लेकर  पोर्टल में अलग-अलग प्रावधान होगा.

-विभागों में अपेक्षाकृत अधिक रिक्त पदों,विषम परिस्थितियों और विभागों के अन्य मापदंड आधार पर जिलों को दूरस्थ जिले/ डार्क जोन / हार्ड एरिया के रूप में सक्षम स्तर पर अनुमोदन बाद चिन्हित किया जाए. 

-ऐसे जिलों में कर्मियों के 3 साल तक सेवा देने पर इच्छित स्थान पर तबादले के लिए प्राथमिकता का प्रावधान रखा जाए.

- रिक्त पदों/ तबादले के लिए संभावित रिक्त पदों की सूचना विभाग अपनी वेबसाइट /पोर्टल पर रिक्त स्थानों की अपडेट स्थिति के आधार पर आनुपातिक रूप से देंगे. जिससे अधिक रिक्तियों वाले स्थानों में तुलनात्मक रूप से ज्यादा पोस्टिंग हो सकेगी.  
-प्रशासनिक सुधार सचिव के नेतृत्व में अधिकारियों का एक दल उड़ीसा राज्य की तबादला नीति/पोर्टल का अध्ययन करने जाएगा. 

-सक्षम अनुमोदन बाद विभागों से मिली तबादला नीति का अध्ययन करके अनुशंसा के लिए अनुभवी/सेवानिवृत्त अधिकारियों/व्यक्तियों की समिति गठित होगी. जिसका प्रस्ताव सक्षम स्तर से अनुमोदित होगा. जिससे अलग-अलग पहलुओं का पूरा-पूरा अध्ययन करके तबादला नीति के लिए कमेटी के सुझावों/ अनुशंसा के आधार पर जरूरी और समुचित प्रावधानों को नीति में शामिल किया जा सके. 

पूर्व की भाजपा सरकार में पूर्व मंत्री और मौजूदा राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने तमाम पहलुओं पर गंभीरता से विचार करके तबादला नीति का ड्राफ्ट बनाया था,लेकिन कभी भी यह नीति पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई और ज्यादातर हर बार राजनीतिक दबाव के चलते डिजायर के आधार पर ही तबादले होते आए. वहीं हर बार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले के शगूफे छिड़ते रहे,लेकिन हर बार इस वर्ग ने खुद को ठगा-सा महसूस किया.