जयपुर: देश में स्क्रैप पॉलिसी लागू होने के एक वर्ष से अधिक समय के बाद आखिरकार प्रदेश में भी वाहन स्क्रैप सेंटर खुलने का रास्ता साफ हो गया है. परिवहन विभाग ने 2 स्क्रैप सेंटरों को मान्यता जारी कर दी हैं. जहां लोग अपनी पुरानी हो चुकी गाड़ी को स्क्रैप करा सकेंगे. सड़कों पर प्रदूषण और हादसों को रोकने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने पिछले साल जून में स्क्रैप पॉलिसी लागू की थी. इस पॉलिसी के लागू होने के बाद देश के कई राज्यों में स्क्रैप सेंटर शुरू भी हुए और बड़ी संख्या में खटारा हो चुके निजी और सरकारी वाहन स्क्रैप किए गए, लेकिन एक साल से अधिक समय के बाद भी राजस्थान में कोई स्क्रैप सेंटर शुरू नहीं हुआ, जिसके कारण प्रदेश में स्क्रैप पॉलिसी का कोई लाभ नहीं हुआ.
प्रदेश के लोगों को अपने वाहनों को स्क्रैप कराने के लिए दूसरों राज्यों में जाना पड़ रहा था. अब लंबे इंतजार के बाद परिवहन विभाग ने 2 स्क्रैप सेंटरों को मान्यता दे दी है. ये दोनों ही सेंटर जयपुर में है. पहला सेंटर अजमेर रोड पर महला में है तो वहीं दूसरा सेंटर फागी के माधोराजसिंहपुरा में हैं यह दोनों ही सेंटर पूरी तरह से तैयार हैं और यहाँ जल्द ही वाहनों को स्क्रैप करने का काम शुरू हो जाएगा. प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे निजी और सरकारी वाहन हैं जो 15 साल की अवधि पार कर चुके हैं. अब इन वाहनों को इन सेंटरों पर स्क्रैप कराया जा सकेगा.
परिवहन आयुक्त केएल स्वामी ने बताया कि इन सेंटरों में प्रतिदिन 30 से 50 वाहन स्क्रैप हो सकेंगे, बाद में इनकी क्षमता बढ़ाई जा सकेगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि पुराने वाहन स्क्रैप होने से जहां प्रदूषण में कमी आएगी, तो वहीं सड़क हादसे भी कम होंगे. प्रदेश में स्क्रैप सेंटर शुरू होने को लेकर पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन शिखर अग्रवाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. अग्रवाल ने कहा है कि यह बहुत ज़रूरी शुरुआत है इससे जहाँ एक और प्रदूषण नियंत्रित होगा तो वहीं सर्कुलर इकोनमी को भी बढ़ावा मिलेगा. राजस्थान का कुछ हिस्सा NCR में आता है और NCR से 15 वर्ष पुराने वाहनों को फेजआउट करने का काम भी चल रहा है,ऐसे में जयपुर में स्क्रैप सेंटर शुरू होने से इन वाहनों का यहां आसानी से स्क्रैप कराया जा सकेगा. प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे सरकारी वाहन भी हैं जो अब रूट आउट हो चुके हैं और रखे रखे कबाड़ हो रहे हैं ऐसे वाहन भी अब स्क्रैप में दिए जा सकेंगे.
क्या है व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी:
-इस पॉलिसी के हिसाब से अब देश में एक तय सीमा से पुराने वाहनों को अपना फिटनेस टेस्ट कराना होगा.
-ये टेस्ट वाहनों के इंजन की हालत, उनका एमिशन स्टेटस और फ्यूल एफिशिएंसी, सेफ्टी जैसे कई पैरामीटर पर होगा.
-यदि पुराने वाहन इस फिटनेस टेस्ट में फेल होते हैं, तो उनका पंजीकरण रद्द हो जाएगा और उन्हें स्क्रैप में भेज दिया जाएगा.
कितनी लिमिट है व्हीकल के लिए:
-व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के हिसाब से 10 साल से ज्यादा पुराने कमर्शियल व्हीकल और 15 साल पुराने प्राइवेट पैसेंजर व्हीकल को ये फिटनेस टेस्ट देना होगा.
-ये इस लिमिट में आने वाले पुराने वाहनों के लिए अनिवार्य होगा.
-भले ये गाड़ियां फिटनेस टेस्ट में पास भी हो जाएं तो भी उनका रजिस्ट्रेशन रीन्यू कराना होगा.
व्हीकल स्क्रैप से आम आदमी को ये फायदा:
-सरकार ने व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी को वॉलियंटरी व्हीकल मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (VVMP) नाम दिया है.
-अगर किसी की गाड़ी फिटनेस टेस्ट में फेल होती है तो उसे देशभर में बनने वाले 60 से 70 रजिस्टर्ड स्क्रैप फैसिलिटी में अपनी गाड़ी को जमा कराना होगा.
-पुरानी गाड़ी देने के बदले उसे एक ‘डिपॉजिट सर्टिफिकेट’ मिलेगा जो नई गाड़ी खरीदने पर कई तरह के बेनेफिट देगा.
-साथ ही उसे पुरानी गाड़ी की स्क्रैप वैल्यू मिलेगी जो नई गाड़ी की एक्स-शोरूम प्राइस के 4 से 6 प्रतिशत के बराबर होगी.
-वाहन स्क्रैप कराने पर जो प्रमाण पत्र मिलेगा उसे दिखाने पर नए वाहन की ख़रीद पर वन टाइम रजिस्ट्रेशन में 25 फ़ीसदी की छूट मिलेगी.