VIDEO: अधिकारियों की लचर कार्यशैली, CM अशोक गहलोत की पूरी नहीं हो सकी अहम घोषणा, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: अधिकारियों की लचर कार्यशैली के कारण मुख्यमंत्री की एक महत्वपूर्ण घोषणा पूरी नहीं हो पाई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांस्टेबल से लेकर पुलिस निरीक्षकों तक टाइम बेस्ड डीपीसी की घोषणा की थी लेकिन आचार संहिता लगने के कारण CM की अनुमति के बाद भी इसके आदेश जारी नहीं हो पाए.

पुलिस कर्मियों के हित में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बड़ी और प्रमुख घोषणा अधिकारियों की लापरवाही और लचार कार्यशाली की भेंट चढ़ गई. सीएम अशोक गहलोत ने इसी 15 अगस्त को एसएमएस स्टेडियम में राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में ऐलान किया था कि अब कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक के प्रमोशन में शारीरिक और लिखित परीक्षा नहीं ली जाएगी. पुलिस मुख्यालय ने इस बारे में सरकार को प्रस्ताव भेजा था जिसे सीएम ने अनुमति दे दी थी. सीएम का यह ऐलान पूरे पुलिस महक में के लिए एक सौगात की तरह था क्योंकि कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक प्रमोशन पाने के लिए पुलिस कर्मियों को अभी भी शारीरिक और लिखित परीक्षा देने होती है. 

शारीरिक परीक्षा तो इतनी कठिन है के प्रदेश में कई बार दौड़ लगाते समय पुलिसकर्मियों की जान भी जा चुकी है इस समस्या को देखते हुए और पुलिस कर्मियों को सहूलियत देने के लिए ही मुख्यमंत्री ने यह ऐलान किया था कि पुलिस कर्मियों की डीपीसी टाइम बेस्ड की जाएगी इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने इस घोषणा के बाद अभी कुछ दिन पहले ही इस फाइल को मंजूरी भी दे दी थी लेकिन गृह विभाग से इसके आदेश निकल पाते इसके पहले ही प्रदेश में आचार संहिता लागू हो गई और पुलिसकर्मियों का टाइम बेस्ड डीपीसी  का सपना अधूरा रह गया.

फर्स्ट इंडिया ने जब मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद भी आदेश जारी नहीं होने के कारणों की पड़ताल की तो सामने आया कि कार्मिक विभाग में इस फाइल को जरूरत से अधिक समय लगा जिसके कारण यह फाइल मंजूरी के लिए देरी से मुख्यमंत्री के पास पहुंची. मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद पुलिस मुख्यालय और गृह विभाग ने इस फाइल पर तेजी से काम किया लेकिन क्योंकि इस घोषणा को लागू करने के लिए राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम 1989 के विभिन्न नियमों में संशोधन की जरूरत थी जिसके लिए यह फाइल कार्मिक विभाग में भेजी गई थी. सूत्रों के अनुसार कार्मिक विभाग में यह फाइल काफी समय तक लटका के रखी गई जिस कारण इस फाइल को मुख्यमंत्री तक मंजूरी के लिए पहुंचने में काफी समय लग गया. मुख्यमंत्री ने फाइल पर आते ही मंजूरी दी लेकिन इससे पहले के गृह विभाग इस बारे में आदेश जारी करता प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू हो गई. 

आचार संहिता के कारण गृह विभाग  आदेश जारी नहीं कर पाया और इस कारण पुलिस कर्मियों के लिए यह बड़ी घोषणा लागू नहीं हो पाई. मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद भी आदेश जारी नहीं होने के कारण पुलिस कर्मियों में काफी रोष दिखाई दे रहा है प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आदेश जारी नहीं होने से नाराज पुलिसकर्मी मैस का बहिष्कार कर रहे हैं. आने वाले दिनों में पुलिस कर्मियों का यह रोष और बढ़ सकता है. बहरहाल पुलिसकर्मियों से जुड़ी इस घोषणा को लागू करने के लिए गृह विभाग अब निर्वाचन विभाग से अनुमति लेने की तैयारी कर रहा है गृह विभाग का तर्क है की घोषणा पुरानी है इसलिए इसके आदेश जारी करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए लेकिन यह निर्वाचन विभाग या चुनाव आयोग के रुख पर ही तय करेगा कि क्या आचार संहिता के बीच में पुलिस कर्मियों की टाइम बेस्ड डीपीसी के आदेश जारी हो पाएंगे या नहीं.