VIDEO: राजकुमारी को आखिरकार बनाया राजकुमार! राजधानी के एक चिकित्सक के 12 साल के प्रयास लाए रंग, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : राजधानी के चिकित्सकों ने बारह साल के लम्बे चिकित्सकीय प्रयास के बाद एक मरीज को वास्तविक जेंडर में जीने का अधिकार दिलाया है. जी हां, जीवन के शुरूआत सात-आठ साल तक लड़की बनकर रह रहे मरीज को आखिरकार लड़का बनाने में सफलता हासिल की है. हाल ही में धनवंतरी हॉस्पिटल में मरीज का चौथा ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद चिकित्सकों का दावा है कि अब उसके सभी जननांग पुरूषों की तरफ काम कर रहे है. आखिर क्या है चिकित्सकों के प्रयास और कैसे एक घर की राजकुमारी बन गई राजकुमार. दरअसल, श्रीगंगानगर निवासी एक परिवार करीब 12 साल पहले जेके लोन के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ डीडी सिन्हा को अपनी बच्ची को दिखाने आए थे. परिजनों का कहना था कि उम्र के हिसाब से जननांग विकसित नहीं हो रहे है. चिकित्सकों ने जब मरीज की जांच कराई तो पता चला कि उसके आंतरिक जननांग पुरूष के है. जबकि बाह्य जननांग अविकसित स्त्री जननांग के समान है.

इस तरह की दिक्कत को चिकित्सकीय भाषा में "हाइपो-जेनआईटेलिया" कहा जाता है. बच्ची की आवाज समेत अन्य क्रियाकलाप भी लड़कों जैसे ही है. ऐसे में चिकित्सकों ने क्रियोटाइपिंग टेस्ट कराया. इसमें पता चला कि मरीज में फीमेल इंटरनल सेक्स  ऑर्गन जैसे ओवरी, यूट्रस आदि नहीं है. लेकिन पेट के दोनो तरफ चने के आकार के अण्डकोष पाये गए. तब जाकर पता चला कि मरीज बच्ची नहीं, बल्कि बच्चा है.

पहले थेरेपी, फिर चार ऑपरेशन

12 साल के ट्रीटमेंट के बाद राजकुमारी को मिला वास्तविक जेंडर

चिकित्सकों की माने तो बच्चे को लम्बे समय के लिए मेल हार्मोंस थेरेपी पर लगया गया

इस दौरान सभी मेल ऑर्गन विकसित हो गए, लेकिन अविकसित लिंग के नीचे 1 छिद्रनुमा संरचना रह गई

ऐसे में वर्ष 2018 में बच्चे के अण्डकोष को पुन: अपनी स्थिति में लाने के लिए ऑपरेशन किया गया

फिर 2019 में जननांग को सीधा करके उसमें पेशाब का छिद्र बनाया गया

वर्ष 2021 में पेशाब छिद्र को ऊपर की तरफ लाने के लिए ऑपरेशन किया गया

हाल ही में इस छिद्र को पूरी तरह से विकसित करने के लिए ऑपरेशन किया गया

चिकित्सकों का दावा है कि अब इस मरीज के सभी पुरूष जननांग नॉर्मल तरीके से काम कर रहे है

मरीज का परिवार बीपीएल की श्रेणी में है. ऑपरेशन में खास बात ये रही कि सरकार की बीपीएल और चिरंजीवी योजना से मरीज को पूरा इलाज निशुल्क किया गया है, जिसके चलते उसके परिवार पर कोई अतिरिक्त भार नहीं आया.