Rajasthan Election 2023: दौसा में राहुल गांधी ने बीजेपी को लिया आड़े हाथ, बोले- जातिगत जनगणना जरूरी, युवाओं को अपनी जनसंख्या का लगना चाहिए पता

जयपुर: पूर्वी राजस्थान का दौसा.. वही दौसा जो मीना और गुर्जर सियासत का मुख्यालय कहा जाता है. यहीं से सबसे पहले गुर्जर आरक्षण आंदोलन की चिंगारी उठी थी. सिकंदरा मूवमेंट के बाद ही आंदोलन अपने चरण पर पहुंचा था. यही वह क्षेत्र है जो एक जमाने भर तक ब्राह्मण राजनीति का भी पर्याय रहा आज इसी धरती पर राहुल गांधी ने कदम रखा और चुनावी रैली की राहुल गांधी ने एक बार फिर जातिगत जनगणना को लेकर बात कही राहुल गांधी के साथ सचिन पायलट ने संबोधित किया.

दौसा में आज राहुल गांधी की रैली का राजनीतिक महत्व रहा. दौसा की राजनीतिक जमीन से राहुल गांधी ने बीजेपी को आड़े हाथ लिया. साथ ही जातिगत जनगणना की वकालत की बीते विधानसभा चुनाव में दौसा जिला रहा था कांग्रेस के लिए बेहद शुभ दौसा, लालसोट, बांदीकुई, सिकराय की सभी सीटें जीती.
महुवा से जीते निर्दलीय विधायक ने कांग्रेस को सपोर्ट किया. लेकिन इस बार सभी सीटों पर मुकाबला नजर आ रहा है. बीजेपी ने केवल बांदीकुई में चेहरा बदला ,अन्य सीटों पर पुराने चेहरे रिपीट किए. उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' के समय यहीं से गुजरे थे तब उनकी यात्रा को जबरदस्त रिस्पॉन्स दौसा जिले में मिला था. कहा जाता है उस  गहलोत कैंप से यहां लालसोट में परसादी लाल मीना,सिकराय से ममता भूपेश और महुवा से ओपी हुड़ला मैदान में है..वही पायलट कैंप से दौसा से मुरारी लाल मीणा और बांदीकुई से जीआर मैदान खटाना चुनावी समर में है..

राहुल गांधी ने दौसा के राजेश पायलट स्टेडियम के मंच से संबोधित किया. सचिन पायलट ने संबोधित किया सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की दौसा कर्मस्थली रही वो यहां से सांसद रहे और केंद्र सरकार में मंत्री बने सचिन पायलट की मां रमा पायलट भी यही से सांसद रह चुकी..खुद सचिन पायलट पहली बार दौसा से ही सांसद बने थे..हालांकि इस सभा में सीएम अशोक गहलोत की मौजूदगी नही थी. इसकी चर्चा जरूर जनसभा में थी. स्थानीय लोगों का मानना है कि अशोक गहलोत- सचिन पायलट एकता यहां दिखी,तभी कांग्रेस को लाभ होगा. दोनों के हाथ वो पहले ही मिलवा चुके लेकिन दौसा जैसे मंचों पर गहलोत - पायलट क्यू साथ दिखने का अलग सियासी संदेश हो सकता था. दौसा की जातीय सियासत में मीणा, गुर्जर, ब्राह्मण, माली, दलित  निर्णायक जातियां हैं. कांग्रेस ने 5 में 3सीटों पर मीना चेहरों को उतारा है.. इनमें दो दौसा और महुवा सामान्य सीटों पर भी एसटी चेहरे को कांग्रेस ने मैदान में उतारा..मीना और एससी यहां परंपरागत तौर पर कांग्रेस से जुड़ा रहा है. पायलट प्रभाव के कारण गुर्जर समाज का साथ कांग्रेस को मिलता है .

अशोक गहलोत की सरकार में दौसा को प्रतिनिधित्व भी व्यापक मिला. परसादी लाल मीणा को चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री जैसा अहम ओहदा मिला,वही ममता भूपेश भी महिला बाल विकास विभाग की कैबिनेट मंत्री बनाई गई. मुरारी लाल मीणा भी स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री बनाए गए. इतना ही नही जीआर खटाना को बोर्ड चेयरमैन बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा मिला. अब राहुल गांधी की दौसा में जनसभा कितना प्रभाव छोड़ पाएगी. ये काफी अहम रहेगा कांग्रेस के लिए पिछले चुनाव परिणाम को दोहरा पाना यहां आसान नहीं होगा.