Rajasthan Election 2023: गहलोत से विवाद पर सचिन पायलट ने दिए बड़े संकेत, चुनाव में CM फेस को लेकर भी दिया ये जवाब

जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनाव पहले न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के साथ कथित अनबन पर भी खुलकर बात की. उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि अशोक गहलोत सीनियर हैं उनके पास बड़ी जिम्मेदारी है. मैं जब अध्यक्ष था तब सबको साथ लेकर चलने का प्रयास किया. वो मुख्यमंत्री हैं और सबको साथ लेकर चल रहे हैं. कुछ आगे-पीछे हो जाता है तो बड़ा इश्यू नहीं है. 

पायलट ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुझसे कहा कि भूलो, माफ करों और आगे बढ़ो. उनकी यह बात एक सला के साथ कांग्रेस अध्यक्ष का निर्देश भी है. उन्होंने मुझसे कहा कि सचिन जो समय निकल गया वो वापस आने वाला नहीं है. चुनौतियां हमारे सामने है, हमें अभी सकारात्मक सोच रखकर आगे की तरफ देखना होगा. पार्टी जो निर्णय कर रही, करती है, वो पार्टी के कार्यक्षेत्र में आता है.

उन्होंने कहा कि हम लोगों को तो संगठन को मजबूत करना है और चुनाव जीतना है. उस दिशा में हमें अपनी ताकत लगाकर पूरी तरह से जुटना है. किसने मीटिंग बुलाई, नहीं बुलाई, क्या किसने किसी के लिए बोला, वो सब अतीत में है. लेकिन मैं ऐसा मानता हूं कि जो पार्टी के नियम, कानून, अनुशासन का दायरा है वो सबके लिए बराबर है. कोई छोटा कार्यकर्ता है तो कोई बड़ा नेता है. हम उसके लिए अलग-अलग मापदंड बनाएंगे वो सही नहीं है. 

सीएम फेस पर दिया बयान:
पायलट ने  मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भी कहा कि दशकों से कभी भी कांग्रेस पार्टी किसी सीएम फेस के साथ चुनावी मैदान में नहीं उतरती है. साल 2018 में मैं कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष था और हमसब ने मिलकर चुनाव लड़ा. बाद में जो भी निर्णय लिया गया वो सभी के सामने है. भविष्य में क्या होगा ये बड़ा स्पष्ट है कि मिलकर चुनाव लड़ेंगे और चुनाव जीतने के बाद ये तय किया जाएगा कि किसको मौका दिया जाएगा, लेकिन ये महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण ये है कि हम चुनाव जीतें कैसे. क्योंकि लोकसभा चुनाव भी नजदीक है. ऐसे में राजस्थान का विधानसभा चुनाव जीतना बहुत अहम है और इसे जीतने के लिए हम लोग पूरी ताकत लगाएंगे.

अगर मुद्दे सुलझ जाते हैं तो फिर अनबन का मतलब ही नही:
उन्होंने कहा कि कभी कभी अलग-अलग राय हो सकती है और असमति भी हो सकती है, लेकिन एक जीवंत राजनीतिक दल में ये चर्चाएं ये संवाद नहीं होते हैं तो पार्टी में ऊर्जा भी नहीं रहती है और इसका विरोध हम इसलिए भी नहीं करते हैं कि आपको मेरी शक्ल पसंद नहीं है या मुझे आपकी शक्ल पसंद नहीं है. किसी से भी मतभेद होते हैं तो इश्यू बेस्ड होते हैं अगर मुद्दे सुलझ जाते हैं तो फिर अनबन का मतलब ही नही हैं.