VIDEO: राजस्थान के विवाह स्थलों के नियमन की बड़ी कवायद, जेडीए ने राज्य सरकार को भेजा मास्टर स्ट्रोक प्रस्ताव, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राज्य सरकार ने जयपुर विकास प्राधिकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी तो प्रदेश भर के शहरों में चल रहे अवैध विवाह स्थलों का नियमन तो होगा ही, साथ ही निकायों की बंपर आय भी होगी और शहर में विभिन्न स्थानों पर नए विवाह स्थल विकसित किए जा सकेंगे. आखिर क्या है जेडीए का ये मास्टर स्ट्रोक प्रस्ताव और कैसे संभव हो पाएगा यह सब? आपको बता दें ​कि प्रदेश के शहरों में बड़ी संख्या में अवैध रूप से विवाह स्थल संचालित किए जा रहे हैं. इनमें कई विवाह स्थल आवासीय भूखंडों पर चल रहे हैं. नगर निगम,नगर पालिका और नगर परिषद की ओर उनके क्षेत्रों में चलने वाले विवाह स्थलों को लाइसेंस तो दिया जाता है, लेकिन इनमें से अधिकतर विवाह स्थलों के पास इस लैंड यूज के अनुसार भूमि का पट्टा नहीं हैं. निकाय की ओर से कई ऐसे विवाह स्थलों को भी लाइसेंस दिया जाता रहा है जो कृषि भूमि पर चल रहे हैं. प्रदेश के शहरों में बड़ी संख्या में चल रहे अवैध रूप से चल रहे विवाह स्थलों के नियमन में सबसे बड़ी बाधा उनके लैंड यूज चेंज की है. आपको बताते हैं कि विवाह स्थल की भूमि का पट्टा देने में लैंड यूज चेंज क्यों है सबसे बड़ी बाधा और जेडीए ने ऐसा क्या प्रस्ताव भेजा है जिससे इस बाधा को को दूर किया जा सकता है.

जेडीए के प्रस्ताव से कैसे दूर होगी बाधा?
-प्रदेश के शहरों में अधिकतर विवाह स्थल कृषि भूमि,आवासीय भूमि का अन्य भू उपयोग की भूमि पर चल रहे हैं.
-जिस भूमि पर विवाह स्थल चल रहे हैं, उस भूमि का पट्टा देने के लिए आवश्यक है उस भूमि का लैंड यूज चेंज व्यावसायिक किया जाए.
-गुलाब कोठारी प्रकरण में हाईकोर्ट ने 12 जनवरी 2017 को आदेश दिए थे.
-इस आदेश के अनुसार किसी भी शहर के मास्टर प्लान में दर्शाए लैंड यूज में केवल व्यापक जनहित में होने पर ही लैंड यूज चेंज किया जा सकता है
-राज्य सरकार ने जनहित से जुड़े आवश्यक मामलों में कुछ भू उपयोगों को व्यापक जनहित के तौर पर अधिसूचित किया है
-20 जुलाई 2017 को राज्य सरकार ने केंद्र/राज्य सरकार के कार्यालय, निगम,बोर्ड,सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम,शैक्षणिक,चिकित्सा संस्थान,गैर लाभार्थी धर्मार्थ ट्रस्ट,
-मुख्यमंत्री जन आवास योजना,स्मार्ट सिटी योजना और बुनियादी ढांचा परियोजना आदि को व्यापक जनहित भू उपयोग की श्रेणी में शामिल किया था
-इसी तरह 12 अप्रेल 2018 को राज्य सरकार ने आदेश जारी कर पर्यटन इकाई और
-22 फरवरी 2022 को आदेश जारी कर पेट्रोल पंप को व्यापक जनहित की श्रेणी में शामिल किया था
-मास्टर प्लान में दर्शाए विभिन्न भू उपयोगों को व्यापक जनहित की श्रेणी में शामिल इन भू उपयोगों में बदला जा सकता है
-इसी के मद्देनजर जयपुर विकास प्राधिकरण ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है कि विवाह स्थल भू उपयोग को भी व्यापक जनहित की श्रेणी में शामिल किया जाए
-जेडीए ने अपने इस प्रस्ताव में कहा है कि विवाह स्थल व्यापक स्तर पर आमजन के ही उपयोग में आते हैं
-विवाह व अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के लिए विवाह स्थलों की आवश्यकता होती है
-इसलिए सरकार को इसे जनहित की श्रेणी में शामिल करना चाहिए
-व्यापक जनहित में शामिल होने के बाद विवाह स्थल भू उपयोग के लिए भूमि का भू उपयोग बदला जा सकेगा
-लैंड यूज चेंज होने के बाद विवाह स्थल के लैंड यूज के लिए संबंधित निकाय उसके अनुसार भूमि का पट्टा जारी कर सकेंगे

जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से राज्य सरकार को भेजे गए इस मास्टर स्ट्रोक प्रस्ताव से प्रदेश भर के शहरों में अवैध रूप से चल रहे विवाह स्थलों को पट्टा मिल सकेगा. साथ शहर में और नए स्थानों पर विवाह स्थल  विकसित किए जा सकेंगे. जेडीए के इस प्रस्ताव को राज्य सरकार मंजूर करती है तो आपको बताते हैं कि यह फैसला किस तरह से विभिन्न दृष्टिकोण से लाभकारी साबित होगा.

कैसे लाभकारी साबित होगा फैसला?
-विवाह स्थल के लिए भूमि का लैंड यूज चेंज करने पर निकायों को शुल्क मिलेगा
-यहीं नहीं लैंड यूज चेंज के बाद भूमि का पट्टा जारी करने पर भी निकायों को शुल्क मिलेगा
-इस तरह बड़ी संख्या में विवाह स्थलों के नियमन से निकायों की बंपर आय होगी
-मौजूदा विवाह स्थलों के साथ ही नए विवाह स्थल विकसित होने का रास्ता खुल सकेगा
-विभिन्न स्थानों पर पहले से अधिक विवाह स्थल होने पर सावों के समय चुनिंदा सड़कों या इलाकों में वाहनों का जाम नहीं लगेगा
-विभिन्न स्थनों पर विवाह स्थल होने से यातायात क्षेत्रवार विभाजित होगा इससे यातायात सुगम होगा
-विशेषज्ञों के अनुसार विवाह स्थल में अधिकतर स्थान खुला हरियाला वाला होता है
-इससे शहर के ग्रीन एरिया में बढ़ोतरी होगी
-विवाह स्थल में पार्किंग व अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने की शर्त पर पट्टा जारी किया जाएगा
-ऐसे में विवाह स्थल संचालक पार्किंग व अन्य उपलब्ध कराने के लिए पाबंद होंगे
-पट्टा नहीं लेने वाले विवाह स्थलों के खिलाफ निकाय उन्हें सील करने जैसी नियमानुसार कार्रवाई कर सकेंगे