पानी की किल्लत: बूंदी के इस गांव में पानी की किल्लत बनी कुंवारों के विवाह में रोड़ा, पलायन करने को मजबूर ग्रामीण

केशवरायपाटन(बूंदी): मेज नदी किनारे बसे बूंदी जिले के इस गांव के ज्यादातर लोग पलायन कर चुके हैं, जो बचे हैं हर दिन पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. सुबह चार बजे ही गांव के ज्यादातर लोग पानी के लिए नदी की ओर निकल जाते हैं और जब मई-जून में और ज्यादा गर्मी बढ़ जाती है तो नदी के किनारे ही लोग बसेरा बना लेते हैं. 

पानी की कमी की वजह से बहुत से लोग गांव छोड़ कर जा चुके हैं. जिले की केशवरायपाटन विधानसभा में एक गांव ऐसा है जहां बदहाल सरकारी तंत्र नौजवान लड़कों के विवाह में बाधक साबित हो रहा है. लोग अपनी बेटी का रिश्ता जोड़ने से कतराते है. दरअसल, गांव में पानी की विकराल समस्या है. लोगों को पीने का पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है. करीब 1 किमी दूर नदी के पानी से प्यास बुझाने की मजबूरी है. गांव में पानी की विकट समस्या को देखते हुए लोग गांव में अपनी बेटी का विवाह करना भी पसंद नही करते.

आजादी के 76 साल बाद भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं के लिए शासन-प्रशासन की बाट जोह रहा है. ये बदहाल तस्वीर ग्राम पंचायत रेबारपुरा के पचिपला गांव की है. यहां ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल के लिए भटकना पड़ता है. गांव में लगे हैंडपंपों से लाल पानी निकलता है. जिसे पीने में खारा लगता है और उल्टी दस्त की शिकायत होती है. ग्रामीणों की माने तो भूजल स्तर नीचे गिरने से इस गांव में पानी की विकराल समस्या है. इस समस्या को देखते हुए गांव में लोग अपनी बेटी की शादी करने से कतराते हैं.

गांवों में नदी से पाइप लाइन के जरिये जलापूर्ति की जाए:
ग्रामीणों के अन्य माह वैसे गुजर जाते है परन्तु गर्मियों में हालत और खराब रहती है. गर्मियों में नदी में पानी कम व मटमैला हो जाता है तो लोग नदी किनारे रेतीले स्थान पर बिवरिया खोद पानी लाते है. जब किसी के घर में सामाजिक कार्य होता है उस समय स्थिति और भी खराब हो जाती है. ग्रामीणों की मांग है कि गांवों में नदी से पाइप लाइन के जरिये जलापूर्ति की जाए तो आमजन को राहत मिले.