VIDEO: PKC-ERCP के तहत रिपोर्ट हुई जारी, पंप हाउस और फीडर निर्माण के लिए होगा भूमि अधिग्रहण, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: PKC-ERCP के तहत रामगढ़ एवं महलपुर बैराज और नौनेरा-गरबा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना में सामाजिक समाघात आकलन रिपोर्ट जारी की गई है. इसमें बूंदी और टोंक जिले के 21 गांवों की भूमि अधिग्रहण का खुलासा किया गया है. बड़ी बात यह है कि ग्रामीणों के साथ हुई जनसुनवाई के मुख्य बिंदुओं को भी रिपोर्ट में प्रमुखता से दिखाया गया है ताकि ग्रामीणों की समस्याओं और सुझावों पर भी काम किया जा सके. 

PKC-ERCP के पहले चरण में बीसलपुर और ईसरदा बांध को चंबल का पानी उपलब्ध कराया जाना है. इसके चलते दो बैराज और पम्पिंग स्टेशन के लिए भूमि अधिग्रहण की सामाजिक समाघात आकलन रिपोर्ट पूर्व में जारी की जा चुकी है. अब बूंदी और टोंक जिले की तीन सहसील में 21 गांवों में 729.9014 हेक्टेयर भूमि की अवाप्ति होनी है. भूमि अवाप्ति के बाद मौके पर मेज पंप हाउस निर्माण, मेज पंप हाउस से गलवा बांध तक फीडर निर्माण, गलवा बांध से ईसरदा बांध तक फीडर निर्माण, गलवा पंप हाउस का निर्माण, गलवा बांध से बीसलपुर बांध तक फीडर निर्माण किया जाना प्रस्तावित है.  

--- इन गांवों में होगी भूमि अधिग्रहित ---
बूंदी जिले की नैनवा तहसील के आठ गांव
अरनेठा, बांसी, हीरापुर, जरखोदा, अलनिया, करवर, संगतपुरा, बटावटी
कुल भूमि अधिग्रहण प्रस्तावित 221.8514 हेक्टेयर
बूंदी जिले की इंद्रगढ़ तहसील के पांच गांव
चमावली, खरायता, लाखेरी, नयागांव, डपटा
कुल भूमि अधिग्रहण प्रस्तावित 366.9124 हेक्टेयर
टोंक जिले की उनियारा तहसील के आठ गांव
उस्मानपुरा, रोहित, झुंडवा, गांगली, खातोली, दोबड़िया, पागड़ा, पागड़ी
कुल भूमि अधिग्रहण प्रस्तावित 141.1376 हेक्टेयर 

--- भूमि अवाप्ति को लेकर यह प्रमुख सुझाव/राय/बात/मांग रखी गई ---
* प्रभावित भू-स्वामी को उचित और बाजार दर पर मुआवजा दिया जाए जिससे किसान अवाप्ति हेतु प्रस्तावित भूमि जितनी भूमि क्रय कर सके एवं पुनः प्रतिस्थापित हो सके. साथ-साथ प्रभावित परिवार पुनः क्रय की गई भूमि से अपने परिवार का पालन-पोषण कर सके.
* परियोजना क्षेत्र के गांव में बांधों को आपस में जोड़ा जाए. सिंचाई एवं पेयजल के लिए सभी प्रभावित गांवों को पानी उपलब्ध कराया जावे. डी एल सी का 10 गुणा मुआवजा प्रभावित भू-स्वामी को दिया जाए.
* सिवायचक भूमि में जिसकी किसान पेनल्टी चुका रहे हैं उसमें ट्यूबवेल एवं कुआं इत्यादि हैं तो उन संरचना का भी मुआवजा कब्जेदार काश्तकार को दिया जावे.
* खुली नहर बनाई जाती है तो गांव वालों के लिए रास्ता भी बनाया जाए ताकि किसानों को अपने खेतों पर जाने में परेशानी नहीं हो.
* भू-स्वामी को अवाप्त जमीन के बदले जमीन दी जाए.
प्रभावित परिवार के लोगों को योग्यतानुसार ई आर सी पी में काम दिया जाए.
* मुआवजा राशि सिंचित जमीन की दर से क्लेम बनाया जाए क्योंकि मौके पर जमीन सिंचित है एवं राजस्व रिकार्ड में बरानी दर्ज है.
* जिस भू-स्वामी का बंटवारा नहीं हुआ है वहां पर जमीन का भौतिक सत्यापन करवा कर उसकी मुआवजा राशि मौके पर काबिज को ही भुगतान की जावे.
* गांव के संसाधन यथा ट्रैक्टर, जे सी बी इत्यादि को कैनाल कार्य में लगाया जाए.
* गांव में मेज नदी पर सभी भू-स्वामियों को निजी तौर पर लिपट सिंचाई परियोजना चला रखी है जिससे सिंचाई की जा रही है इस संरचना को अवाप्ति से बचाया जावे अन्यथा उसका पर्याप्त मुआवजा दिया जाए. 

--- यह निष्कर्ष निकाला गया ---
* प्रभावित गांव में लगभग 36 प्रतिशत सदस्य या तो निरक्षर (22.8%) या साक्षर (13.8%) हैं.
* 65.5 प्रतिशत परिवारों का मुख्य आय का स्रोत कृषि है एवं 31.7% परिवार कृषि/ दैनिक मजदूरी के रूप में कार्य करते हैं जिससे उनका जीवन यापन चलता है.
* प्रभावित गांव में लगभग 11.8% आबादी 60 वर्ष के ऊपर की है.
* सामाजिक वर्गानुसार अधिकांश परिवार अनुसूचित जनजाति (33.6%) एवं अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं (55.3%) 1
* अनुसूचित जाति की भी प्रभावित परिवार में प्रतिनिधित्व 7.0% है.
* परियोजना प्रभावित परिवारों की आर्थिक स्थिति सामान्य से कमजोर है क्योंकि ज्यादातर
भू-स्वामी सीमांत / लघु एवं मध्यम किसान है. जिनकी वार्षिक आमदनी 1.0 लाख रुपए से कम हैं. ऐसे लोग (93.7%) हैं. 

--- सामाजिक समाघात राहत योजना ---
* नियम के तहत उचित मुआवजा राशि दिलवाना.
* वर्तमान में क्षेत्र में बाजार भाव अर्थात् 8 से 10 लाख बीघा की दर से मुआवजा दिया जाए.
* जमीन पर फसल की स्थिति में किसानों को 2-3 माह का समय दिया जाए ताकि वे अपने फसल ले सकें. अन्यथा उनके फसल का मुआवजा दिया जाना चाहिए.
* परियोजना में किसी भी प्रभावित परिवार की पूर्ण जमीन एवं आवासीय संरचना अवाप्त नहीं होगी.
* प्राथमिकता से रोजगार के अवसर प्रदान कराना. (सरकारी योजना - मनरेगा, श्रमिक योजना इत्यादि) .
* स्वास्थ्य योजनाओं से जोड़ने की सुनिश्चितता कराना.
* प्रत्येक प्रभावित परिवार से एक युवक / वयस्क को परियोजना में कार्य / रोजगार दिलाना.
* राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से जोड़ना एवं राशन की सुनिश्चित करना.
* सामान्य एवं अन्य पिछड़े वर्ग में किसी भी भू-स्वामी की सम्पूर्ण भूमि अवाप्त नहीं की जा रही है अतः पलायन की जरुरत नहीं होगी.
* कम कीमत पर चारा उपलब्ध कराना.
* डेयरी योजना से जोड़ना.
* प्रभावित परिवारों में से इच्छुक व्यक्तियों को पशुपालन हेतु प्रोत्साहन एवं सहयोग देना.
* युवाओं को रोजगार से जोड़ना एवं क्षेत्र में प्रशिक्षण करा कर रोजगार के अवसर प्रदान करना.
* किसी भी रोजगार योजना (ग्रामीण आजीविका मिशन आदि) / संगठन / एजेंसी (इस प्रकार के कार्य करने वाले स्वयंसेवी संगठन) से जोड़ते हुए रोजगार की सुनिश्चितता करना. (श्रमिक कार्ड योजना से जोड़ना.)

बतादें कि प्रभावित गांवों में 22.8 प्रतिशत निरक्षर हैं. 65.5 प्रतिशत परिवारों की मुख्य आय का स्रोत कृषि है. ऐसे में किसानों को जमीन का उचित मुआवजा दिलवाने और अन्य काम करने के लिए रिपोर्ट में कई सुझाव भी दिए गए हैं. माना जा सकता है कि जब जमीन का अधिग्रहण होगा, उसके बाद किसानों की शिकायतों में कुछ कमी आएगी और उन्हें उचित मुआवजा और अन्य लाभ दिलवाए जा सकेंगे.