जयपुर: रविवार 7 जनवरी को नए साल की पहली एकादशी है. अभी पौष मास चल रहा है और इसके महीने के कृष्ण में सफला एकादशी का व्रत किया जाता है. जैसा कि इस एकादशी के नाम से ही समझ आ रहा है कि ये व्रत बाधाओं को दूर करके सफल होने की कामना से किया जाता है. इस तिथि पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और दिनभर विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत किया जाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि साल की पहली एकादशी सफला एकादशी है और इसका व्रत 7 जनवरी को रखा जाएगा. सफला एकादशी का व्रत करने से सभी शुभ कार्यों में सिद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है. सफला एकादशी पौष मास की पहली एकादशी है और इस दिन पवित्र नदी में स्नान के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व शास्त्रों में बताया गया है.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी घर-परिवार की और कार्यों में आ रही परेशानियों को दूर करना वाला व्रत है. स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम के अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर को एकादशियों के व्रत के बारे में बताया है. एकादशी पर विष्णु जी के साथ ही उनके अवतारों की भी पूजा करनी चाहिए, खासतौर पर श्रीराम और श्रीकृष्ण की पूजा जरूर करें. श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल को भी माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं. कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि श्रीराम दरबार की पूजा करें. राम दरबार में श्रीराम के साथ देवी सीता, लक्ष्मण, हनुमान शामिल होते हैं. इन सभी की पूजा करने से घर-परिवार में सुख-शांति और प्रेम बना रहता है. कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और लक्ष्य पूरे होते हैं. ऐसी मान्यता है. सफला एकादशी की शाम घर के आंगन में तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें. सूर्यास्त के बाद तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए. पूजा में शालिग्राम जी की प्रतिमा भी रखनी चाहिए. तुलसी और शालिग्राम जी को हार-फूल, वस्त्र आदि पूजन सामग्री अर्पित करें. फलों का भोग लगाएं. तुलसी के सामने बैठकर विष्णु जी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें.
सफला एकादशी
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचाग के अनुसार एकादशी तिथि का आरंभ 6 जनवरी को रात 12 बजे के बाद 7 जनवरी की तिथि में 12:41 मिनट पर होगा. इसका समापन 7 जनवरी की रात को 12 बजे के बाद 8 जनवरी की तिथि में 12:46 मिनट पर होगा. यानी कि उदया तिथि के नियमानुसार सफला एकादशी का व्रत 7 जनवरी को रखा जाएगा.
सफला एकादशी शुभ मुहूर्त
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सफला एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त 7 जनवरी को सुबह 8:33 मिनट से दोपहर में 12:27 मिनट तक है. एकादशी के दिन रात्रि जागरण करने से विशेष लाभ होता है. एकादशी व्रत का पारण 8 जनवरी को सुबह 6:39 मिनट से 8:59 मिनट पर होगा.
ऐसे कर सकते हैं व्रत
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद घर के मंदिर में गणेश पूजा करें. गणेश पूजन के बाद भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें. भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें. एकादशी व्रत करने वाले भक्तों को दिनभर अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. जो लोग भूखे नहीं रह पाते हैं, वे फलाहार कर सकते हैं. फलों के रस का सेवन करें. दूध पी सकते हैं. इस दिन सुबह-शाम विष्णु जी की पूजा करें. दिनभर विष्णु के मंत्र जपें, विष्णु जी कथाएं पढ़ें-सुनें. अगले दिन या द्वादशी पर सुबह फिर से विष्णु पूजन करें. पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और फिर खुद भोजन करें. इस तरह एकादशी व्रत पूरा होता है.
सफला एकादशी का महत्व
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सफला एकादशी के शुभ अवसर पर घर में तुलसी का पौधा लगाने का विशेष महत्व होता है. इस दिन घर के उत्तर या पूर्व या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से आपकी धन समृद्धि में वृद्धि होती है. सफला एकादशी पर यदि आप व्रत नहीं कर सकते तो भी विधि विधान के साथ पूजा करने के बाद आप ग्रहण कर सकते हैं. ऐसा करने से भी भगवान विष्णु की कृपा आपको प्राप्त होती है. सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाना चाहिए और उसमें तुलसी का पत्ता भी जरूर डालें.
इन बातों का भी रखें ध्यान
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों में बताया गया है कि सफला एकादशी का व्रत जो भक्त पूर्ण विधि विधान से रखते हैं उन पर भगवान नारायण की कृपा बनी रहती है. एकादशी के व्रत वाले दिन आप फलाहार चीजें खाने में ग्रहण करें और इस दिन अन्न बिल्कुल भी न खाएं. इस दिन आप भगवान हरि के निमित्त उनके विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर सकते हैं. संध्या काल के समय जब सूर्यास्त हो जाए उसके बाद आप तुलसी जी के पास गाय के घी का दीपदान कर सकते हैं. इस दिन चावल बिल्कुल भी न खाएं ऐसा करने से आप घोर पाप के भीगी बनेंगे. इसी के साथ सफला एकादशी की व्रत कथा इस दिन अवश्य सुनें तभी आपका व्रत पूर्ण माना जाएगा. शास्त्रों में व्रत वाले दिन रात्रि जागरण कर भगवान विष्णु के नाम का जप करने का विधान बताया गया है. सफला एकादशी का व्रत जो लोग नियम पूर्वक रखते हैं उनके जीवन में सभी मनोरथ श्री नारायण पूर्ण करते हैं और व्रत रखने वालों को जीवन में अपार सफलता मिलती है.