जयपुर: सावन के पहले सोमवार पर आज प्रदेशभर में शिवालय सजे हुए हैं. इसके साथ ही शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया है. अभिषेक के माध्यम से भी भगवान शिव की आराधना की जा रही है. सुकर्म योग और रेवती नक्षत्र होने के कारण आज का दिन विशेष महत्व का है. इसके साथ ही सावन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि होने का भी संयोग है. अष्टमी तिथि के अवसर पर भगवान शिव के साथ-साथ रुद्रावतार बाबा काल भैरव की भी पूजा होती है. शिव मंदिरों में पंतामृत के अभिषेक किया जा रहा है. इसके साथ ही प्रमुख शिव मंदिरों में आज देर रात तक धार्मिक अनुष्ठान भी चलेंगे.
आपको बता दें कि 4 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है. सावन का महीना शिव भक्ति और उपासना के लिए सबसे खास माना गया है. सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना होता है. इस वर्ष सावन 2 महीनों का होगा और पूरे सावन में 8 सावन सोमवार व्रत रखे जाएंगे. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 19 वर्षों के बाद सावन के महीने में अधिकमास पड़ रहा है. सावन माह 4 जुलाई से आरंभ होकर 31 अगस्त तक रहेगा. सावन के महीने में 59 दिन रहेंगे.
18 जुलाई से लेकर 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहेगा. इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा. श्रावण मास के दौरान अधिकमास पड़ रहा है, इसलिए उस दौरान पूजा-अर्चना करने से भगवान हरि के साथ ही भोलेनाथ की भी जमकर कृपा बरसेगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में जो व्यक्ति सच्चे मन से भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करता है उनकी सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होती हैं. सावन के महीने में किया जाने वाला उपाय बहुत विशेष होता है.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत बड़ा महत्व है. इस मास में भगवान शिव की सबसे ज्यादा पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है. शिव पुराण के अनुसार शंकर भगवान सावन माह में सोमवार का व्रत करने वाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. सावन के महीने का शिव भक्तों को हमेशा इंतजार रहता है. लेकिन, इस बार का सावन बेहद खास रहने वाला है. दरअसल, इस बार सावन का महीना 2 महीने का होने वाला है. वैदिक पंचांग की गणना सौरमास और चंद्रमास के आधार पर होती है. एक चंद्रमास 354 दिनों का होता है वहीं एक सौरमास 365 दिनों का होता है. इस तरह से इन दोनों में 11 दिन का अंतर आ जाता है. लिहाजा 3 साल में यह अंतर 33 दिन का हो जाता है. इस तरह हर तीसरे वर्ष में 33 दिनों का अतिरिक्त एक माह बन जाता है. इन 33 दिनों के समायोजन को ही अधिकमास कहा जाता है.
साल 2023 में अधिकमास के दिनों का समायोजन सावन के माह में हो रहा है. इस कारण से सावन एक की बजाय दो महीने का होगा और सावन में आठ सोमवार पड़ेंगे . इस बार नए वर्ष 2023 में हिंदू कैलेंडर का 13वां महीना मिलेगा, जिसमें अधिकमास शामिल होगा. विक्रम संवत 2080 में पड़ने वाले अधिकमास के कारण सावन दो महीने का होगा. जो 59 दिन तक रहेगा. खास बात यह है कि यह संयोग 19 साल बाद बन रहा है. हर तीन साल पर एक अतिरिक्त मास होता है, जिसे अधिकमास या मलमास कहलाता है. इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक पंचांग की गणना में जिस महीने इन 33 दिनों का समायोजन होता है, उस माह में इनकी संख्या औसतन डबल हो जाती है. इस बार वर्ष 2023 में अधिकमास के दिनों का समायोजन भगवान शिव के प्रिय माह सावन में होगा. सावन का महीना 30 नहीं 59 दिन का होगा. सावन के महीने में 8 सावन सोमवार व्रत आएंगे. ये शुभ संयोग 19 वर्षों के बाद बना है. साल 2023 में लगभग सभी व्रत और त्योहार 15 से 20 दिनों के लिए आगे बढ़ गए हैं.
सावन में आठ सोमवार:
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक पंडित डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार सावन का महीना तकरीबन दो माह का होगा. यानि हर सावन में चार या पांच सोमवार ही पड़ते थे और शिवभक्त भगवान भोले की पूजा अर्चना करते थे. लेकिन इस बार सावन में आठ सोमवार पड़ेंगे. इसलिए इस बार दो महीने तक शिव भक्ति की बयार बहती रहेगी. इस दौरान शिव जी का अभिषेक, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, गंगा जल से अभिषेक किया जाएगा. साथ ही भक्त गंगा से कावंड भरकर भी लाएंगे और शिवजी को गंगा जल अर्पित करेंगे.
सावन सोमवार की तिथियां:-
सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त
सावन में दान:-
कुंडली विश्लेषक पंडित डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सावन के महीने भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा-आराधना की जाती है. सावन के महीने में जितना महत्व भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना का होता है उतना ही महत्व दान करने की भी होता है. शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में पूजा और दान करने पर सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं और हर तरह की मनोकामनाएं जल्द ही पूरी हो जाती हैं. इस वर्ष सावन का महीना 58 दिनों का रहेगा और 8 सोमवार व्रत रखे जाएंगे.
काला तिल:-
भविष्यवक्ता पंडित डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सावन के महीने में भगवान शिव के जलाभिषेक में काला तिल का प्रयोग किया जाता है. काला तिल भगवान शिव और शनिदेव दोनों को ही बहुत ही प्रिय होता है. ऐसे में जिन लोगों के ऊपर ग्रह संबंधित कोई दोष हो तो वे सावन सोमवार या सावन के शनिवार को काले तिल का दान करना चाहिए.. इस उपाय से ग्रह दोष खत्म हो जाते हैं.
नमक:-
कुंडली विश्लेषक पंडित डॉ अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र में नमक के उपाय करने से घर में फैली हुई नकारात्मक ऊर्जा दूर भाग जाती है. वहीं शिवपुराण में बताया गया है कि सावन के महीने में जो भी व्यक्ति नमक का दान करता है उसका बुरा समय अगर चल रहा होता है तो वह दूर हो जाता है. इस उपाय से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
रुद्राक्ष:-
कुंडली विश्लेषक पंडित डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रुद्राक्ष भगवान शिव का विशेष आभूषण माना गया है. शास्त्रों में रुद्राक्ष का भगवान शिव का अंश माना गया है. ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. ऐसे जो भी शिव भक्त सावन के महीने में रुद्राक्ष का दान करता है उसकी आयु में वृद्धि होती है और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है.
चांदी का दान:-
भविष्यवक्ता पंडित डॉ अनीष व्यास ने बताया कि जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होते हैं उन्हे इससे मुक्ति पाने के लिए सावन के महीने में चांदी की चीजों का दान करना बहुत ही शुभ होता है. इसके अलावा सावन के महीने में संतान की प्राप्ति के लिए भी चांदी का दान करना चाहिए.