सीकर: दिल्ली में हुए दंगे में शहीद हुए राजस्थान के सपूत रतन लाल को उनके 7 वर्षिय बेटे राम ने नम आंखों से मुखाग्नि दी. शहीद रतनलाल के अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए. शहीद के दर्जे की घोषणा के बाद रतन लाल का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान भारत माता के नारों से पूरा गांव गूंज उठा.
VIDEO: हेड कांस्टेबल रतन लाल को मिला शहीद का दर्जा, परिवार को मिलेगी सभी आर्थिक सहायता
पत्नी व मां सहित परिजनों को रो- रो कर बुरा हाल:
अंत्येष्टि स्थल पर गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुए अंतिम संस्कार से पहले शहीद की पार्थिव देह की अंतिम यात्रा घर से निकली तो पत्नी व मां सहित परिजनों को रो- रो कर बुरा हाल था. उन्हें देखकर हर किसी की आंख वहां नम हो गई. इस दौरान झुंझुनूं सांसद नरेन्द्र खीचड़, सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती, फतेहपुर विधायक हाकम अली, पूर्व विधायक नंदकिशोर महरिया सहित कई जनप्रतिनिधी, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी मौजूद रहे.
शहीद का दर्जा मिलने के बाद लिया शव:
इससे पहले आज सुबह जवान को शहीद का दर्जा नहीं मिलने पर ग्रामीणों ने जवान की पार्थिव देह को लेने से इनकार कर दिया. ग्रामीण नेशनल हाईवे को रोककर धरने पर बैठ गए. उसके बाद सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने धरना स्थल पर पहुंच कर रतनलाल को शहीद का दर्जा मिलने का ऐलान किया. इसके साथ ही परिजनों को 1 करोड़ का मुआवजा और आश्रित को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की तब जाकर ग्रामीणों ने शहीद का शव लिया.
नागौर में रिश्ते अपाहिज, मां-बाप को मौत के घाट उतारकर भाग रहे बेटे की भी सड़क हादसे में मौत
रतन लाल की मौत पत्थर लगने से नहीं बल्कि गोली लगने से हुई:
वहीं हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत पत्थर लगने से नहीं बल्कि गोली लगने से हुई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार रतनलाल एसीपी गोकुलपुरी दफ्तर पर तैनात थे. यहां नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे और कानून के समर्थकों के बीच झड़प हुई. हिंसक लोगों की भीड़ को तितर-बितर करने पहुंचे पुलिसकर्मियों पर लोगों ने ईंट-पत्थर बरसाए. इस हमले में हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल पूरी तरह जख्मी हुए और उनकी मौत हो गई. घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हवलदार रतनलाल भीड़ के बीच फंस गए. बुरी तरह से घायल कॉन्स्टेबल रतन लाल को तुरंत अस्पताल ले जाया गया. जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.