Rajasthan: वोट काटू पॉलिटिक्स ने कांग्रेस को डाला चिंता में, संभाग दौरों से कांग्रेस नेतृत्व को मिला फीडबैक

जयपुर: कांग्रेस के नेतृत्व ने हाल ही में सातों संभाग के दौरे किए . इस दौरान फीडबैक मे सामने आया कि सेकुलर विचारधारा के दल कांग्रेस के वोट बैंक में नुकसान पहुंचा सकते है . इनमें प्रमुख आरएलपी, बीएसपी,आम आदमी पार्टी , BTP, सीपीएम और ओवैसी की एआईएमआईएम सरीखे दल . सत्ताधारी दल कांग्रेस को इनपुट मिला है कि इन दलों से सेकुलर विचारधारा के वोट बिखरेंगे इसलिए अभी से रणनीति बनाने की आवश्यकता है. 

भले ही राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी विरोधी दल एकता की कितनी ही बात करे लेकिन हकीकत ये है कि कई राज्य ऐसे रहे जहां चुनावों में सेकुलर सोच रखने वाले दलों ने कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाने का काम किया . गुजरात और नॉर्थ ईस्ट बड़े उदाहरण है . अभी कर्नाटक में भी कांग्रेस को बीजेपी के साथ साथ जेडीएस से जूझना पड़ा रहा है. राजस्थान में बीते चुनावों में ही उदयपुर संभाग में BTP ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का काम किया . अब ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की सक्रियता ने प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के कान खड़े कर दिए. मुस्लिम बहुल इलाकों के ओवैसी के दौरों ने कांग्रेस के मुस्लिम लीडर्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है. करीब 50सीट तो ऐसी है जो ओवैसी ने छांट ली है यहां मुस्लिम वोट निर्णायक है . कांग्रेस के दिग्गज मुस्लिम नेता मानते है कि ओवैसी के मंसूबे पूरे नही होंगे , वक्फ बोर्ड चैयरमेन खानू खान बुधवाली ने कहा कि एआईएमआईएम है बीजेपी की B पार्टी.

राजस्थान में RLP , BTP और बीएसपी तीसरी बड़ी सियासी ताकत है. आरएलपी का नागौर और जाट सीटों पर असर है. अभी उपचुनाव में RLP उम्मीदवारों ने अच्छे मत लिए थे,हनुमान बेनीवाल सांसद है और तीन विधायक भी है.बीएसपी के बीते चुनाव में छह विधायक जीते थे ये अलग बात है कि वो कांग्रेस में चले गए.दलित वोटों पर आज भी मायावती का कुछ हद तक प्रभाव रहता है.उधर BTP ने दो विधायक जीताकर ट्राइबल वोटों पर अपनी पकड़ साबित कर दी थी. आम आदमी पार्टी धीरे धीरे आकार ले रही है और दावा है सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का .सीपीएम का शेखावाटी अंचल में प्रभाव किसी से छिपा नहीं . सर्वे बताते हैं कि करीब 20फीसदी मुख्य दलों के उम्मीदवार वोट काटू सियासत का शिकार हो जाते हैं. 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने संभाग दौरों में ये भी इनपुट लिया है कि वोट काटने वालों दलों से कैसे निपटा जाए.