जयपुर: तय समय में राहत देना तो दूर की बात, अवधि बीतने के बावजूद प्रकरणों के निस्तारण के लिए आम लोगों को अब भी जेडीए के कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. वहीं आमजन के प्रार्थना पत्र पर उच्च स्तर से प्राप्त प्रकरण भी तय समय में निस्तारित नहीं हो रहे हैं. कुछ ऐसा ही आलम लोकायुक्त से प्राप्त प्रकरणों का है. किस मामले की कितनी है पेडेंसी और क्या है इसके कारण?
लीज होल्ड के बजाए फ्री होल्ड का पट्टा लेने, पट्टा लेने,नाम हस्तांतरण कराने, उप विभाजन/पुनर्गठन और 90 ए कराने आदि के लिए आवेदकों का जेडीए के कार्यालयों में चक्कर काटना जारी है. हालांकि इन प्रकरणों के निस्तारण के लिए इस 16 अक्टूबर को जेडीए प्रशासन ने नई स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की. लेकिन इसका अब तक प्रकरणों की पेडेंसी पर खास प्रभाव नहीं पड़ा है. नागरिक सेवा केन्द्र के कुल लंबित प्रकरणों को देखें तो अवधि पार प्रकरणों की संख्या में कुछ कमी जरूरी हुई है.
जानिए, आमजन से जुड़े कौनसे व कितने प्रकरण किस जोन में लंबित:
-लोक सेवा गारंटी कानून के तहत नाम हस्तांतरण के प्रकरण के निस्तारण की समय सीमा 30 दिन,
-भूखंड के उप विभाजन और पुनर्गठन के प्रकरण के निस्तारण की समय सीमा 45 दिन
-और पट्टा जारी करने की समय-सीमा 30 दिन है
-तय समय सीमा बीतने के बावजूद निस्तारण का इंतजार कर रहे अवधि पार प्रकरणों की कुल संख्या 828
-19 अक्टूबर तक इन अवधि पार प्रकरणों की संख्या 949 थी
-6 नवंबर 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक इन अवधि पार प्रकरणों में सबसे अधिक 318 प्रकरण भूखंडों के पट्टे के हैं
-उप विभाजन/पुनर्गठन के 101, लीज होल्ड की बजाए फ्री होल्ड पट्टा देने के 99,
-नाम हस्तांतरण के 88, भू रूपांतरण (90 ए) के 67 व बिल्डिंग प्लान एप्रुवल सिस्टम के 118 प्रकरण लंबित
-अवधि पार प्रकरणों में सबसे अधिक 133 प्रकरण जोन 9 में लंबित
-इनमें से लीज होल्ड के बजाए फ्री होल्ड पट्टे के भी सबसे अधिक अवधि पार प्रकरण इसी जोन 9 में लंबित
-नाम हस्तांतरण के सबसे अधिक 21 और पुनर्गठन/उप विभाजन के सबसे अधिक 22 प्रकरण इसी जोन 9 में लंबित
-पट्टे के सबसे अधिक लंबित प्रकरणों के मामले में भी यही जोन 9 दूसरे नंबर पर
-इस जोन 9 में 40 प्रकरण लंबित
-जबकि जोन 9 की जोन उपायुक्त के पास किसी अन्य जोन का कोई अतिरिक्त कार्यभार नहीं हैं
-पट्टे जारी करने में सबसे फिसड्डी जोन पृथ्वीराज नगर दक्षिण प्रथम है, जिसमें 49 प्रकरण लंबित
-90 ए के सबसे अधिक 16 प्रकरण जोन 12 में लंबित
-90 ए के सबसे अधिक लंबित प्रकरणों के मामले में दूसरे नंबर पर जोन 14 है, इस जोन में 12 प्रकरण लंबित है
-नाम हस्तातंरण के सबसे अधिक लंबित प्रकरणों के मामले में दूसरे नंबर पर जोन 11 है, इस जोन में 11 प्रकरण लंबित है
-उप विभाजन/पुनर्गठन के दूसरे सबसे अधिक 15 प्रकरण पृथ्वीराज नगर दक्षिण द्वितीय जोन के हैं
आमजन से जुड़े प्रकरणों का निर्धारित अवधि बीतने के बावजूद निस्तारण नहीं हो रहा है. कमोबेश यही हाल राजस्थान संपर्क पोर्टल, उच्च स्तर से प्राप्त प्रकरण और लोकायुक्त से जुड़े प्रकरणों का है.
जानिए, प्रकरणों की क्या है पेंडेंसी?:
-जेडीए में मुख्यमंत्री कार्यालय,मुख्य सचिव कार्यालय, नगरीय विकास मंत्री कार्यालय आदि से किसी प्रकरण में कार्यवाही के लिए जो पत्र आते हैं.
-उन पत्रों पर की गई कार्यवाही की मॉनिटरिंग के लिए जेडीए ने डॉक्यूमेंट ट्रेकिंग सिस्टम (डीटीएस) बना रखा है.
-इस डीटीएस में अधिकतर प्रकरण आमजन से जुड़े ही होते हैं.
-6 नवंबर तक डीटीएस के अवधि पार लंबित प्रकरणों की संख्या 1555
-जबकि 19 अक्टूबर तक इन प्रकरणों की संख्या 1328 थी.
-किसी शिकायत या समस्या दर्ज कराने के लिए सबसे सुलभ राजस्थान पोर्टल पर जेडीए से संबंधित 562 प्रकरण लंबित
-इनमें से 82 प्रकरण तो दो महीने से लेकर छह महीने से लंबित चल रहे.
-इसी तरह लोकायुक्त से प्राप्त प्रकरणों में निर्धारित अवधि में जेडीए को लोकायुक्त को जवाब भेजना होता है.
-6 नवंबर तक जेडीए में लोकायुक्त से संबंधित 60 प्रकरण ऐसे लंबित हैं जिनमें जवाब देने की तय अवधि निकल चुकी है.
-इनमें से 12 प्रकरण तो ऐसे हैं जिनमें जेडीए की ओर से एक बार भी जवाब नहीं दिया गया.
-समय पर जवाब नहीं देने के कारण दो प्रकरणों में खुद जेडीए आयुक्त को और
-दो प्रकरणों में जेडीए सचिव को लोकायुक्त ने तलब किया है.
आम लोगों से जुड़े प्रकरणों का समय पर निस्तारित नहीं होना हो या डॉक्यूमेंट ट्रेकिंग सिस्टम से जुड़े मामले या फिर लोकायुक्त सचिवालय के मामलों में समय पर जवाब नहीं भेजा गया हो. इन सबके पीछे एक बड़ा कारण जेडीए में अधिकारी-कर्मचारियों की कमी तो है साथ ही पेडेंसी के लिए जिम्मेदार कार्मिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होना भी कारण है. इन्हीं के चलते जेडीए में प्रकरणों का निस्तारण समय पर नहीं हो पा रहा है.
विस्तार से जानिए:
-जेडीए में लगे अधिकतर जोन उपायुक्तों के पास दो या तीन जोन का कार्यभार है.
-जोन छह,पृथ्वीराज नगर उत्तर प्रथम व पृथ्वीराज नगर उत्तर द्वितीय तीनों जोन का कार्यभार एक ही उपायुक्त के जिम्मे हैं.
-जोन एक और जोन चार का कार्यभार एक उपायुक्त के पास है.
-इसी तरह जोन 2 और 10, जोन 3 और 13,जोन 5 और 12,जोन 7 और 8
-पृथ्वीराज नगर दक्षिण प्रथम और द्वितीय जोन का कार्यभार एक-एक उपायुक्त के जिम्मे है.
-जेडीए में स्वीकृत पदों में से करीब एक तिहाई पदों पर ही कार्मिक काम कर रहे हैं.
-कनिष्ठ लेखाकार के 15 पद, विधि सहायक के 10 पद,
-कनिष्ठ सहायक के 75 और स्टेनो के 10 पदों पर भर्ती की कवायद अब तक अधूरी है.
-हांलाकि भर्ती के लिए जेडीए के भर्ती नियमों में संशोधन की अधिसूचना जल्द जारी होने वाली है.
-नियमों में संशोधन के बाद जेडीए दुबारा कर्मचारी चयन बोर्ड को प्रस्ताव भेजेगा.
-स्टाफ की कमी के अलावा पेंडेंसी का एक और कारण लापरवाह कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होना है.
-फाइलों पर अव्याहारिक टिप्पणी व जानबूझकर फाइल को अटकाने वाली टिप्पणी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है.
-इसके अलावा जेडीए में लगाए ऐसे जोन उपायुक्त भी हैं,जिन्हें नगरीय विकास से संबंधित कार्य का अनुभव नहीं हैं.
-इसके लिए जरूरी है कि जोन उपायुक्तों के लिए आमुखीकरण कार्यशाला का नियमित आयोजन किया जाए .